लखनऊ 26 अगस्त 2016। ऊना, गुजरात में गौरक्षकों द्वारा दलितों की पिटाई के बाद ‘गाय की पूंछ तुम रखो, हमको हमारी जमीन दो’ के नारे के साथ पूरे देश में दलित अत्याचारों के खिलाफ आवाज बने जिग्नेश मेवाणी ने यूपी प्रेस क्लब में ऐलान किया कि भूमि अधिकार और स्वाभिमान की लड़ाई इस देश की लड़ाई होगी।
(Picture: Advocate Mohd. Shoeb and Jignesh Mevani)
गुजरात से आए ऊना दलित अत्याचार लड़त समिति के संयोजक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि पूरे देश में एक संघर्ष का मंच बनाना चाहते हैं जो गुजरात, यूपी ही नहीं पूरे देश में दलितों के लिए जमीन के सवाल पर आंदोलन खड़ा कर सके। जो दलित आंदोलन सिर्फ अस्मिता की राजनीति में फस गया है उसको अपने अस्तित्व बोध के साथ खड़ा होना होगा। उन्होंने ऊना से शुरु हुए आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह से ऊना में जिलाधिकारी कार्यालय पर मृत पशुओं को ले जाकर छोड़ दिया गया उसने साफ किया कि दलित अब पिटेगा नहीं वह अपने अधिकारों के लिए लड़ेगा। सिर्फ रोटी, कपड़ा, मकान की राजनीति नहीं बल्कि अब स्वाभिमान की राजनीति भी होगी। यह लड़ाई हम तभी जीत पाएंगे जब जाति व्यवस्था द्वारा थोपे गए अमानवीय कार्यों को छोड़ देंगे। इसलिए हमनें अहमदबाद में ‘गाय की पूंछ तुम रखो, हमको हमारी जमीन दो’ का नारा देते हुए बीस हजार दलितों के साथ शपथ की कि वे हम ऐसे घृणित कार्य नहीं करेंगे। यह दलित आंदोलन की ऐतिहासिक घटना है, जिसका सपना बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने देखा था। इस आंदोलन को हम पूरे देश में गैर बराबरी को स्थापित करने वाले जमीन के मालिकाना हक के मुद्दे से जोड़ना चाहते हैं। हमने गुजरात में मांग की है कि हर दलित परिवार को पांच-पांच एकड़ जमीन दी जाए। इसको गुजरात समेत पूरे देश में ले जाना है। यदि 15 सितंबर तक जमीन वितरण, आरक्षण सवाल पर गुजरात सरकार कार्रवाई करती नहीं नजर आएगी तो हम दलितों, मुसलमानों, आदिवासियों, मजदूरों के यूनियन के साथ या तो जेल भरेंगे या तो रेल रोको आंदोलन करेंगे। इसी संदर्भ में हम पूरे देश में समर्थन मांग रहे हैं। ‘गाय की पूंछ तुम रखो, हमको हमारी जमीन दो’ का नारा पूरे देश में ले जाकर भूमि के सवाल को दलित राजनीति को केन्द्र में लाना है जो आपके यूपी में भी दलितों का प्रमुख एजेण्डा है। जिग्नेश ने कहा कि यूपी भी जिस तरह दलित-मुसलमान उत्पीड़न का अड्डा है यहां भी हम हक-हुकूक और इंसाफ के लिए संघर्षरत जमात के साथ खड़े होकर सांप्रदायिक-सामंती मंसूबों को ध्वस्त करेंगे। संघ पोषित बीएचयू के कुलपति द्वारा आईआईटी से निकाले गए मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित सोशलिस्ट पार्टी के उपाध्यक्ष संदीप पाण्डेय ने कहा कि ऊना में जो दलित अस्मिता यात्रा निकली थी उसमें यह मांग उठी थी कि मृतक गायों को अब दलित नहीं उठाएंगे। जब रोटी बनाने की मशीन बना ली गई है, रोबोट से आपरेशन हो रहा है और हर मुश्किल काम हो रहा है तो मृतक गायों को हटाने के लिए मशीन क्यों नहीं। गुजरात में एक विज्ञापन निकला था जिसमें सीवर की सफाई के लिए सवर्ण की आरक्षित सीट लिख दिए जाने पर लोग नाराज हो गए इससे समझा जा सकता है कि सीवर में घुसकर काम करना कितना मुश्किल व अपमानजनक है। जिग्नेश और इनके साथी जो आंदोलन चला रहे हैं उसमें दलितों को ही नहीं समूचे उत्पीड़ित समाज को मजबूती से भाग लेना चाहिए और अपने बच्चों की शिक्षा के लिए लड़ना चाहिए। कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि आज गुजरात का बेटा जिग्नेश मेवाणी हमारे बीच में हैं जिसने मोदी के गुजरात माॅडल को पूरे दुनिया में बेनकाब कर दिया जहां दलितों को इंसान नहीं समझा जाता। पूरी दुनिया ने 2002 में गुजरात की माओं के गर्भ को चीरकर नवजातों को त्रिशूल में टंगा हुआ देखा और आज उसी गुजरात के दलित भाइयों के साथ लगातार हो रही नाइंसाफियों के खिलाफ दलित-मुस्लिम एकता का जो नया गुजरात माॅडल विकसित हो रहा है वह पूरे देश की राजनीति को नई दिशा देगा। उन्होंने कहा कि कोई औपनिवेशिक उदारीकरण के विकास का माॅडल इस देश में शोषितों-वंचितों को मुक्ति नहीं देगा बल्कि इंसाफ के सवाल पर जिग्नेश मेवाणी जैसे नौजवानों का नेतृत्व ही एक नए भारत का निर्माण करेगा। कार्यक्रम के शुरुआत में आधार वक्तव्य देते हुए रिहाई मंच नेता अनिल यादव ने सामाजिक न्याय की नई धारा के इस नेतृत्व पर बात रखी तो वहीं सामाजिक कार्यकर्ता अधिवक्ता अजय शर्मा ने यूपी में दलितों के भूमि व लोकतांत्रिक अधिकारों के दमन पर अपनी बात रखी। जिग्नेश मेवाणी को अमित अंबेडकर, लवलेश चैधरी, गुफरान सिद्दीकी, लक्ष्मण प्रसाद, शकील कुरैशी, राॅबिन, शबरोज मोहम्मदी, शम्स तबरेज, महेश चन्द्र देवा, मौलाना अबू अशरफ, आरिफ मासूमी आदि ने माल्यार्पण कर यूपी आगमन पर स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने किया। कार्यक्रम में सृजन योगी आदियोग, एहसानुल हक मलिक, बलवंत यादव, कल्पना पाण्डेय, शरद पटेल, हफीज किद्वई, इन्द्र प्रकाश बौद्ध, लाल प्रकाश राही, विनोद यादव, रफत फातिमा, हफीज उल्लाह, हादी खान, रफीउद्दीन, सत्यम वर्मा, सद्दाम अहमद, कमर सीतापुरी, रुपेश, इनायत उल्लाह खान, यावर अब्बास, वीरेन्द्र गुप्ता आदि ने शिरकत की।
(Picture: Advocate Mohd. Shoeb and Jignesh Mevani)
गुजरात से आए ऊना दलित अत्याचार लड़त समिति के संयोजक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि पूरे देश में एक संघर्ष का मंच बनाना चाहते हैं जो गुजरात, यूपी ही नहीं पूरे देश में दलितों के लिए जमीन के सवाल पर आंदोलन खड़ा कर सके। जो दलित आंदोलन सिर्फ अस्मिता की राजनीति में फस गया है उसको अपने अस्तित्व बोध के साथ खड़ा होना होगा। उन्होंने ऊना से शुरु हुए आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह से ऊना में जिलाधिकारी कार्यालय पर मृत पशुओं को ले जाकर छोड़ दिया गया उसने साफ किया कि दलित अब पिटेगा नहीं वह अपने अधिकारों के लिए लड़ेगा। सिर्फ रोटी, कपड़ा, मकान की राजनीति नहीं बल्कि अब स्वाभिमान की राजनीति भी होगी। यह लड़ाई हम तभी जीत पाएंगे जब जाति व्यवस्था द्वारा थोपे गए अमानवीय कार्यों को छोड़ देंगे। इसलिए हमनें अहमदबाद में ‘गाय की पूंछ तुम रखो, हमको हमारी जमीन दो’ का नारा देते हुए बीस हजार दलितों के साथ शपथ की कि वे हम ऐसे घृणित कार्य नहीं करेंगे। यह दलित आंदोलन की ऐतिहासिक घटना है, जिसका सपना बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने देखा था। इस आंदोलन को हम पूरे देश में गैर बराबरी को स्थापित करने वाले जमीन के मालिकाना हक के मुद्दे से जोड़ना चाहते हैं। हमने गुजरात में मांग की है कि हर दलित परिवार को पांच-पांच एकड़ जमीन दी जाए। इसको गुजरात समेत पूरे देश में ले जाना है। यदि 15 सितंबर तक जमीन वितरण, आरक्षण सवाल पर गुजरात सरकार कार्रवाई करती नहीं नजर आएगी तो हम दलितों, मुसलमानों, आदिवासियों, मजदूरों के यूनियन के साथ या तो जेल भरेंगे या तो रेल रोको आंदोलन करेंगे। इसी संदर्भ में हम पूरे देश में समर्थन मांग रहे हैं। ‘गाय की पूंछ तुम रखो, हमको हमारी जमीन दो’ का नारा पूरे देश में ले जाकर भूमि के सवाल को दलित राजनीति को केन्द्र में लाना है जो आपके यूपी में भी दलितों का प्रमुख एजेण्डा है। जिग्नेश ने कहा कि यूपी भी जिस तरह दलित-मुसलमान उत्पीड़न का अड्डा है यहां भी हम हक-हुकूक और इंसाफ के लिए संघर्षरत जमात के साथ खड़े होकर सांप्रदायिक-सामंती मंसूबों को ध्वस्त करेंगे। संघ पोषित बीएचयू के कुलपति द्वारा आईआईटी से निकाले गए मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित सोशलिस्ट पार्टी के उपाध्यक्ष संदीप पाण्डेय ने कहा कि ऊना में जो दलित अस्मिता यात्रा निकली थी उसमें यह मांग उठी थी कि मृतक गायों को अब दलित नहीं उठाएंगे। जब रोटी बनाने की मशीन बना ली गई है, रोबोट से आपरेशन हो रहा है और हर मुश्किल काम हो रहा है तो मृतक गायों को हटाने के लिए मशीन क्यों नहीं। गुजरात में एक विज्ञापन निकला था जिसमें सीवर की सफाई के लिए सवर्ण की आरक्षित सीट लिख दिए जाने पर लोग नाराज हो गए इससे समझा जा सकता है कि सीवर में घुसकर काम करना कितना मुश्किल व अपमानजनक है। जिग्नेश और इनके साथी जो आंदोलन चला रहे हैं उसमें दलितों को ही नहीं समूचे उत्पीड़ित समाज को मजबूती से भाग लेना चाहिए और अपने बच्चों की शिक्षा के लिए लड़ना चाहिए। कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि आज गुजरात का बेटा जिग्नेश मेवाणी हमारे बीच में हैं जिसने मोदी के गुजरात माॅडल को पूरे दुनिया में बेनकाब कर दिया जहां दलितों को इंसान नहीं समझा जाता। पूरी दुनिया ने 2002 में गुजरात की माओं के गर्भ को चीरकर नवजातों को त्रिशूल में टंगा हुआ देखा और आज उसी गुजरात के दलित भाइयों के साथ लगातार हो रही नाइंसाफियों के खिलाफ दलित-मुस्लिम एकता का जो नया गुजरात माॅडल विकसित हो रहा है वह पूरे देश की राजनीति को नई दिशा देगा। उन्होंने कहा कि कोई औपनिवेशिक उदारीकरण के विकास का माॅडल इस देश में शोषितों-वंचितों को मुक्ति नहीं देगा बल्कि इंसाफ के सवाल पर जिग्नेश मेवाणी जैसे नौजवानों का नेतृत्व ही एक नए भारत का निर्माण करेगा। कार्यक्रम के शुरुआत में आधार वक्तव्य देते हुए रिहाई मंच नेता अनिल यादव ने सामाजिक न्याय की नई धारा के इस नेतृत्व पर बात रखी तो वहीं सामाजिक कार्यकर्ता अधिवक्ता अजय शर्मा ने यूपी में दलितों के भूमि व लोकतांत्रिक अधिकारों के दमन पर अपनी बात रखी। जिग्नेश मेवाणी को अमित अंबेडकर, लवलेश चैधरी, गुफरान सिद्दीकी, लक्ष्मण प्रसाद, शकील कुरैशी, राॅबिन, शबरोज मोहम्मदी, शम्स तबरेज, महेश चन्द्र देवा, मौलाना अबू अशरफ, आरिफ मासूमी आदि ने माल्यार्पण कर यूपी आगमन पर स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने किया। कार्यक्रम में सृजन योगी आदियोग, एहसानुल हक मलिक, बलवंत यादव, कल्पना पाण्डेय, शरद पटेल, हफीज किद्वई, इन्द्र प्रकाश बौद्ध, लाल प्रकाश राही, विनोद यादव, रफत फातिमा, हफीज उल्लाह, हादी खान, रफीउद्दीन, सत्यम वर्मा, सद्दाम अहमद, कमर सीतापुरी, रुपेश, इनायत उल्लाह खान, यावर अब्बास, वीरेन्द्र गुप्ता आदि ने शिरकत की।