यूपी में मौलाना को निशाना बना कर हमला: टोपी छीनी, दाढ़ी खींची, जान मारने की धमकी दी

Written by sabrang india | Published on: September 4, 2025
यह घटना उस समय हुई जब मौलाना अहमद गोंडा कचहरी से अपने घर लौट रहे थे और रास्ते में भिलही बाजार में चाय के लिए रुके थे। तभी कुछ युवकों के एक समूह ने उन्हें घेर लिया, उनकी टोपी छीन ली, दाढ़ी खींची और उनके खिलाफ सांप्रदायिक गालियां दीं।



एक मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना इश्के अहमद पर उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में हमले की घटना सामने आई है। यह घटना उनके धार्मिक पहचान को निशाना बनाते हुए हेट क्राइम की लगती है।

FIR के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब मौलाना अहमद गोंडा कचहरी से अपने घर लौट रहे थे और रास्ते में भिलही बाजार में चाय के लिए रुके थे। तभी कुछ युवकों के एक समूह ने उन्हें घेर लिया, उनकी टोपी छीन ली, दाढ़ी खींची और उनके खिलाफ सांप्रदायिक गालियां दीं।

इसके बाद मौलाना को जबरदस्ती धार्मिक नारे लगवाने के लिए मजबूर किया गया। हमलावरों ने इससे भी आगे बढ़ते हुए उन्हें सूअर का मांस खिलाने की धमकी दी जो कि उनके धर्म का भारी अपमान करने की नीयत से कहा गया। इनमें से एक व्यक्ति ने कथित तौर पर कहा, “इस मुल्ले को मारकर रेलवे ट्रैक पर फेंक देना चाहिए।”

डरे हुए और अकेले पड़े मौलाना अहमद किसी तरह वहां से जान बचाकर भागने में सफल रहे और बाद में अपने परिवार को इस भयावह घटना के बारे में बताया। पुलिस शिकायत में यह पुष्टि की गई है कि उन्हें उनके धर्म के कारण अपमानित किया गया, हमला किया गया और जान से मारने की धमकी दी गई।

मुस्लिम अल्पसंख्यकों को धार्मिक आधार पर निशाना बनाने, उनका अपमान करने और उन पर हमला करने की घटना पिछले करीब एक दशक में तेजी से बढ़े हैं। पिछले महीने उत्तर प्रदेश के एक 26 वर्षीय मुस्लिम युवक को गुजरात में बेरहमी से पीटा गया और बाद में दिल्ली-एनसीआर के कई अस्पतालों में उसे इलाज से वंचित कर दिया गया।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बहराइच के रहने वाले मोहम्मद शोएब 14 अगस्त को मुंबई से निकले थे जब उन्हें वहां काम नहीं मिला। वे रोजगार की तलाश में दिल्ली जा रहे थे। लेकिन उनका यह सफर सूरत रेलवे स्टेशन के पास एक त्रासदी में उस समय बदल गया, जब ट्रेन से उतरते ही कुछ अज्ञात लोगों ने उन पर हमला कर दिया। उन्हें इतनी बुरी तरह पीटा गया कि वह बेहोश हो गए, और फिर किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा एक ट्रेन में दिल्ली भेज दिया गया।

जब मोहम्मद शोएब दिल्ली के हजरत निज़ामुद्दीन स्टेशन पहुंचे, तब तक वह कमजोरी, भूख और गंभीर चोटों काफी परेशान थे। किसी तरह उन्होंने अपने परिवार से संपर्क किया, जिसके बाद उनके परिजन पहुंचे और उन्हें तुरंत अस्पताल ले गए। हालांकि, उनके चाचा के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर के कई अस्पतालों ने उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया।

शोएब के चाचा ने बताया, “उसे कई दिनों से खाना नहीं मिला था, शरीर में कोई ताकत नहीं थी और कोई अस्पताल हमारी मदद करने को तैयार नहीं था।”

“आखिरकार गाजियाबाद के एक अस्पताल ने उसे भर्ती किया, लेकिन शर्त रखी कि पहले 4,40,000 रूपये जमा करने होंगे। हमें उसकी जान बचाने के लिए कर्ज लेना पड़ा।”

स्वतंत्रता दिवस पर मुस्लिम अल्पसंख्यक को निशाना बनाने का अजीबो गरीब मामला सामने आया था। गुजरात के भावनगर में नगर निगम के एक स्कूल में स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान एक नाटक प्रदर्शित हुआ, जिसके कारण विवाद खड़ा हो गया। इस नाटक में छात्राओं को बुर्का पहनाकर आतंकवादी के रूप में दिखाया गया, जिसकी काफी आलोचना की गई।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद आधिकारिक जांच की मांग की गई।

बताया गया कि यह नाटक में सफेद सलवार-कमीज और नारंगी दुपट्टा पहने लड़कियां पृष्ठभूमि में बज रहे शांतिपूर्ण कश्मीर का वर्णन करने वाले गीत पर नृत्य करती दिखीं। अगले दृश्य में, बुर्का पहने कुछ लड़कियां, जो आतंकवादियों की भूमिका में थीं, बंदूकें लिए प्रवेश करती हैं और नृत्य कर रही लड़कियों पर गोली चलाती हैं। यह नाटक कथित तौर पर पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर आधारित था।

इस नाटक का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। छात्राओं को आतंकवादियों के रूप में दिखाने के लिए बुर्का पहनाने को लेकर कड़ी आलोचना हुआ। कई लोगों का कहना था कि इससे सांप्रदायिक भावनाएं आहत हो सकती हैं।

बता दें कि गत 11 अगस्त को फतेहपुर के आबू नगर इलाके में उस समय हिंसक झड़प हुई, जब विभिन्न हिंदुत्ववादी संगठनों से जुड़ी भीड़ ने एक प्राचीन मकबरे पर धावा बोल दिया। इस दौरान उन्होंने मकबरे पर भगवा झंडे फहराए, भीतर हिंदू धार्मिक अनुष्ठान किए और सुरक्षा बलों की मौजूदगी में कब्रों में तोड़फोड़ की।

घटना के बाद मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के साथ पथराव और झड़पें हुईं, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। इस घटनाक्रम ने राजनीतिक हलकों में आक्रोश पैदा कर दिया और भारतीय जनता पार्टी शासित उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए।

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