यूपी : आरएसएस कार्यकर्ता ने बुजुर्ग दलित व्यक्ति को पेशाब चाटने पर मजबूर किया, आजाद सांसद ने इसे मानवता पर कलंक बताया

Written by sabrang india | Published on: October 22, 2025
यह घटना काकोरी थाना क्षेत्र के पुरानी बाजार के पास शीतल मंदिर मोहल्ले में हुई, जहां पीड़ित की पहचान रामपाल पासी के रूप में हुई है। पासी को कथित तौर पर अपमानजनक व्यवहार का सामना करना पड़ा।



उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक आरएसएस कार्यकर्ता ने एक दलित बुज़ुर्ग व्यक्ति को जातिवादी हिंसा का शिकार बनाया और कथित तौर पर उसे पेशाब चाटने के लिए मजबूर किया। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और दलित समूहों ने इसकी कड़ी निंदा की है। वहीं, सांसद चंद्रशेखर आजाद ने इसे मानवता पर कलंक बताते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना काकोरी थाना क्षेत्र के पुरानी बाजार के पास शीतल मंदिर मोहल्ले में हुई। पीड़ित की पहचान रामपाल पासी के रूप में हुई है। पासी को कथित तौर पर अपमानजनक व्यवहार का सामना करना पड़ा, जिसने एक बार फिर राज्य के कुछ हिस्सों में जाति-आधारित हिंसा को उजागर कर दिया है।

रिपोर्टों के अनुसार, बीमार व्यक्ति ने पानी पीते समय गलती से पानी गिरा दिया था, लेकिन कथित तौर पर एक आरएसएस कार्यकर्ता ने उस पर पेशाब करने का आरोप लगाया और क्रूरता दिखाते हुए, पानी लाने के बाद उसे चाटने के लिए मजबूर किया।

वहां मौजूद लोगों ने बताया कि बुज़ुर्ग पीड़ित को जातिवादी अपमान और गाली-गलौज का भी सामना करना पड़ा, जिससे उसका अपमान और बढ़ गया। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और दलित संगठनों ने इस घटना को सामंती अहंकार और जातिगत उत्पीड़न की अभिव्यक्ति बताते हुए निंदा की है। यह घटना ग्रामीण और शहरी उत्तर प्रदेश में हाशिए पर पड़े समुदायों के खिलाफ फैली सामाजिक नफरत को उजागर करती है।

उन्होंने इस हमले को न केवल शारीरिक हिंसा बताया, बल्कि एक बुजुर्ग दलित व्यक्ति की गरिमा और भावना को कुचलने का प्रयास भी कहा, जो समाज में गहराई तक समाए जातिगत पूर्वाग्रह की मानसिकता को दर्शाता है।

भीम आर्मी प्रमुख और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे संवैधानिक मूल्यों का अपमान बताया और उत्तर प्रदेश सरकार से निर्णायक कार्रवाई की मांग की। उन्होंने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी, साथ ही पीड़ित को चिकित्सा सहायता, सम्मानजनक मुआवजा और सुरक्षा का आश्वासन देने की मांग की।

स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने शुरू में मामला दर्ज करने में देरी की और कानून प्रवर्तन एजेंसियों पर जाति-संबंधी अपराधों में तब तक निष्क्रिय रहने का आरोप लगाया। हालांकि, बाद में काकोरी पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि की कि लिखित शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है।

पिछली घटनाएं

दलित और पिछड़ी जातियों के लोगों के साथ ऊँची जातियों द्वारा भेदभाव के मामले देश के विभिन्न हिस्सों में लगातार सामने आते रहते हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश के भिंड जिले से एक बेहद गंभीर और चौंकाने वाली घटना सामने आई है। एक दलित समुदाय के ड्राइवर ने तीन युवकों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़ित के अनुसार, आरोपियों ने उसे बंधक बनाकर न केवल बेरहमी से पीटा, बल्कि जबरन पेशाब पीने के लिए भी मजबूर किया।

मामले की सूचना मिलते ही पीड़ित को भिंड जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं, एडिशनल एसपी संजीव पाठक और कलेक्टर करोड़ी लाल मीणा अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने पीड़ित से मुलाकात कर पूरे मामले की जानकारी ली।

लाइव हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित युवक ने पुलिस को बताया कि वह पेशे से ड्राइवर है। पहले वह दतावली गांव के निवासी सोनू बरुआ की बोलेरो गाड़ी चलाता था, लेकिन कुछ दिन पहले उसने यह काम छोड़ दिया था। इसके बाद वह ग्वालियर के दीनदयाल नगर स्थित अपने ससुराल में रहने लगा।

ड्राइवर के अनुसार, सोमवार रात सोनू बरुआ अपने दो साथियों — आलोक पाठक (दतावली निवासी) और छोटू ओझा (भिंड निवासी) — के साथ उसके ससुराल पहुंचा। तीनों ने जबरन उसे अपनी कार में बैठाया और अगवा कर भिंड के सुरपुरा गांव ले गए।

पीड़ित ने आरोप लगाया कि सुरपुरा गांव लाने के बाद तीनों आरोपियों ने उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया। उसे बंधक बनाकर रखा गया, बेरहमी से पीटा गया और जबरन शराब पिलाई गई। पीड़ित का सबसे गंभीर आरोप यह है कि उसे जबरदस्ती पेशाब पीने के लिए मजबूर किया गया। मारपीट के चलते जब उसकी हालत बिगड़ने लगी, तो आरोपी उसे वहीं छोड़कर फरार हो गए। इसके बाद पीड़ित ने किसी तरह अपने परिवार को फोन कर घटना की जानकारी दी, जिसके बाद परिजनों ने उसे अस्पताल पहुंचाया।

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