UAPA के तहत 10,000 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए, वहीं 2019-23 के बीच सिर्फ 335 लोगों को सजा हुई

Written by sabrang india | Published on: December 5, 2025
इस दौरान जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां हुईं, जबकि उत्तर प्रदेश में सजा सुनाए जाने की दर सबसे ज्यादा थी।


फोटो साभार : पीटीआई

लोकसभा में मंगलवार 2 दिसंबर को पेश किए गए केंद्रीय गृह मंत्रालय के डेटा से पता चला है कि 2019-2023 के बीच कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत केवल 335 लोगों को दोषी ठहराया गया है, जबकि इस दौरान कुल 10,440 गिरफ्तारियां हुई हैं।

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में कांग्रेस सांसद शफी परम्बिल के एक सवाल के लिखित जवाब में यह डेटा पेश किया। साथ ही यह भी बताया कि UAPA के तहत जेलों में बंद लोगों की सूची से संबंधित डेटा राज्यवार उपलब्ध नहीं है।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, यह डेटा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) द्वारा संकलित किया गया है, जिसे वह अपने वार्षिक प्रकाशन क्राइम इन इंडिया में प्रकाशित करता है।

जम्मू-कश्मीर में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे ज्यादा 3,662 गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन 2019-23 की अवधि में यहां केवल 23 लोगों को दोषी ठहराया गया।

वहीं उत्तर प्रदेश 2,805 गिरफ्तारियों के साथ दूसरे नंबर पर रहा, लेकिन इसी अवधि में यहां सबसे ज्यादा 222 लोगों को दोषी ठहराया गया — यानी पूरे देश की कुल सजाओं का दो-तिहाई से अधिक।

गिरफ्तारियों की उच्च संख्या वाले अन्य राज्यों में असम, मणिपुर और झारखंड शामिल हैं।

इससे पहले जुलाई में, गृह मंत्रालय ने संसद में बताया था कि 2018-2022 के बीच UAPA के तहत दर्ज सिर्फ दो मामलों को अदालतों ने रद्द किया था।

पिछले कुछ वर्षों में कई एक्टिविस्टों ने चिंता जताई है कि 1967 में लागू और बाद में कई बार कठोर बनाने के लिए संशोधित UAPA, सरकार के लिए विपक्ष की आवाज़ दबाने का एक साधन बन गया है। इस आतंकवाद-विरोधी कानून के तहत कई पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं।

खासकर 2019 का संशोधन — जिसने बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित करने की अनुमति दी — इसके दुरुपयोग की आशंका को और बढ़ाता है।

2019-2023 के दौरान UAPA के तहत गिरफ्तार किए गए कुछ प्रमुख व्यक्तियों में शामिल हैं:

● पत्रकार सिद्दीकी कप्पन (अक्टूबर 2020; फरवरी 2023 में रिहा)

● मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज (नवंबर 2021)

● कश्मीरी अलगाववादी यासीन मलिक (मई 2022)

● कश्मीरी पत्रकार इरफान मेहराज (मार्च 2023)

● आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी (अक्टूबर 2020; 2021 में जेल में मृत्यु)

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