यूपी:  लंबे समय तक प्रॉपर्टी बेचने की कोशिश पर कोई खरीदार नहीं आया तब मुस्लिम शख्स को बेचा, अब हिंदुत्ववादी समूह का विरोध

Written by sabrang india | Published on: December 4, 2025
उत्तर प्रदेश के मेरठ और बुलंदशहर में हिंदू बहुल इलाके में मुस्लिम शख्स के मकान खरीदने पर विवाद खड़ा हो गया है। दोनों ही जगहों के हिंदू विक्रेता का कहना है कि वे काफी समय मकान बेचने कोशिश कर रहे थे लेकिन कोई खरीदार नहीं आया तब मुस्लिम शख्स को मकान बेचा। इसको लेकर स्थानीय हिंदुत्ववादी समूह ने विरोध किया है। 




मेरठ और बुलंदशहर में मुस्लिम शख्स के प्रोपर्टी करने का विरोध

उत्तर प्रदेश के मेरठ में हिंदू बेचने वालों और मुस्लिम खरीदने वालों के बीच प्रॉपर्टी बेचने के कुछ दिनों बाद, स्थानीय हिंदू समूह ने स्थानीय पुलिस स्टेशन के पास प्रोटेस्ट किया और हनुमान चालीसा पढ़ी। बाद में, उन्होंने शहर के थापर नगर में विला के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ी।

उन्होंने जिसे “हिंदू पलायन” बताया, उसे रोकने का संकल्प लिया। उन्होंने मांग की कि प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन कैंसिल किया जाए और अगर इसे बेचना ही है तो इसे सिर्फ़ किसी हिंदू को ही बेचा जाए।

रविवार 30 नवंबर को तनाव उस समय और बढ़ गया जब पास के गुरुद्वारे के बाहर स्कूटर पर सवार दो अनजान लोगों ने मीट के टुकड़े फेंके। एक स्थानीय हिंदुत्ववादी नेता सचिन सिरोही के मुताबिक, ये उन लोगों का काम है जो विधर्मी (गैर-हिंदुओं के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला गाली) है।

मेरठ पुलिस की क्राइम ब्रांच के असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट आयुष सिंह ने PTI को बताया कि मीट गुरुद्वारे के पास एक बन रही बिल्डिंग में मिला। उन्होंने कहा, "शुरुआती जांच से पता चलता है कि अनजान लोगों ने जानबूझकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए मीट फेंका।"

बढ़ते गुस्से और प्रशासन की शांति की अपील के बीच, सईद को कार्डियक अरेस्ट हुआ और अभी मेरठ के एक हॉस्पिटल में उसका इलाज चल रहा है।

'अपनी सारी सेविंग्स खर्च कर दीं'

26 नवंबर को, 40 साल के सईद अहमद ने मेरठ के थापर नगर में वीना कालरा और उनके बेटे अनुभव कालरा का विला खरीदा, जो एक पॉश कॉलोनी है और जहां ज्यादातर सिख और हिंदू रहते हैं। सईद ने कालरा को उनके मुताबिक 1.46 करोड़ रूपये दिए और स्थानीय हिंदुत्ववादी समूह के विरोध के बाद तुरंत अपने परिवार के साथ रहने चले गए।

सईद के भाई शहरोज ने द वायर को बताया, “उसने यह प्रॉपर्टी खरीदने के लिए बहुत बड़ा लोन लिया था। हमारे पड़ोस में उसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। यह उसके पुराने बिजनेस के पास था और इसलिए उसने अपनी सारी सेविंग्स इस प्रॉपर्टी को खरीदने में खर्च कर दीं।”

शहरोज ने द वायर को बताया कि सईद और अनुभव के पिता, नरेश, दोनों एक ही इंडस्ट्री में काम करते थे और किसी समय BJP से जुड़े थे।

सईद के लिए यह एक फायदे का सौदा था क्योंकि कालरा दूध के होल सेलर थे। उसके भाई ने कहा, “उसे लगा था कि कालरा के पुराने कस्टमर मिल जाएंगे क्योंकि वह बाहर जा रहा था।”

कालरा परिवार के लिए भी यह उतनी ही अच्छी स्थिति थी। अनुभव और वीना के एक एफिडेविट में कहा गया है कि महीनों तक अपनी प्रॉपर्टी बेचने की कोशिश करने के बाद, उन्होंने आखिरकार इसे सईद को बेचने का फैसला किया क्योंकि उसने उन्हें अच्छी कीमत दी थी।

इसमें कहा गया है कि कुछ लोगों ने मुसलमानों को प्रॉपर्टी बेचने पर आपत्ति जताई, लेकिन बेचने वाले के तौर पर उन्हें खरीदार की पहचान से कोई आपत्ति नहीं है। “यह हमारी प्राइवेट प्रॉपर्टी है और जो भी मांगी गई रकम देगा, हम इसे उसे बेच देंगे और खरीदार को तुरंत कब्जा दे देंगे।”

‘मुसलमानों के लिए कोई इंसाफ नहीं’

हालांकि, प्रॉपर्टी की यह मामूली बिक्री अब एक बड़े सांप्रदायिक झगड़े में बदल रही है और पड़ोस में कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति पैदा कर रही है।

शहरोज ने कहा कि प्रॉपर्टी की चाबियां तीन महीने से स्थानीय MLA अमित अग्रवाल के पास थीं, क्योंकि कालरा परिवार को उम्मीद थी कि MLA उन्हें अच्छी डील दिलाने में मदद कर सकते हैं। जब वह सेल नहीं करवा पाए, तो सईद ने अनुभव को पैसे ऑफर किए और घर ले लिया।

शहरोज ने कहा, “हमने अभी तक कंप्लेंट फाइल नहीं की है, लेकिन अगर मेरे भाई को कुछ होता है, तो सचिन सिरोही जिम्मेदार होंगे। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि मुसलमानों के लिए कोई सुनवाई [इंसाफ] नहीं है।”

द क्विंट की रिपोर्ट के अनुसार, कई हिंदू संगठन सड़क पर उतर आए. थाने पर धरना दिया और कहा कि हिंदू परिवारों का पलायन नहीं होने दिया जाएगा।

स्थानीय लोग और कुछ हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों ने सदर थाना परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि कॉलोनी में मुस्लिम परिवार को बसने नहीं दिया जाएगा। यह पूरा मामला मेरठ के थापरनगर इलाके का है। 

बुलंदशहर में भी ऐसा ही मामला 

उधर दूसरा मामला बुलंदशहर के खुर्जा से सामने आया है। यहां मंदिर के सामने एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा मकान खरीदने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। द क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदीप शर्मा हनुमान टीला मोहल्ले में अपना मकान एक वर्ष तक बेचने की कोशिश कर रहे थे। मोहल्ले का कोई भी व्यक्ति खरीदने को तैयार नहीं था। इसके बाद उन्होंने मकान सलीम नाम के व्यक्ति को बेच दिया। रजिस्ट्री एक साल पहले हुई थी। इसके बाद भी प्रदीप शर्मा और उनका परिवार वहीं रह रहा था। अब कुछ लोग विरोध कर रहे हैं। मंदिर के सामने हड्डी फेंके जाने का आरोप भी लगाया गया। कई घरों के बाहर "पलायन" और "मकान बिकाऊ" के पोस्टर लगा दिए गए।

डेढ़ साल तक ग्राहक नहीं मिला तब सलीम को बेचा

सलीम को मकान बेचने वाले प्रदीप शर्मा ने एक वीडियो जारी कर कहा कि उन्होंने यह मकान अपनी मर्जी से बेचा है। डेढ़ साल तक कोई ग्राहक न मिलने के कारण उन्होंने सलीम को घर बेच दिया। उनका कहना है कि उन्हें पैसों की जरूरत थी और दूसरी जगह प्लॉट लेना था।

मकान विक्रेता प्रदीप शर्मा ने कहा, मैं दूसरे मोहल्ले में एक प्लॉट खरीदना चाहता था। मैंने डेढ़ साल से मोहल्ले में बता रखा था कि अपना मकान बेचना है, लेकिन कोई ग्राहक नहीं मिल रहा था। इसलिए मैंने यह मकान सलीम को बेच दिया।

खरीदने वाला मुस्लिम शख्स मकान बेचने को तैयार

रिपोर्ट के अनुसार, एसएसपी दिनेश सिंह ने वीडियो जारी कर बताया है कि दोनों पक्षों से बातचीत कर स्थिति संभालने की कोशिश की जा रही है। किसी भी तरह के पलायन को पुलिस ने खारिज किया है और मंदिर के पास हड्डी फेंके जाने की बात को भी गलत बताया है। 

सलीम बबलू ने पुष्टि की है कि मकान का बेनामा हो चुका है। उन्होंने यह भी कहा है कि यदि किसी को कोई समस्या हो रही है, तो वह मकान बेचने को तैयार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वे अभी मकान में रहने नहीं गए हैं और प्रदीप शर्मा का परिवार अभी भी वहीं रह रहा है।

पुलिस कार्रवाई पर सवाल

मेरठ और बुलंदशहर, दोनों मामलों में पुलिस का रुख कई गंभीर सवाल पैदा करता है। दोनों ही जगहों पर मुस्लिम खरीदारों ने पूरी तरह वैध प्रक्रिया के तहत संपत्ति खरीदी थी, न रजिस्ट्री में कोई खामी थी और न ही स्वामित्व को लेकर किसी तरह का विवाद। इसके बावजूद जैसे ही विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, पुलिस ने विरोध करने वालों की असंवैधानिक मांगों पर ध्यान देने के बजाय मुस्लिम परिवारों से “आपसी समाधान” और “समझौते” की अपील करनी शुरू कर दी। 

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