RSS, BJP, विश्व हिंदू परिषद के तमाम बयान के एक-एक शब्द मैंने पढ़ लिए है. आपने भी तो पढ़ा होगा.... इन्होंने एक बार भी गोमाता, गऊ माता, गाय माता जैसे किसी शब्द का प्रयोग नहीं किया है.
शुक्रिया कहिए गुजरात के शूरवीर आंबेडकरवादियों का. एक ही वार में गौ-राजनीति की हवा ढीली कर दी. गाय माता का नाम तक नहीं ले रहे हैं.
मेरे ख्याल से ब्राह्मणवादी मीडिया को गुजरात मामला दबाने के लिए इस बार का जेएनयू मिल गया है. वह है - लंपट दयाशंकर की पतिभक्त पत्नी
संपादकों, एंकरों,
आप बहुत धूर्त और शातिर हैं. लेकिन आपकी मुश्किल यह है कि एक सामान्य भारतीय नागरिक भी आपकी ब्राह्मणवादी चाल को समझने लगा है.
सोनू सिंह पासी ने 18 घंटे पहले ही लिख दिया था कि आप दयाशंकर को आगे करके गुजरात के शानदार दलित प्रतिरोध की खबर को दबाने की कोशिश करोगे.
गुजरात में दलितों के साथ आतंकवाद की भयानक घटना 11 जुलाई को होती है.... और भारत का एक भी अखबार 20 जुलाई तक इस पर संपादकीय नहीं लिखता. ज्यादातर जगह पहली बार यह खबर 21 जुलाई को पहली बार नजर आती है. संसद में हंगामे के बाद.
लेकिन दयाशंकर के परिवार को किसी कार्यकर्ता द्वारा दी गई "गाली" पर उसी मीडिया की तेजी देखिए. आधे घंटे में सारे चैनल लाइव दिखाने लगे. आज रात सब जगह डिस्कशन होगा.
यह आपका मीडिया है ही नहीं.
जिनका मीडिया, उनकी बात.
जामनगर, गुजरात की तस्वीर.