मध्य प्रदेश : कर्ज के बोझ से दबे दलित किसान परिवार में पिता और 2 वर्षीय बेटे की संदिग्ध मौत, पत्नी-बेटा अस्पताल में भर्ती

Written by sabrang india | Published on: September 22, 2025
जिला अस्पताल के डॉक्टर डॉ. आशीष शुक्ला ने बताया कि परिवार ने रात में आलू की सब्जी खाई थी। खाने के कुछ ही समय बाद सभी को उल्टियां और बेचैनी की शिकायत हुई। डॉ. शुक्ला के अनुसार, नंदिनी की हालत अब स्थिर है और इलाज जारी है, लेकिन बड़ा बेटा तनिष्क अभी भी गंभीर है।


साभार : द मूकनायक 

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के ओरछा रोड थाना क्षेत्र में शुक्रवार रात एक दर्दनाक हादसा हुआ। एक ही दलित परिवार के चार सदस्य रात का खाना खाने के बाद अचानक गंभीर रूप से बीमार हो गए। इनमें 35 वर्षीय किसान प्रकाश अहिरवार और उनके दो वर्षीय बेटे निहाल की मौत हो गई, जबकि पत्नी नंदिनी (29) और बड़ा बेटा तनिष्क गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती हैं। फिलहाल घटना के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं। प्रारंभिक तौर पर यह घटना सामूहिक आत्महत्या प्रतीत होती है।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार रात यह परिवार रोज की तरह साथ बैठकर खाना खा रहा था। लेकिन कुछ ही देर बाद प्रकाश अहिरवार को पेट में तेज दर्द और उल्टियां होने लगीं। शुरुआत में परिजनों ने इसे सामान्य अस्वस्थता समझा, लेकिन रात बढ़ने के साथ उनकी हालत बिगड़ती गई। तभी दो वर्षीय बेटे निहाल की भी तबीयत खराब हो गई। दोनों को आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

जिला अस्पताल के डॉक्टर डॉ. आशीष शुक्ला ने बताया कि परिवार ने रात में आलू की सब्जी खाई थी। खाने के कुछ ही समय बाद सभी को उल्टियां और बेचैनी की शिकायत हुई। डॉ. शुक्ला के अनुसार, नंदिनी की हालत अब स्थिर है और इलाज जारी है, लेकिन बड़ा बेटा तनिष्क अभी भी गंभीर है।

प्रकाश अहिरवार किसान थे और खेती के लिए उन्होंने ट्रैक्टर फाइनेंस कराया था। परिजनों के अनुसार, लगातार फसल खराब होने की वजह से वे समय पर किस्तें नहीं चुका पा रहे थे। आर्थिक तंगी के बीच फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी उनके घर पहुंचे और 30–40 हजार रुपये की बकाया किस्त जल्द चुकाने का दबाव बनाया। परिजनों का आरोप है कि कर्मचारियों ने किस्त न भरने पर ट्रैक्टर जब्त करने की धमकी दी थी।

मृतक के परिजनों ने कंपनी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि कर्मचारी जबरन प्रकाश से एक आवेदन पत्र पर अंगूठा और हस्ताक्षर करवा ले गए। उस आवेदन में कथित तौर पर लिखा था कि प्रकाश ने कंपनी से 4 लाख रुपये का कर्ज लिया है और वह 25 सितंबर तक पूरी राशि चुका देंगे। इसमें यह शर्त भी शामिल थी कि तय तारीख तक भुगतान न होने पर कंपनी उनका ट्रैक्टर, मकान और जमीन जब्त कर सकती है।

परिजनों का मानना है कि कंपनी के दबाव और जबरन लिए गए आवेदन ने प्रकाश को मानसिक रूप से पूरी तरह तोड़ दिया। सभी सदस्यों की अचानक तबीयत बिगड़ना इस आशंका को बल देता है कि कर्ज और सामाजिक-आर्थिक दबाव से त्रस्त होकर परिवार ने यह कठोर कदम उठाया होगा। हालांकि, इसकी पुष्टि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और पुलिस जांच के बाद ही हो पाएगी।

परिजनों के अनुसार, प्रकाश पिछले कुछ दिनों से मानसिक रूप से बेहद तनाव में थे। फाइनेंस कंपनी की धमकियों और किस्त न चुका पाने की चिंता ने उन्हें भीतर से तोड़ दिया था। घटना वाले दिन वे टीवी की मरम्मत कराकर घर लौटे थे और रोज की तरह परिवार के साथ खाना खाया था। किसी को अंदाजा नहीं था कि यह रात उनके जीवन की आखिरी घड़ी होगी।

इस घटना पर छतरपुर के सीएसपी अरुण कुमार सोनी ने कहा कि जांच जारी है। उन्होंने बताया, “पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि मौत किस कारण हुई है। रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।”

प्रकाश अहिरवार और उनके परिवार की यह घटना उस व्यापक संकट की झलक है, जिससे देशभर के हजारों किसान गुजर रहे हैं। कर्ज, किस्तों का दबाव, संस्थागत असंवेदनशीलता और आर्थिक असुरक्षा मिलकर ऐसा जाल बुनते हैं, जिसमें सबसे कमजोर वर्ग सबसे पहले फंस जाता है।

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