कर्नाटक: दलित नाबालिग लड़कों को भीड़ ने झंडे के खंभे से बांधकर बर्बरता से पीटा, एक ने की आत्महत्या की कोशिश

Written by sabrang india | Published on: June 9, 2025
पीड़ितों के परिवारों ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने मारपीट को रोकने की कोशिश की, तो ऊंची जाति के लोगों ने उन्हें धमकाया और भगा दिया। एक पीड़ित के माता-पिता ने कहा, “हमारे गांव में आज भी छुआछूत कायम है।



कर्नाटक के गडग जिले के नरगुंड पुलिस थाना क्षेत्र के हरोगेरी गांव में करीब 60 ऊंची जाति के ग्रामीणों की भीड़ ने तीन दलित नाबालिग लड़कों को झंडे के खंभे से बांधकर बेरहमी से पीटा। 28 मई को हुई इस घटना का वीडियो जब सोशल मीडिया पर सामने आया, तो लोगों में तीव्र नाराजगी देखी गई।

इन लड़कों पर आरोप था कि उन्होंने एक ऊंची जाति की लड़की को “अश्लील मैसेज” भेजे थे। हमलावरों ने इसी आरोप को आधार बनाकर मारपीट की। परिवार के अनुसार, नाबालिगों को ग्राम पंचायत के झंडे के खंभे से बांधकर डंडों, चप्पलों और रस्सियों से पीटा गया, जिससे उनके शरीर पर गंभीर चोटें और सूजन आ गई।

द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, नरगुंड पुलिस इंस्पेक्टर बी. मंजुनाथ ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया, “हमने 30 मई को एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। अब तक आठ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें से चार को शुक्रवार को पकड़ा गया। बाकी आरोपियों की तलाश जारी है।”

पुलिस ने यह भी बताया कि इस घटना के सिलसिले में एक अलग मामला पॉक्सो (POCSO) अधिनियम के तहत भी दर्ज किया गया है, जिसमें 30 लोगों को आरोपी बनाया गया है।

पीड़ितों के परिवारों ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने मारपीट को रोकने की कोशिश की, तो ऊंची जाति के लोगों ने उन्हें धमकाया और भगा दिया। एक पीड़ित के माता-पिता ने कहा, “हमारे गांव में आज भी छुआछूत कायम है। यह घटना तो उस भेदभाव का एक और उदाहरण है, जिसका हम रोजाना सामना करते हैं।”

शर्म और सदमे में एक लड़के ने जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। वह इस समय हुबली के KIMS अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती है।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, शुरू में इस मामले को दबाने की कोशिश की गई। कुछ प्रभावशाली समुदाय नेताओं ने पीड़ित परिवारों पर समझौता करने का दबाव बनाया। लेकिन जब घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तब जाकर पुलिस ने मामला दर्ज किया और गिरफ्तारियां शुरू हुईं।

इस घटना ने जाति आधारित हिंसा, कानून प्रवर्तन की निष्क्रियता और ग्रामीण कर्नाटक में छुआछूत की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता खड़ी की है। कार्यकर्ताओं ने सभी आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी, एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानूनों के सख्त क्रियान्वयन और पीड़ितों एवं उनके परिवारों के लिए समुचित पुनर्वास की मांग की है।

ज्ञात हो कि देश में दलितों के खिलाफ ऐसी बर्बर घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं।

हाल ही में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के पुसौर थाना क्षेत्र के ग्राम ठाकुरपाली में भी दलित परिवारों के खिलाफ जातिगत हमलों, सामाजिक बहिष्कार और पुलिस की निष्क्रियता का एक गंभीर मामला सामने आया। यह घटना भारतीय संविधान में निहित समानता और न्याय के मूल सिद्धांतों को ही कटघरे में खड़ा करती है और यह प्रश्न उठाती है कि क्या आज भी ग्रामीण भारत में जातिगत भेदभाव जीवित है?

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, गांव के निवासी भगालू चौहान मोटरसाइकिल मरम्मत का कार्य कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। उनके बेटे महेश चौहान और गांव के ही एक युवक दिलीप प्रधान के बीच किसी निजी विवाद ने अचानक जातिगत रंग ले लिया। भगालू चौहान ने पुलिस अधीक्षक रायगढ़ को दिए आवेदन में बताया कि ऊंची जाति के प्रभावशाली लोगों ने इस विवाद को बहाना बनाकर उनके घर पर हमला कर दिया और पूरे दलित समुदाय को निशाना बनाना शुरू कर दिया।

कुछ समय पहले, उत्तर प्रदेश के रसड़ा में एक शादी समारोह के दौरान भी दलित परिवार पर हमला किया गया। कथित तौर पर हमलावर इस बात से नाराज थे कि एक दलित परिवार “मैरिज हॉल” का इस्तेमाल कर रहा था। उन्होंने जातिसूचक गालियां दीं और लाठी-डंडों से हमला किया।

द ऑब्जर्वर पोस्ट के अनुसार, एक घायल व्यक्ति राघवेंद्र गौतम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा, “हम जश्न मना रहे थे, तभी अचानक कुछ लोग आए और चिल्लाने लगे, ‘दलित हॉल में शादी कैसे कर सकते हैं?’ फिर उन्होंने हम सभी को पीटना शुरू कर दिया।”

यह हमला स्वयंवर मैरिज हॉल में रात करीब 10:30 बजे हुआ। दो लोग — अजय कुमार और मनन कांत — बुरी तरह घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

Related

यूपी : शादी में दलितों द्वारा खाना का पत्तल छूने पर पिटाई, रात में घर पर हमला, महिलाएं समेत कई लोग घायल

छत्तीसगढ़ : जातीय नफरत के कारण दलित परिवार पर हमला, फिर समाज से निकाला

बाकी ख़बरें