LAB ने राज्य के दर्जे और सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग वाला प्रस्ताव गृह मंत्रालय को सौंपा

Written by sabrang india | Published on: November 19, 2025
लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और उसे छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक संगठनों ने सोमवार को गृह मंत्रालय को 29 पन्नों का एक मसौदा प्रस्ताव सौंपा। इस प्रस्ताव में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक समेत हिरासत में लिए गए लद्दाख के अन्य स्थानीय लोगों की रिहाई की मांग भी शामिल है।



लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन से जुड़े सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक संगठनों ने सोमवार, 17 नवंबर को गृह मंत्रालय (एमएचए) को 29 पन्नों का एक विस्तृत मसौदा प्रस्ताव सौंपा।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रस्ताव लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के बैनर तले पेश किया गया। इसमें जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक समेत अन्य स्थानीय लोगों की रिहाई की मांग भी प्रमुख रूप से शामिल है।

लद्दाख बौद्ध संघ (LBA) के अध्यक्ष और LAB के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे लकरूक ने कहा, “हमने गृह मंत्रालय को 29 पन्नों का मसौदा प्रस्ताव सौंपा है। इसमें राज्य का दर्जा देने और लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांगों पर विशेष जोर दिया गया है।”

लकरूक ने बताया कि मसौदा प्रस्ताव में 24 सितंबर को लेह में हुई हिंसा के बाद गिरफ्तार या मुकदमे झेल रहे लोगों के लिए सामान्य माफी की मांग भी दर्ज की गई है।

उन्होंने आगे कहा, “हमारे देश में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां दंगों में शामिल लोगों या हथियार उठाने वालों को भी सामान्य माफी दी गई है। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि 24 सितंबर की घटना के बाद गिरफ्तार किए गए लोगों को भी उसी तरह माफी दी जाए।”

लकरूक ने यह भी पुष्टि की कि मसौदा प्रस्ताव में 59 वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग भी शामिल की गई है।

ज्ञात हो कि सोनम वांगचुक को सितंबर में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया था और तब से वे जेल में हैं।

सितंबर में लद्दाख और गृह मंत्रालय के बीच वार्ता गतिरोध में फंस गई थी। राज्य के दर्जे और छठी अनुसूची पर जल्द बातचीत की मांग को लेकर सोनम वांगचुक ने तीन सप्ताह तक भूख हड़ताल भी की थी।

वांगचुक के समर्थकों और स्थानीय लोगों ने 24 सितंबर को गृह मंत्रालय द्वारा वार्ता की घोषणा में देरी के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इसी दौरान हुई हिंसा में चार स्थानीय लोगों की मौत हो गई थी और करीब 90 लोग घायल हुए थे।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्टूबर को केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन को निर्देश दिया था कि वे हिरासत में लिए गए जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी, गीतांजलि आंगमो द्वारा दायर याचिका पर दस दिनों के भीतर जवाब दाखिल करें।

उल्लेखनीय है कि राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांगों पर एलएबी और करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) ने 22 अक्टूबर को गृह मंत्रालय के साथ वार्ता फिर से शुरू की थी।

रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिनिधिमंडल ने एलएबी के अध्यक्ष थुपस्तान छेवांग तथा केडीए के कमर अली अखून, असगर अली करबलाई और सज्जाद कारगिली की अध्यक्षता वाली उप-समिति के साथ बातचीत की। इसके अलावा लद्दाख के सांसद हाजी हनीफा भी इन चर्चाओं में शामिल थे।

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