राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा कि दलित, अनुसूचित जनजाति (एसटी), अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अल्पसंख्यक छात्रों के लिए आवासीय छात्रावासों की स्थिति 'दयनीय' है। उन्होंने इन छात्रों के लिए मैट्रिक के बाद छात्रवृत्ति देने में देरी का मुद्दा उठाया।

विपक्षी नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दलित, अनुसूचित जनजाति (एसटी), अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अल्पसंख्यक छात्रों के लिए बने आवासीय छात्रावासों की ‘दयनीय’ स्थिति की ओर ध्यान दिलाया है।
रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी ने अपने पत्र में वंचित समुदायों से संबंधित छात्रों को मैट्रिक के बाद दी जाने वाली छात्रवृत्ति में हो रही देरी का भी उल्लेख किया और प्रधानमंत्री से इन दोनों अहम मुद्दों के शीघ्र समाधान की अपील की।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के कारण इन वर्गों के लगभग 90 प्रतिशत छात्रों की शिक्षा में बाधा उत्पन्न हो रही है।
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने यह पत्र 10 जून को लिखा। इसमें उन्होंने पहला मुद्दा उन आवासीय छात्रावासों की दयनीय हालत को बताया, जो दलित, एसटी, ईबीसी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए बनाए गए हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि बिहार के दरभंगा स्थित आंबेडकर छात्रावास के हालिया दौरे के दौरान छात्रों ने उन्हें बताया कि एक कमरे में 6-7 छात्रों को रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इसके अलावा, शौचालय बेहद गंदे हैं, पीने का साफ पानी नहीं है, मेस की कोई सुविधा नहीं है और न ही पुस्तकालय अथवा इंटरनेट जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि दूसरी बड़ी समस्या हाशिए पर मौजूद समुदायों के छात्रों को मिलने वाली पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति में हो रही देरी और विफलताएं हैं।
विपक्षी नेता ने बिहार का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में छात्रवृत्ति पोर्टल पिछले तीन वर्षों से बंद है और वर्ष 2021-22 में किसी भी छात्र को छात्रवृत्ति प्रदान नहीं की गई।
गांधी ने अपने पत्र में लिखा कि इसके बावजूद, छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले दलित छात्रों की संख्या में गिरावट आई है — वित्त वर्ष 2023 में यह संख्या 1.36 लाख थी, जो वित्त वर्ष 2024 में घटकर मात्र 0.69 लाख रह गई। छात्रों का कहना है कि छात्रवृत्ति की राशि बेहद कम और अपमानजनक है।
गांधी ने कहा कि यह समस्या केवल किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में फैली हुई है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि दलित, एसटी, ईबीसी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए बनाए गए सभी छात्रावासों का ऑडिट कराया जाए, ताकि वहां बुनियादी ढांचा, स्वच्छता, पोषण और शैक्षणिक सुविधाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। साथ ही, उन्होंने इन खामियों को दूर करने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने की मांग की।
इन सबके अलावा, गांधी ने छात्रवृत्तियों के समय पर वितरण, छात्रवृत्ति राशि में वृद्धि और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्तियों के बेहतर क्रियान्वयन की भी मांग की है।
राहुल गांधी का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी इस बात से सहमत होंगे कि जब तक वंचित समुदायों के युवा आगे नहीं बढ़ेंगे, तब तक भारत की प्रगति संभव नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस संदर्भ में सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद जताई है।
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रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी ने अपने पत्र में वंचित समुदायों से संबंधित छात्रों को मैट्रिक के बाद दी जाने वाली छात्रवृत्ति में हो रही देरी का भी उल्लेख किया और प्रधानमंत्री से इन दोनों अहम मुद्दों के शीघ्र समाधान की अपील की।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के कारण इन वर्गों के लगभग 90 प्रतिशत छात्रों की शिक्षा में बाधा उत्पन्न हो रही है।
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने यह पत्र 10 जून को लिखा। इसमें उन्होंने पहला मुद्दा उन आवासीय छात्रावासों की दयनीय हालत को बताया, जो दलित, एसटी, ईबीसी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए बनाए गए हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि बिहार के दरभंगा स्थित आंबेडकर छात्रावास के हालिया दौरे के दौरान छात्रों ने उन्हें बताया कि एक कमरे में 6-7 छात्रों को रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इसके अलावा, शौचालय बेहद गंदे हैं, पीने का साफ पानी नहीं है, मेस की कोई सुविधा नहीं है और न ही पुस्तकालय अथवा इंटरनेट जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि दूसरी बड़ी समस्या हाशिए पर मौजूद समुदायों के छात्रों को मिलने वाली पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति में हो रही देरी और विफलताएं हैं।
विपक्षी नेता ने बिहार का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में छात्रवृत्ति पोर्टल पिछले तीन वर्षों से बंद है और वर्ष 2021-22 में किसी भी छात्र को छात्रवृत्ति प्रदान नहीं की गई।
गांधी ने अपने पत्र में लिखा कि इसके बावजूद, छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले दलित छात्रों की संख्या में गिरावट आई है — वित्त वर्ष 2023 में यह संख्या 1.36 लाख थी, जो वित्त वर्ष 2024 में घटकर मात्र 0.69 लाख रह गई। छात्रों का कहना है कि छात्रवृत्ति की राशि बेहद कम और अपमानजनक है।
गांधी ने कहा कि यह समस्या केवल किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में फैली हुई है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि दलित, एसटी, ईबीसी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए बनाए गए सभी छात्रावासों का ऑडिट कराया जाए, ताकि वहां बुनियादी ढांचा, स्वच्छता, पोषण और शैक्षणिक सुविधाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। साथ ही, उन्होंने इन खामियों को दूर करने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने की मांग की।
इन सबके अलावा, गांधी ने छात्रवृत्तियों के समय पर वितरण, छात्रवृत्ति राशि में वृद्धि और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्तियों के बेहतर क्रियान्वयन की भी मांग की है।
राहुल गांधी का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी इस बात से सहमत होंगे कि जब तक वंचित समुदायों के युवा आगे नहीं बढ़ेंगे, तब तक भारत की प्रगति संभव नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस संदर्भ में सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद जताई है।
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