यूपी: कांवड़ यात्रा के दौरान मुस्लिम दुकानदारों की पहचान कर रहे स्वामी यशवीर, सरकार मौन

Written by sabrang india | Published on: July 14, 2025
यशवीर महाराज कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों और ढाबों पर क्यूआर कोड स्कैन कर रहे हैं, जिनमें दुकानदारों की धार्मिक पहचान से संबंधित जानकारी होती है। यशवीर और उनके समर्थक ‘हिंदू दुकानों’ पर भगवान की तस्वीरें और भगवा झंडा लगाकर कांवड़ियों को यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि वे कहां भोजन करें और कहां से सामान खरीदें।



11 जुलाई से सावन माह की शुरुआत के साथ ही उत्तर भारत के कई शहरों से कांवड़ यात्राएं निकलनी शुरू हो गई हैं। इसी दौरान, उत्तर प्रदेश के रहने वाले एक स्वयंभू संत, स्वामी यशवीर ने ‘कांवड़ यात्रा मार्ग को गैर-सनातनियों से शुद्ध करने’ का एक अभियान शुरू कर दिया है।

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, इसे करने के लिए अब वे योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए एक हाई-टेक टूल ‘विशेष क्यूआर कोड’ का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके जरिए वे बेखौफ होकर दुकानों और ढाबों पर जाकर कर्मचारियों से पूछताछ करते हैं और कई बार उन्हें डराने-धमकाने से भी नहीं चूकते।

मुज़फ्फरनगर के रहने वाले स्वामी यशवीर महाराज बुधवार 9 जुलाई को अपने समर्थकों के साथ गाजियाबाद के मोहन नगर इलाके में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित दुकानों और ढाबों पर पहुंचे। उन्होंने वहां लगाए गए क्यूआर कोड स्कैन किए, जिनमें दुकानदारों और कर्मचारियों की पहचान संबंधी जानकारी दर्ज थी। इसके बाद, यशवीर और उनके साथियों ने उन दुकानों पर ‘भगवान वराह’ की तस्वीरें लगाईं और भगवा झंडे भी लगाए।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित ढाबों और दुकानों को निर्देश दिया है कि वे अपने पंजीकृत नाम और विशेष क्यूआर कोड वाले बोर्ड प्रदर्शित करें। यह क्यूआर कोड देखने में तो गुणवत्ता नियंत्रण और उपभोक्ता प्रतिक्रिया प्रणाली का हिस्सा लगता है, लेकिन इसके जरिए दुकानदारों के नाम के साथ-साथ उनके धर्म से जुड़ी जानकारी भी सामने आती है।

स्वामी यशवीर ने मीडिया से बातचीत में कहा, "मैं कोई छापेमारी नहीं कर रहा हूं। मैं केवल दुकानदारों को भगवान वराह की तस्वीरें दे रहा हूं और 'ॐ' अंकित भगवा झंडा लगा रहा हूं। मेरा उद्देश्य यह है कि कांवड़ियों को यह जानकारी दी जाए कि उन्हें कहां भोजन करना चाहिए और कहां से सामान खरीदना सही रहेगा।"

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं सनातन धर्म के ख़िलाफ़ कोई गतिविधि नहीं होने दूंगा और कांवड़ मार्गों को शुद्ध करता रहूंगा।’

मालूम हो कि स्वामी यशवीर को राज्य सरकार की ओर से दो सशस्त्र पुलिसकर्मियों की सुरक्षा दी गई है।

हालांकि अब तक पुलिस ने स्वामी यशवीर के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की है। केवल उनके कुछ अनुयायियों को नोटिस जारी किए गए हैं। पुलिस ने एक औपचारिक बयान में कहा है कि वह किसी को भी परेशान नहीं होने देगी।

मुज़फ्फरनगर के पुलिस अधीक्षक सत्यनारायण प्रजापति ने कहा, "किसी भी दुकानदार से उसकी पहचान बताने के लिए नहीं कहा गया है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। जो लोग पहले गड़बड़ी कर चुके हैं, उन्हें चेतावनी दी गई है।"

हालांकि, मुज़फ्फरनगर के डालौदा गांव में ढाबा संचालित करने वाले धीरज मलिक ने आरोप लगाया कि कुछ कांवड़ियों ने उनके ढाबे में तोड़फोड़ की।

धीरज मलिक ने बताया, "हरियाणा से आए चार कांवड़ियों ने रोटी, चावल, दाल और सब्जी मांगी। लेकिन खाना खाने के बाद वे कुर्सियां तोड़ने लगे और आरोप लगाया कि सब्जी में प्याज था, जो श्रावण महीने में वर्जित माना जाता है। अगर उन्हें प्याज नहीं खाना था, तो वे पहले ही बता सकते थे, न कि खाना खाकर हंगामा करते।"

पुलिस अधीक्षक प्रजापति ने बताया, "खाने में प्याज को लेकर विवाद हुआ था, लेकिन पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंच कर स्थिति को नियंत्रित कर लिया।"

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते से स्वामी यशवीर ने कांवड़ मार्ग पर स्थित ढाबों की ‘छापेमारी’ शुरू की थी। उनके समर्थकों पर आरोप है कि उन्होंने कुछ मुस्लिम दुकानदारों पर यह आरोप लगाकर हमला किया कि उन्होंने अपने प्रतिष्ठानों पर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें और नाम लगाए हैं।

ऐसा भी आरोप है कि उन्होंने एक ढाबा कर्मचारी से जबरन उसके धर्म की पुष्टि करने के लिए कपड़े उतारने को कहा, क्योंकि उन्हें शक था कि वह मुस्लिम है जबकि वह खुद को हिंदू बता रहा था।

इस बीच, मंगलवार को मेरठ में कांवड़ यात्रा से पहले सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के दौरान, उत्तर प्रदेश के डीजीपी राजीव कृष्ण ने कहा कि ‘यात्रा मार्गों पर शांति बनाए रखने के लिए पुलिस पूरी तरह से तैयार है।’

उन्होंने स्पष्ट किया, "खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों को छोड़कर कोई भी ढाबा मालिकों से उनकी पहचान नहीं पूछ सकता। यदि कोई संगठन या समूह ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"

ज्ञात हो कि बीते साल द वायर हिंदी ने एक रिपोर्ट में बताया था कि किस तरह पश्चिमी यूपी में कांवड़ यात्रा के दौरान ढाबों की धार्मिक पहचान एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरी थी, जिसके बाद कांवड़ मार्ग पर ढाबों के नाम बदलने की शुरुआत हुई थी।

मुजफ्फरनगर जनपद के शामली मार्ग पर यशवीर महाराज का आश्रम स्थित है। कोरोना महामारी के बाद जब कांवड़ यात्रा फिर से शुरू हुई, तो हिंदुत्ववादी छवि वाले यशवीर महाराज ने मुजफ्फरनगर पुलिस को 50 से ज्यादा ढाबों की एक सूची सौंपी। उन्होंने दावा किया कि शुद्ध शाकाहारी होने का बोर्ड लगाने वाले और हिंदू नाम वाले कई ढाबा मालिक मुसलमान हैं, जिसके कारण कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िए भ्रम में पड़ जाते हैं।

उनका कहना था कि कांवड़ यात्रा के दौरान इन ढाबों को बंद किया जाना चाहिए या उन्हें अपने प्रतिष्ठानों पर अपनी असली पहचान स्पष्ट रूप से लिखनी चाहिए, क्योंकि यहां भोजन करने से कांवड़ियों का धर्म प्रभावित हो सकता है।

तब पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया, जिससे यशवीर महाराज नाराज हो गए और उन्होंने मुजफ्फरनगर में धरना देना शुरू कर दिया। उनके आक्रामक भाषण लगातार बढ़ने लगे। सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका के बीच यह मामला लखनऊ तक पहुंच गया।

इसके बाद, साल 2022 में इन सभी ढाबों का सत्यापन कराया गया और ढाबा मालिकों तथा वहां काम करने वाले कर्मचारियों की सूची तैयार की गई। 2023 में बिना किसी लिखित आदेश के कई मुस्लिम मालिकों के ढाबे बंद करा दिए गए। 2024 में और आगे बढ़ते हुए, 230 किलोमीटर लंबे कांवड़ मार्ग पर सभी प्रकार की दुकानों को चिन्हित कर उनकी पहचान स्पष्ट करने के निर्देश जारी किए गए। हिंदू ढाबा मालिकों से मुस्लिम कर्मचारियों को छुट्टी देने को कहा गया, जबकि मुस्लिम ढाबा मालिकों को या तो मुस्लिम नाम रखने या अपने ढाबे बंद रखने के आदेश दिए गए।

हालांकि, पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों को यह स्पष्ट करते हुए झटका दिया था कि कांवड़ मार्ग के भोजनालयों पर दुकानदारों के नाम का होना अनिवार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ यह जानकारी देना पर्याप्त है कि ग्राहकों को किस प्रकार का भोजन परोसा जा रहा है।

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