आंध्र प्रदेश : दलित छात्र को बंधक बनाकर बुरी तरह पीटा गया और उत्पीड़न किया गया

Written by sabrang india | Published on: May 20, 2025
तिरुपति में दलित इंजीनियरिंग छात्र का अपहरण कर जातिसूचक गालियां दी गईं, पेशाब पीने को मजबूर किया गया और जान से मारने की धमकी दी गई।


फोटो साभार : इंडिया टुडे

दलितों के साथ भेदभाव थम नहीं रहा है। हाल में आंध्रप्रदेश के तिरूपति से इसी तरह के उत्पीड़न का मामला सामने आया है। तिरुपति जिले में एक दलित इंजीनियरिंग छात्र का कथित तौर पर अपहरण कर कई दिनों तक शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न किया गया जिससे लोगों में भारी नाराजगी पैदा हो गई है। तिरुचनूर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत अपहरण, गंभीर चोट पहुंचाना, जातिसूचक हमले, तीन दिन से ज्यादा दिनों तक अवैध बंधक बनाना और मौत की धमकी देने जैसी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया है।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला 16 मई को दर्ज हुआ, जिसमें पीड़ित की पहचान ए. जेम्स (22 वर्ष) के रूप में हुई है। वह श्री विद्या निकेतन कॉलेज का अंतिम वर्ष का बी.टेक छात्र है और नेल्लूर जिले के रेड्डीपालेम गांव का निवासी है। जेम्स और उसके मित्र गुरु साई रेड्डी का अपहरण हॉस्टल के बाहर से किया गया। मुख्य आरोपी यशवंत था। अन्य नामजद आरोपियों में किरण, जग्गा, ललित, साई गौड़ा, वंशी, रूपेश और कुछ अज्ञात लोग शामिल हैं।

जेम्स ने एक वीडियो में कहा, “मैं अपने कजन से मिलने जा रहा था तभी एक ग्रुप जिसमें केटी रोड कट्टी, नानी, जग्गा आदि लोग थे। उन्होंने मुझे रोक लिया और एक कमरे में ले जाकर बंद कर दिया। उन्होंने मुझे तीन-चार दिन तक बेरहमी से पीटा।”

पीड़ित ने कहा कि उसे जातिसूचक गालियां दी गईं और पेशाब पीने के लिए मजबूर किया गया। उसने कहा कि, “उन्होंने मुझसे कहा ‘तू एससी जाति का होकर इतनी हिम्मत कैसे कर सकता है?’ मुझे बहुत मारा गया। मैं इंसाफ चाहता हूं।”

पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने जेम्स और उसके दोस्त को जान से मारने की धमकी देकर बाइक पर एलीट पार्क होटल, श्रीनिवासपुरम के कमरा नंबर 209 में बंद कर दिया। पीड़ितों को हाथ, पैर, बेल्ट और लोहे की रॉड से मारा गया। जेम्स की आंख के पास गंभीर चोटें आई हैं, वहीं उसके दोस्त को भी कई जगहों पर चोटें लगीं। बताया गया कि दोनों किसी तरह तिरुपति लौटते समय भाग निकले।

पुलिस ने कहा कि जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अन्य आरोपियों की पहचान के प्रयास किए जा रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मुखिया वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने इस घटना की कड़ी निंदा की और इसे राज्य में दलितों पर बढ़ते अत्याचार और बिगड़ती कानून व्यवस्था का उदाहरण बताया।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “राज्य में दलितों के लिए कोई सुरक्षा नहीं बची है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे कमजोर वर्गों को सुरक्षा देने में कानून व्यवस्था विफल हो रही है।”

उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण पुलिस ने समय पर उचित कार्रवाई नहीं की।

“अब तो ये आम बात हो गई है कि जब कोई पीड़ित थाने जाता है तो उसके ही खिलाफ केस दर्ज कर दिया जाता है। तिरुपति की यह घटना पुलिस की निष्क्रियता और सत्ता पक्ष के दबाव का प्रमाण है।”

उन्होंने मांग की कि दोषियों के खिलाफ तत्काल केस दर्ज किया जाए और दलित छात्र को न्याय दिलाया जाए।

ज्ञात हो कि दलितों के साथ उत्पीड़न के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के सीतापुर में स्कूल जाते समय 14 वर्षीय दलित लड़की को तीन युवकों ने कथित तौर पर अगवा कर सामूहिक बलात्कार किया। इसमें एक नाबालिग भी शामिल है।

इस वारदात को गत शुक्रवार को सुबह उस समय अंजाम दिया गया जब दसवीं की छात्रा स्कूल जा रही थी। कार में बैठे 15 वर्षीय एक लड़के ने उससे मुलाकात की और उसे अपने साथ चलने के लिए राजी किया, उसे स्कूल छोड़ने का वादा किया। हालांकि, उसे स्कूल ले जाने के बजाय, वह उसे इधर-उधर घुमाता रहा। बाद में दो और आरोपी प्रदीप (18) और सौरभ (18) उनके साथ आ गए। वे उसे एक कमरे में ले गए जहां उसे बांध दिया और उसके साथ बलात्कार किया।

एक अधिकारी ने कहा, "लड़की को करीब एक घंटे बाद होश आया और उसने पाया कि आरोपी भाग गए थे। फिर उसने मदद के लिए आवाज लगाई।" पीड़िता ने सबसे पहले अपनी चाची को इस घटना के बारे में बताया, जिन्होंने परिवार को जानकारी दी।

मां की शिकायत के आधार पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (सामूहिक बलात्कार और मारपीट सहित), पॉक्सो अधिनियम और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।

वहीं हाल ही में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से दलित उत्पीड़न का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। चौरा-चौरी थाना क्षेत्र के दूधई गांव में एक शादी समारोह के दौरान दलित समाज के छह लोगों से केवल इसलिए मारपीट की गई कि उन्होंने भोजन करने के लिए पत्तल उठा ली। ये मामला 9 मई का है।

दूधई गांव के रहने वाले लालजी के घर शादी में गांव के ही दलित युवक दीनानाथ अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। दीनानाथ का कहना है कि उन्हें न्यौता दिया गया था, लेकिन जब उन्होंने खाने के लिए पत्तल उठाई तो राजभर समाज के सोनू, रामचंद्र और भीम ने उन्हें रोकते हुए अपमानित किया और गाली-गलौज करते हुए वहां से भगा दिया।

मामला केवल शादी से भगाने तक ही नहीं थमा। पीड़ित परिवार किसी तरह वापस अपने घर लौट आया लेकिन देर रात वही आरोपी अपने दूसरे साथियों के साथ दीनानाथ के घर पर लाठी-डंडों और चाकुओं से लैस होकर पहुंचे और पूरे परिवार पर हमला कर दिया। इस हमले में महिलाओं समेत छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। 

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