मोहनलाल सुखड़िया विश्वविद्यालय में नियमों को ताक पर रखकर प्रोफेसर पद पर नियुक्ति

Written by Sabrangindia Staff | Published on: October 16, 2018
उदयपुर में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर राजेश दुबे की नियमों को ताक पर रखकर की गई नियुक्ति पर बवाल बढ़ता जा रहा है। ये साफ होता जा रहा है कि राजेश दुबे को कई पात्रों को दरकिनार कर किसी के इशारे पर नियुक्त किया गया है।



राजेश दुबे को के पास दस्तावेज तक पूरे नहीं थे लेकिन उनकी नियुक्ति हो गई। तमाम कमियों की अनदेखी करके राजेश दुबे को एनआरसी की कमान सौंप दी गई। 

दूसरी ओर जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय किसी भी स्थिति में एनओसी जारी करने के लिए तैयार नहीं है, जबकि नियम के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को बिना एनओसी के कभी भी किसी भी पद पर ज्वाइन नहीं करवाया जा सकता है। यह कानूनन आधार पर लिखा गया है। 

2017 के नियुक्ति के नियम के आधार पर स्पष्ट प्रावधान है कि वर्तमान में कोई व्यक्ति किसी संस्था में पहले से ही कार्यरत है, तो ज्वाइनिंग के समय नियोक्ता से जारी की गई एनओसी को जमा करवाएगा, लेकिन दुबे के मामले में ज्वाइनिंग के समय इस तरह की एनओसी नहीं ली गई। राजस्थान यूनिवर्सिटी टीचर्स एंड ऑफिसर्स एक्ट 1974 के तहत मौजूदा नियोक्ता का ‘नो ओब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ जरूरी है। ऐसे में दुबे को बिना एनओसी के ही ज्वाइन कराना नियमों का साफ उल्लंघन है।

पत्रिका के अनुसार, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में राजेश दुबे ने जो वित्तीय गड़बड़ी की थी, उसके बाद उन्हें एचआरडीसी के निदेशक के पद से हटाया गया था। उनके खिलाफ एफआईआर भी कराई गई थी। ये अलग बात है कि राजेश दुबे को कोर्ट से राहत मिल गई थी, लेकिन विश्वविद्यालय ने फिर से उनके खिलाफ याचिका दर्ज करवाई है, और वो अभी विचाराधीन है। ऐसे में उन्हें नियमों के मुताबिक न तो एनओसी मिल सकती है और न ही बिना एनओसी के उनकी नियुक्ति मोहनलाल सुखाड़िया में हो सकती है।

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