भारत मुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष आरके आरतियन से हुई कथित बदसलूकी के खिलाफ सड़कों पर उतरे कई संगठन, पुलिस कार्यशैली पर उठे गंभीर सवाल।

साभार : द मूकनायक
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में पुलिस की कार्यशैली के खिलाफ गुरुवार को बड़ेबन क्षेत्र में माहौल तनावपूर्ण हो गया। भारत मुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष आरके आरतियन के साथ कथित अभद्र व्यवहार के विरोध में कई सामाजिक संगठनों ने एकजुट होकर जोरदार प्रदर्शन किया और पुलिस प्रशासन के प्रति नाराजगी जाहिर की। प्रदर्शन के दौरान, लालगंज थाना प्रभारी द्वारा आरके आरतियन का मुंह दबाने की कथित घटना ने स्थिति को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शन में शामिल लोगों ने सिविल लाइन चौकी इंचार्ज की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए उन्हें तत्काल पद से हटाने की मांग उठाई। इसके अतिरिक्त, प्रदर्शनकारियों ने लालगंज थाना क्षेत्र में एक नाबालिग बच्ची के साथ हुए अपराध में पुलिस की अब तक की कार्रवाई पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। उनका आरोप था कि पुलिस दलितों और गरीबों की आवाज़ को दबाने का प्रयास कर रही है।
स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोका जा सके। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने नायब तहसीलदार को जिलाधिकारी के नाम एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उनकी सभी मांगों का विस्तार से उल्लेख किया गया।
इस विरोध प्रदर्शन में समाजवादी बाबा साहब आम्बेडकर वाहिनी के जिलाध्यक्ष ऋतिक कुमार के साथ-साथ राम कुमार, अजय, सुनील, समर, सरिता और वृद्धेश राना सहित कई अन्य सामाजिक संगठनों के नेता और कार्यकर्ता भी सक्रिय रूप से शामिल हुए।
प्रदर्शनकारियों ने साफ चेतावनी दी है कि अगर आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ शीघ्र और ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो वे अपना आंदोलन पूरे प्रदेश में फैलाने पर मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि समाज के कमजोर वर्गों के प्रतिनिधियों के साथ इस तरह का व्यवहार किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए भारत मुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष आरके आरतियन ने बस्ती जनपद के पुलिस अधीक्षक की कार्यशैली पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "बस्ती में जो पुलिस कप्तान तैनात हैं, वे बहुत सीधे हैं, लेकिन कार्रवाई के मामले में भेदभाव स्पष्ट दिखता है। अगर किसी ओबीसी, एससी या एसटी पर कार्रवाई करनी हो तो तुरंत कर दी जाती है, लेकिन जब मामला किसी सवर्ण पर कार्रवाई का होता है, तो वे स्वयं भी हिचकते हैं।" उन्होंने आगे कहा, "जैसे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को ओबीसी बताते हैं, लेकिन असल में उन्हें चलाने वाले आरएसएस के ब्राह्मण वर्ग के लोग हैं। इसी तरह यहां भी कुछ अधिकारियों को नियंत्रण में रखने वाले स्थानीय स्तर पर ब्राह्मण अधिकारी ही हैं।"
आरके आरतियन ने आगे कहा कि उन्हें अपने साथ हुए अन्याय और अत्याचार की पूरी जानकारी है। उन्होंने बताया कि अभी तो यह केवल एक झांकी भर है और असली आंदोलन अभी बाकी है। अगर अब जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो वे बस्ती जनपद में बड़ा आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।
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साभार : द मूकनायक
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में पुलिस की कार्यशैली के खिलाफ गुरुवार को बड़ेबन क्षेत्र में माहौल तनावपूर्ण हो गया। भारत मुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष आरके आरतियन के साथ कथित अभद्र व्यवहार के विरोध में कई सामाजिक संगठनों ने एकजुट होकर जोरदार प्रदर्शन किया और पुलिस प्रशासन के प्रति नाराजगी जाहिर की। प्रदर्शन के दौरान, लालगंज थाना प्रभारी द्वारा आरके आरतियन का मुंह दबाने की कथित घटना ने स्थिति को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शन में शामिल लोगों ने सिविल लाइन चौकी इंचार्ज की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए उन्हें तत्काल पद से हटाने की मांग उठाई। इसके अतिरिक्त, प्रदर्शनकारियों ने लालगंज थाना क्षेत्र में एक नाबालिग बच्ची के साथ हुए अपराध में पुलिस की अब तक की कार्रवाई पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। उनका आरोप था कि पुलिस दलितों और गरीबों की आवाज़ को दबाने का प्रयास कर रही है।
स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोका जा सके। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने नायब तहसीलदार को जिलाधिकारी के नाम एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उनकी सभी मांगों का विस्तार से उल्लेख किया गया।
इस विरोध प्रदर्शन में समाजवादी बाबा साहब आम्बेडकर वाहिनी के जिलाध्यक्ष ऋतिक कुमार के साथ-साथ राम कुमार, अजय, सुनील, समर, सरिता और वृद्धेश राना सहित कई अन्य सामाजिक संगठनों के नेता और कार्यकर्ता भी सक्रिय रूप से शामिल हुए।
प्रदर्शनकारियों ने साफ चेतावनी दी है कि अगर आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ शीघ्र और ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो वे अपना आंदोलन पूरे प्रदेश में फैलाने पर मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि समाज के कमजोर वर्गों के प्रतिनिधियों के साथ इस तरह का व्यवहार किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए भारत मुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष आरके आरतियन ने बस्ती जनपद के पुलिस अधीक्षक की कार्यशैली पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "बस्ती में जो पुलिस कप्तान तैनात हैं, वे बहुत सीधे हैं, लेकिन कार्रवाई के मामले में भेदभाव स्पष्ट दिखता है। अगर किसी ओबीसी, एससी या एसटी पर कार्रवाई करनी हो तो तुरंत कर दी जाती है, लेकिन जब मामला किसी सवर्ण पर कार्रवाई का होता है, तो वे स्वयं भी हिचकते हैं।" उन्होंने आगे कहा, "जैसे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को ओबीसी बताते हैं, लेकिन असल में उन्हें चलाने वाले आरएसएस के ब्राह्मण वर्ग के लोग हैं। इसी तरह यहां भी कुछ अधिकारियों को नियंत्रण में रखने वाले स्थानीय स्तर पर ब्राह्मण अधिकारी ही हैं।"
आरके आरतियन ने आगे कहा कि उन्हें अपने साथ हुए अन्याय और अत्याचार की पूरी जानकारी है। उन्होंने बताया कि अभी तो यह केवल एक झांकी भर है और असली आंदोलन अभी बाकी है। अगर अब जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो वे बस्ती जनपद में बड़ा आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।
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