यौन उत्पीड़न आरोपों के बाद साहित्य अकादमी सचिव पर कार्रवाई की मांग तेज, ‘उन्मेष 2025’ के बहिष्कार की अपील

Written by sabrang india | Published on: September 22, 2025
साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवास राव पर लगे यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों को लेकर कई लेखक संगठनों और महिला संगठनों ने उनकी तत्काल बर्खास्तगी की मांग की है।



साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवास राव पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों और दिल्ली हाईकोर्ट के हालिया निर्देशों को लेकर विभिन्न संगठनों और लेखकों ने प्रतिक्रिया दी है और कठोर कार्रवाई की मांग की है। इसके साथ ही, 25 से 28 सितंबर को पटना में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष 2025’ के बहिष्कार की भी अपील की जा रही है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने साहित्य अकादेमी द्वारा यौन उत्पीड़न की शिकायत करने वाली महिला कर्मचारी की बर्खास्तगी को गैरकानूनी और प्रतिशोध की कार्रवाई करार देते हुए महिला को उनके पद पर बहाल करने का आदेश दिया है। साथ ही अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि अकादमी के सचिव पर लगे आरोपों की जांच शीघ्र पूरी की जाए।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बर्ख़ास्तगी को अवैध और बदले की कार्रवाई मानते हुए, महिला को उनके पद पर फिर से नियुक्त कर दिया है। साथ ही आदेश दिया है कि आरोपी सचिव के ख़िलाफ़ जांच जल्द से जल्द पूरी की जाए।

बिहार महिला समाज ने एक बयान जारी कर साहित्य अकादेमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवास राव को तुरंत पद से हटाने की मांग की है। संगठन ने कहा है कि ऐसे गंभीर आरोपों के बावजूद राव का पद पर बने रहना ‘बलात्कार संस्कृति’ को बढ़ावा देने के समान है। साथ ही, संगठन ने बिहार के लेखकों और साहित्यकारों से अपील की है कि वे पटना में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष 2025’ का बहिष्कार करें।

संगठन ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार लगातार यौन हिंसा के आरोपियों को संरक्षण और सम्मान दे रही है। बिहार महिला समाज की अध्यक्ष निवेदिता झा ने कहा, "यह बेहद शर्मनाक है कि साहित्य अकादमी ने पीड़िता का साथ देने के बजाय उसे नौकरी से हटा दिया।" उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बर्खास्तगी को प्रतिशोध की कार्रवाई मानते हुए पीड़ित महिला को पुनः पद पर बहाल करने का निर्देश दिया है।

निवेदिता झा ने एक अन्य सोशल मीडिया पोस्ट में खुलासा किया कि ‘उन्मेष 2025’ साहित्य उत्सव के लिए एक ग्रुप बनाया गया था, जिसमें सभी साहित्यकारों से उनके पते मांगे जा रहे थे। उन्होंने लिखा, “मैं भी उस ग्रुप में शामिल थी, लेकिन जब मुझे साहित्य अकादमी से जुड़े यौन उत्पीड़न के प्रकरण की जानकारी मिली, तो मैंने समारोह के बहिष्कार और अकादमी के सचिव की बर्खास्तगी की मांग की। जैसे ही मैंने इस मुद्दे पर ग्रुप में लिखा, मेरा मैसेज डिलीट कर दिया गया और ग्रुप को ‘ओनली फॉर एडमिन’ मोड में कर दिया गया।”

जनवादी लेखक संघ के महासचिव संजीव कुमार ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी – "साहित्य अकादमी जैसी प्रतिष्ठित संस्था किस गिरावट पर पहुंच गई है! यह बेहद शर्मनाक है!"

वरिष्ठ पत्रकार और लेखक ओम थानवी ने कहा, “यदि साहित्य अकादमी का प्रशासन यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोपों से घिरा रहेगा, तो इसकी छवि केवल संस्था तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि पूरा साहित्यिक जगत इसकी बदनामी झेलेगा। अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक को मैं चंडीगढ़ से जानता हूं - वे इस संकट की गंभीरता को समझ सकते हैं। उन्हें चाहिए कि वे अकादमी की प्रतिष्ठा को दुराचार जैसे संगीन विवादों से सुरक्षित रखें।”

'आलोचना' पत्रिका के संपादक आशुतोष कुमार ने साहित्य अकादमी के सचिव पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर द वायर की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट इतनी भयावह है कि इसे पूरा पढ़ना भी कठिन है। उन्होंने आरोप लगाया कि “यह व्यक्ति, जो एक तरह का सीरियल अपराधी प्रतीत होता है, अब तक अपने पद पर बना हुआ है - जो गहरी चिंता का विषय है।” आशुतोष कुमार ने यह भी कहा कि अदालत पहले ही यह स्थापित कर चुकी है कि सचिव ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए न केवल जांच में बाधा डाली, बल्कि उत्पीड़न जारी रखने की कोशिश भी की। उन्होंने लेखकों से आह्वान किया कि जब तक आरोपी सचिव को पद से हटाया नहीं जाता, तब तक साहित्य अकादमी से पूर्ण असहयोग किया जाना चाहिए और उसके सभी कार्यक्रमों का बहिष्कार किया जाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “यौन उत्पीड़न के आरोपी के पद पर रहते हुए, अकादमी के किसी भी आयोजन में भाग लेना उस कलंक का हिस्सा बनने जैसा है।”

जन संस्कृति मंच ने एक औपचारिक प्रस्ताव जारी करते हुए साहित्य अकादमी के सचिव की तत्काल बर्खास्तगी की मांग की है। मंच ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पीड़िता की सेवा में बहाली का आदेश इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सचिव पर लगे आरोप न केवल गंभीर हैं। मंच ने तीन मांगे रखी हैं-

1. डॉ. के. श्रीनिवास राव को तत्काल उनके पद से बर्खास्त किया जाए, ताकि मामले की निष्पक्ष जांच हो सके और न्याय की प्रक्रिया प्रभावित न हो.

2. हम सभी लेखकों, साहित्यकारों से साहित्य अकादमी के आरोपी सचिव की बर्खास्तगी तक साहित्य अकादमी के कार्यक्रमों का बहिष्कार करने की अपील करते हैं.

3 पटना में मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा राजभाषा विभाग (जो मुख्यमंत्री के अधीन है) ने साहित्य अकादमी सचिव को ‘बाबू गंगा शरण सिंह पुरस्कार’ प्रदान किया, जबकि यौन उत्पीड़न का मामला वर्ष 2018 से लंबित है. बिहार सरकार से हम इस पुरस्कार को वापिस लेने की मांग करते हैं.

मंच ने लिखा है, ‘यह प्रस्ताव पीड़िता के साथ एकजुटता और सांस्कृतिक इदारों में हर व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए है।’

स्त्री के मुद्दों पर केंद्रित संस्था ‘स्त्रीकाल’ ने भी सचिव के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की मांग की है।

इस बीच, 'स्त्रीकाल' की पहल पर गठित नागरिक जांच समिति ने कुछ महीने पहले पटना की 'नई धारा' राइटर्स रेज़िडेंसी में हुए कथित यौन उत्पीड़न के मामले पर अपनी अंतरिम रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में समिति ने पाया कि घटना के बाद न केवल संबंधित संस्था और निर्णायक मंडल ने अपनी जिम्मेदारी से किनारा कर लिया, बल्कि पीड़िता को सोशल मीडिया पर भी हमलों का सामना करना पड़ा। बड़े साहित्यिक संगठनों की ओर से भी इस गंभीर मामले पर चुप्पी साध ली गई। समिति ने इस मामले को उदाहरण के रूप में पेश करते हुए कहा कि साहित्यिक आयोजनों में जेंडर और जाति के प्रति संवेदनशीलता की बेहद कमी है।

उल्लेखनीय है कि साहित्य अकादमी और संस्कृति मंत्रालय, बिहार सरकार के सहयोग से 25 से 28 सितंबर के बीच पटना में ‘उन्मेष : अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव’ का आयोजन करने जा रहे हैं। अकादमी के अनुसार, इस चार दिवसीय कार्यक्रम में 90 से अधिक सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें देश-विदेश की 100 भाषाओं का प्रतिनिधित्व होगा और 550 से अधिक लेखक, कवि और विद्वान शामिल होंगे।

उधर लगातार बढ़ते विरोध और बहिष्कार की अपीलों के बीच इस आयोजन को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।

Related

साहित्य अकादमी सचिव पर यौन उत्पीड़न का आरोप, कोर्ट ने पीड़िता को फिर से नियुक्त करने का आदेश दिया

एआई के जरिए गढ़ा गया डर: असम बीजेपी का वीडियो और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण 

बाकी ख़बरें