बहुत खूब!
द्रोणाचार्य को अंगूठा नहीं देना है. किसी कीमत पर नहीं. मांगे या जिद करे तो अहिंसक तरीके से पटककर सीने पर चढ़ जाना है.
बहुत बहुत मंगलकामनाएं नरसिंह यादव. रियो ओलंपिक से मेडल जरूर लाना.
कुछ मीठा हो जाए?
अलविदा आनंदीबेन. अब कभी दलितों से पंगा नहीं लेना.
रियो ओलंपिक से मेडल लेकर आना नरसिंह यादव.
मुजफ्फरनगर से गौ-आतंकवाद की खबर आ रही है. अगर दलित और पिछड़े अपने मुसलमान भाइयों - बहनों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते, तो फिर वे राज करने के काबिल नहीं हैं.
फिर बनने दीजिए BJP की सरकार. BJP की सरकार और आपमें फर्क क्या है…अगर यही सब होना है.
मजलूमों की सुरक्षा, सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है. राष्ट्रीय एकता की इस जिम्मेदारी को पूरा करना जरूरी है.
मीडिया इतना डरता क्यों है?
दलित उत्पीड़न, हत्या, बलात्कार की खबरें मजे लेकर छापने, दिखाने वाले चैनलों और अखबारों को विरोध और प्रतिरोध की खबरें पसंद नहीं हैं.
अहमदाबाद, 31 जुलाई, दलित महासम्मेलन
भारतीय ब्राह्मणवादी मीडिया के लिए खतरे की घंटी!
मैं इसे बार बार होता देख रहा हूं. दलितों या ओबीसी का लाख दो लाख का भी जमावड़ा होता है तो भी आयोजक, मीडिया को कवरेज के लिए नहीं बुला रहे हैं.
रोहित वेमुला और डेल्टा मेघवाल के पूरे आंदोलन में यह हुआ. नागपुर से लेकर मुबंई और दिल्ली से लेकर कोलकाता में लाखों लोगों की रैलियां निकलीं और पत्रकारों को नहीं बुलाया गया. गुजरात में भी यही हो रहा है.
ऐसे बहुजनों की संख्या बढ़ रही है जो बुलाने पर भी टीवी बहस में नहीं जाते. मैं भी नहीं जाता. और इससे हमारा असर, घटने की जगह बढ़ा है.
मीडिया को मजबूरी में, दिखावे के लिए कुछ कवरेज करना पड़ रहा है. सोशल मीडिया विकल्प के रूप में उभरा है. मीडिया के दिखाने या न दिखाने से फर्क पड़ना बंद हो गया है.
दलितों - आदिवासियों के प्रमोशन में रिजर्वेशन के खिलाफ पूरी लोकसभा में सिर्फ 05 यानी पांच सांसद हैं. उनकी भी सिर्फ यह मांग है कि ओबीसी को भी दो..... फिर मोदी सरकार प्रमोशन में रिजर्वेशन का कानून पास क्यों नहीं कर रही है.
राज्यसभा में बिल पास है. लोकसभा में बीजेपी का अकेले ही बहुमत है. पांच सांसदों के विरोध से कानून बनना नहीं रुकता. सरकार चाहेगी तो इसी सत्र में पास हो जाएगा.
मामला नीयत का है.
नीयत में खोट है.
अहमदाबाद के महासम्मेलन में दो ही लोग आए थे. यूपी में बीजेपी को 20 सीट से कम पर रोकने के लिए किसी तीसरे की जरूरत भी नहीं है.
यूपी में इनका साझा आंकड़ा 40% हैं. वहां 30% पर सरकार बन जाती है.
बीजेपी बिहार के बाद यूपी झेल नहीं पाएगी. सबसे पहले अमित शाह की विदाई होगी. फिर....?
एकता बनाए रखें. बाकी सब अपने आप हो जाएगा.
द्रोणाचार्य को अंगूठा नहीं देना है. किसी कीमत पर नहीं. मांगे या जिद करे तो अहिंसक तरीके से पटककर सीने पर चढ़ जाना है.
बहुत बहुत मंगलकामनाएं नरसिंह यादव. रियो ओलंपिक से मेडल जरूर लाना.
कुछ मीठा हो जाए?
अलविदा आनंदीबेन. अब कभी दलितों से पंगा नहीं लेना.
रियो ओलंपिक से मेडल लेकर आना नरसिंह यादव.
मुजफ्फरनगर से गौ-आतंकवाद की खबर आ रही है. अगर दलित और पिछड़े अपने मुसलमान भाइयों - बहनों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते, तो फिर वे राज करने के काबिल नहीं हैं.
फिर बनने दीजिए BJP की सरकार. BJP की सरकार और आपमें फर्क क्या है…अगर यही सब होना है.
मजलूमों की सुरक्षा, सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है. राष्ट्रीय एकता की इस जिम्मेदारी को पूरा करना जरूरी है.
मीडिया इतना डरता क्यों है?
दलित उत्पीड़न, हत्या, बलात्कार की खबरें मजे लेकर छापने, दिखाने वाले चैनलों और अखबारों को विरोध और प्रतिरोध की खबरें पसंद नहीं हैं.
अहमदाबाद, 31 जुलाई, दलित महासम्मेलन
भारतीय ब्राह्मणवादी मीडिया के लिए खतरे की घंटी!
मैं इसे बार बार होता देख रहा हूं. दलितों या ओबीसी का लाख दो लाख का भी जमावड़ा होता है तो भी आयोजक, मीडिया को कवरेज के लिए नहीं बुला रहे हैं.
रोहित वेमुला और डेल्टा मेघवाल के पूरे आंदोलन में यह हुआ. नागपुर से लेकर मुबंई और दिल्ली से लेकर कोलकाता में लाखों लोगों की रैलियां निकलीं और पत्रकारों को नहीं बुलाया गया. गुजरात में भी यही हो रहा है.
ऐसे बहुजनों की संख्या बढ़ रही है जो बुलाने पर भी टीवी बहस में नहीं जाते. मैं भी नहीं जाता. और इससे हमारा असर, घटने की जगह बढ़ा है.
मीडिया को मजबूरी में, दिखावे के लिए कुछ कवरेज करना पड़ रहा है. सोशल मीडिया विकल्प के रूप में उभरा है. मीडिया के दिखाने या न दिखाने से फर्क पड़ना बंद हो गया है.
दलितों - आदिवासियों के प्रमोशन में रिजर्वेशन के खिलाफ पूरी लोकसभा में सिर्फ 05 यानी पांच सांसद हैं. उनकी भी सिर्फ यह मांग है कि ओबीसी को भी दो..... फिर मोदी सरकार प्रमोशन में रिजर्वेशन का कानून पास क्यों नहीं कर रही है.
राज्यसभा में बिल पास है. लोकसभा में बीजेपी का अकेले ही बहुमत है. पांच सांसदों के विरोध से कानून बनना नहीं रुकता. सरकार चाहेगी तो इसी सत्र में पास हो जाएगा.
मामला नीयत का है.
नीयत में खोट है.
अहमदाबाद के महासम्मेलन में दो ही लोग आए थे. यूपी में बीजेपी को 20 सीट से कम पर रोकने के लिए किसी तीसरे की जरूरत भी नहीं है.
यूपी में इनका साझा आंकड़ा 40% हैं. वहां 30% पर सरकार बन जाती है.
बीजेपी बिहार के बाद यूपी झेल नहीं पाएगी. सबसे पहले अमित शाह की विदाई होगी. फिर....?
एकता बनाए रखें. बाकी सब अपने आप हो जाएगा.