वाराणसी: ठेला-गुमटी हटाए जाने से स्ट्रीट वेंडर परेशान, अनिश्चितकालीन धरना शुरू

Written by sabrang india | Published on: October 15, 2024
वेंडरों का उत्पीड़न नहीं किए जाने को लेकर यूपी के प्रमुख सचिव और भारत सरकार के सचिव द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए जाने के बावजूद पुलिस इन वेंडरों का बेवजह उत्पीड़न कर रही है, जो अनुचित और अन्यायपूर्ण है।



बीएचयू अस्पताल के छोटे गेट के पास लगने वाले ठेला-गुमटी हटाए जाने से परेशान स्ट्रीट वेंडरों ने पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। साथ ही, दुकान उजाड़े जाने के विरोध में वे सोमवार से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। इस दौरान प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे ने स्ट्रीट वेंडरों का समर्थन किया और धरना स्थल पर पहुंचे।

जनसंदेश न्यूज के अनुसार, सभा में पांडे ने कहा कि वेंडरों का उत्पीड़न नहीं किए जाने को लेकर यूपी के प्रमुख सचिव और भारत सरकार के सचिव द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए जाने के बावजूद पुलिस इन वेंडरों का बेवजह उत्पीड़न कर रही है, जो अनुचित और अन्यायपूर्ण है।

गोमती व्यवसाय समिति के अध्यक्ष चिंतामणि सेठ ने कहा कि गरीब दुकानदार को अपना सामान बेचकर जीवकोपार्जन करने में बाधा हो रही है। उन्होंने बताया कि भेलूपुर जोन में जोनल अधिकारी ने गत 9 अक्टूबर को जनरल कार्यालय पर प्रदर्शन के दौरान यह मान लिया था कि अगले दिन से ठेले लगेंगे, लेकिन लंका थाने की पुलिस स्ट्रीट वेंडरों की दुकानों को नहीं लगाने दे रही है। इस स्थिति के विरोध में दुकानदार पथ विक्रेता अधिनियम के तहत अपने अधिकारों को पाने के लिए अनिश्चितकालीन धरने की शुरुआत कर चुके हैं।

इस दौरान वेंडरों ने लंका-नरिया मार्ग पर बीएचयू अस्पताल के बाहर वेंडिंग जोन घोषित करने, पुलिस उत्पीड़न रोकने, लंका-नरिया मार्ग पर दुकानदारों को अवैध तरीके से हटाने वाले अधिकारियों और दस्ते के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 लागू करने की भी मांग की।

गुमटी व्यवसायी कल्याण समिति ने कहा कि "पथ विक्रेता (जीविका संरक्षण व पथ विक्रेता) अधिनियम 2014 में बना है। इसके तहत एक नगर पथ विक्रय समिति बनाई जाएगी, जिसमें 40% सदस्य स्वयं पथ विक्रेता होंगे। पथ विक्रेताओं का सर्वेक्षण प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे और सर्वेक्षण पूरा होने तथा पथ विक्रेताओं को प्रमाण पत्र जारी होने तक किसी भी पथ विक्रेता को हटाया नहीं जाएगा। रेहड़ी-पटरी वालों का स्थान परिवर्तन अंतिम उपाय के रूप में किया जाएगा। 30 दिनों की सूचना के पूर्व कोई बेदखली या स्थानांतरण नहीं किया जाएगा। जब तक जगह की अनिवार्य जरूरत साबित नहीं की जाती, तब तक वहां से पथ विक्रेता का स्थानांतरण वैध नहीं माना जाएगा। अधिनियम की धारा 29 पथ विक्रेताओं को पुलिस से उत्पीड़न के खिलाफ संरक्षण प्रदान करती है। यदि सामान जब्त किया जाता है, तो विनाशशील वस्तुओं को स्थानीय अधिकारी को दो दिनों में लौटाने का प्रावधान है, और नष्ट होने वाली वस्तु को उसी दिन लौटाने का प्रावधान है। सामान की हानि की स्थिति में क्षतिपूर्ति की जाएगी। प्राकृतिक बाजार जहां खरीदार और दुकानदार का निरंतर मिलन होता है, वह विक्रय क्षेत्र के रूप में संरक्षित किया जाएगा। 50 वर्षों से जो बाजार लग रहे हैं, उन्हें विरासत बाजार घोषित किया जाएगा और उनका पुनर्स्थापन नहीं किया जाएगा। किसी विवाद की स्थिति में एक सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विवाद निवारण तंत्र के सामने शिकायत की जा सकती है।"

समिति ने आगे कहा कि "लंका वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मुख द्वारा से नरिया मार्ग पर करीब 50 पथ विक्रेता कई दशकों से अपने ठेले लगा रहे हैं। उनके पास 1985 की उस रसीद की कॉपी है, जब विश्वविद्यालय इनसे छह महीने का 62 रुपए लेता था। ये ठेले विश्वविद्यालय की सीमा के दीवार के बाहर लगते हैं। सीमा के भीतर सर सुंदर लाल अस्पताल के मरीजों एवं तिमारदारों को आवश्यक खाने-पीने की चीजें मुहैया कराते हैं। आला अधिकारियों सहित भाजपा मंत्री आए दिन स्मार्ट सिटी बनारस में दर्शन, पूजा आदि कार्यक्रम में आते रहते हैं। उनके आगमन के नाम पर अब तो रोज ठेले वालों से पुलिस मारपीट कर रही है और दुकान लगाने नहीं दे रही है।"

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