परीक्षा देने जा रहे तमिलनाडु के दलित छात्र से बस से मारपीट की गई, उसकी उंगलियां काट दी गईं

Written by sabrang india | Published on: March 12, 2025
छात्र के परिवार ने कहा कि यह हमला कबड्डी मैच की वजह से हुआ जिसमें उसकी टीम ने उच्च जातियों के विरोधियों को हराया था।


फोटो साभार : द मूकनायक

सोमवार को तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले में परीक्षा देने जा रहे अनुसूचित जाति (एससी) के ग्यावरहवीं क्लास के छात्र पर हमला किया गया, जिसमें उसकी तीन उंगलियां काट दी गईं। उसके परिवार ने आरोप लगाया कि यह हमला जातिगत तनाव के कारण किया गया।

पुलिस ने इस घटना के सिलसिले में तीन नाबालिगों को हिरासत में लिया है।

छात्र के परिवार ने कहा कि यह हमला कबड्डी मैच की वजह से हुआ जिसमें उसकी टीम ने उच्च जातियों के विरोधियों को हराया था।

साथ ही, पुलिस ने कहा कि वे इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या यह हमला छात्र और उच्च जाति की लड़की के बीच कथित रिश्ते से जुड़ा था।

जांच कर रहे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, छात्र के पिता द्वारा दर्ज की गई प्रारंभिक शिकायत में हमले का कारण कबड्डी मैच बताया गया था। लेकिन हिरासत में लिए गए नाबालिगों (सभी पीड़ित के क्लासमेट) से प्रारंभिक जांच और पूछताछ से पता चला कि हिंसा छात्र के हिरासत में लिए गए लड़कों में से एक की बहन के साथ कथित संबंध से हुई थी, जो थेवर समुदाय से संबंधित है।

यह हमला दिनदहाड़े हुआ जब पीड़ित बस में सफर कर रहा था। पुलिस और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तीनों नाबालिगों ने कथित तौर पर बस को रोका, लड़के को बाहर निकाला और उस पर हमला किया। हमले के दौरान उसके बाएं हाथ की तीन उंगलियां कट गईं।

उसके पिता ने दखल करने की कोशिश की और उन पर भी हमला किया गया और उन्हें सिर और कई जगह चोटें आईं। हमलावर तब भाग गए जब आसपास के लोग उनकी मदद के लिए दौड़े।

लड़के को पहले श्रीवैकुंडम सरकारी अस्पताल ले जाया गया, फिर उसे तिरुनेलवेली सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने कटी हुई उंगलियों को फिर से जोड़ने के प्रयास में सर्जरी की।

इस घटना से लोगों में गुस्सा है। वहीं छात्र के परिवार और स्थानीय कार्यकर्ता न्याय की मांग कर रहे हैं।

ज्ञात हो कि ऊंची जातियों द्वारा दलितों पर देश भर हमला करने की घटनाएं लगातार सामने आती हैं। हाल ही में पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान जिले में, 130 दलित परिवारों को गिधेश्वर शिव मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया गया। ये इलाके का एकमात्र पूजा स्थल है, माना जाता है कि यह लगभग 200 साल पुराना है।

मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ितों ने आरोप लगाया कि गिधग्राम गांव के दासपारा इलाके में रहने वाले परिवारों को समिति और अन्य ग्रामीणों द्वारा शिव मंदिर की सीढ़ियों से जबरन दूर रखा गया है, केवल इसलिए क्योंकि वे “निचली जाति” से हैं।

कोलकाता से लगभग 150 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव इन 130 दलित परिवारों के लगभग 550 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के नेतृत्व में अधिकारों के लिए संघर्ष का केंद्र बन गया है, जिससे उच्च जाति के ग्रामीणों द्वारा आर्थिक बहिष्कार किया जा रहा है। इससे उन परिवारों की आजीविका प्रभावित हुई है, जिनका उपनाम ‘दास’ है और वे पारंपरिक रूप से मोची और बुनकर समुदाय से संबंधित हैं।

वहीं करीब एक सप्ताह पहले यूपी मेरठ शहर के बाहरी इलाके में स्थित कालिंदी गांव में बारात के प्रवेश के दौरान संगीत बजाने को लेकर ऊंची जाति के करीब 10 लोगों द्वारा कथित तौर पर हमला किए जाने से दूल्हा समेत दलित समुदाय के तीन सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गए।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि मामले के सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि अन्य की तलाश में छापेमारी की जा रही है। आरोप है कि हमलावरों ने पीड़ितों से दो अंगूठियां, एक सोने का कंगन और 2 लाख रुपये नकद भी छीन लिए।

सरधना थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, मुजफ्फरनगर के एक गांव का दूल्हा संजीव (26) 100 लोगों की बारात के साथ कालिंदी गांव आया था। बारात में शामिल लोग एक बस और तीन कारों में सवार थे।

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