28 जुलाई को केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों और मुस्लिम महिलाओं को शामिल करने का प्रस्ताव है, साथ ही बोर्ड की संपत्ति को वक्फ घोषित करने की शक्ति को सीमित किया गया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने वक्फ (संशोधन) विधेयक की समीक्षा कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को प्राप्त 1.25 करोड़ ईमेल की जांच की मांग की है। दुबे ने कहा कि इनमें पाकिस्तान की आईएसआई और चीन जैसी विदेशी ताकतों की संलिप्तता हो सकती है।
28 जुलाई को केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों और मुस्लिम महिलाओं को शामिल करने का प्रस्ताव है, साथ ही बोर्ड की संपत्ति को वक्फ घोषित करने की शक्ति को सीमित किया गया है। अन्य दलों के विरोध के कारण, विधेयक को 8 अगस्त को भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली जेपीसी को भेज दिया गया था। पिछले महीने जेपीसी ने जनता से प्रतिक्रिया मांगी थी और उन्हें 1.25 करोड़ से अधिक ईमेल और 75,000 पत्र प्राप्त हुए।
जेपीसी के अध्यक्ष पाल को लिखे पत्र में दुबे ने शिकायतों की इतनी बड़ी संख्या पर सवाल उठाया और इसके पीछे "राष्ट्र-विरोधी ताकतों" का संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अधिकांश ईमेल एक ही फॉर्मेट में थे और उनके स्रोतों की विस्तृत जांच की मांग की।
दुबे ने अपने पत्र में लिखा, "हम बाहरी ताकतों को अपनी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हेरफेर करने की अनुमति नहीं दे सकते। हमें संसद की शुचिता की रक्षा के लिए त्वरित कार्रवाई करने की आवश्यकता है।"
विश्व हिंदू परिषद (VHP) के प्रवक्ता विनोद बंसल ने दुबे के दावों का समर्थन किया और इन ईमेलों की संख्या को "ईमेल जिहाद" के रूप में वर्णित किया। उन्होंने जाकिर नाइक और अन्य "राष्ट्र-विरोधी ताकतों" की संलिप्तता पर भी संदेह जताया और सरकार से जांच करने का आग्रह किया।
केंद्रीय संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि वह जेपीसी के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि समिति इस मुद्दे पर गहनता से विचार करेगी। उन्होंने कहा, "जेपीसी को अधिकार दिए गए हैं, और रिपोर्ट जमा होने के बाद हम स्थिति की समीक्षा करेंगे।"
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने वक्फ कानून में बदलाव के लिए पिछले संसद सत्र के दौरान वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया था। हालांकि, विपक्ष ने इसे मुस्लिमों के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध किया। इस विरोध को देखते हुए सरकार ने विधेयक को जेपीसी के पास भेजने का फैसला किया।
समिति ने लोगों से अपनी टिप्पणियां संयुक्त सचिव, लोकसभा सचिवालय, कमरा नंबर 440, संसद भवन एनेक्सी, नई दिल्ली -110001 पर भेजने या उन्हें jpcwaqf-lss@sansad.nic.in पर ईमेल करने के लिए कहा था।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विभिन्न हितधारकों के साथ अनौपचारिक चर्चा के लिए जेपीसी के सदस्य पांच राज्यों का दौरा करने वाले हैं। यह राष्ट्रव्यापी चर्चा 1 अक्टूबर तक चलेगी, जिसकी शुरुआत 26 सितंबर को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से होगी। अगले पड़ाव में 27 सितंबर को अहमदाबाद में गुजरात सरकार, गुजरात वक्फ बोर्ड और अन्य प्रमुख हितधारकों के प्रतिनिधियों से बातचीत होगी।
इसके बाद समिति के सदस्य 28 सितंबर को आंध्र प्रदेश, 29 सितंबर को तमिलनाडु और 1 अक्टूबर को कर्नाटक में विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श करने पहुंचेंगे। हैदराबाद में होने वाली चर्चा में आंध्र और तेलंगाना के अलावा छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने वक्फ (संशोधन) विधेयक की समीक्षा कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को प्राप्त 1.25 करोड़ ईमेल की जांच की मांग की है। दुबे ने कहा कि इनमें पाकिस्तान की आईएसआई और चीन जैसी विदेशी ताकतों की संलिप्तता हो सकती है।
28 जुलाई को केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों और मुस्लिम महिलाओं को शामिल करने का प्रस्ताव है, साथ ही बोर्ड की संपत्ति को वक्फ घोषित करने की शक्ति को सीमित किया गया है। अन्य दलों के विरोध के कारण, विधेयक को 8 अगस्त को भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली जेपीसी को भेज दिया गया था। पिछले महीने जेपीसी ने जनता से प्रतिक्रिया मांगी थी और उन्हें 1.25 करोड़ से अधिक ईमेल और 75,000 पत्र प्राप्त हुए।
जेपीसी के अध्यक्ष पाल को लिखे पत्र में दुबे ने शिकायतों की इतनी बड़ी संख्या पर सवाल उठाया और इसके पीछे "राष्ट्र-विरोधी ताकतों" का संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अधिकांश ईमेल एक ही फॉर्मेट में थे और उनके स्रोतों की विस्तृत जांच की मांग की।
दुबे ने अपने पत्र में लिखा, "हम बाहरी ताकतों को अपनी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हेरफेर करने की अनुमति नहीं दे सकते। हमें संसद की शुचिता की रक्षा के लिए त्वरित कार्रवाई करने की आवश्यकता है।"
विश्व हिंदू परिषद (VHP) के प्रवक्ता विनोद बंसल ने दुबे के दावों का समर्थन किया और इन ईमेलों की संख्या को "ईमेल जिहाद" के रूप में वर्णित किया। उन्होंने जाकिर नाइक और अन्य "राष्ट्र-विरोधी ताकतों" की संलिप्तता पर भी संदेह जताया और सरकार से जांच करने का आग्रह किया।
केंद्रीय संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि वह जेपीसी के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि समिति इस मुद्दे पर गहनता से विचार करेगी। उन्होंने कहा, "जेपीसी को अधिकार दिए गए हैं, और रिपोर्ट जमा होने के बाद हम स्थिति की समीक्षा करेंगे।"
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने वक्फ कानून में बदलाव के लिए पिछले संसद सत्र के दौरान वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया था। हालांकि, विपक्ष ने इसे मुस्लिमों के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध किया। इस विरोध को देखते हुए सरकार ने विधेयक को जेपीसी के पास भेजने का फैसला किया।
समिति ने लोगों से अपनी टिप्पणियां संयुक्त सचिव, लोकसभा सचिवालय, कमरा नंबर 440, संसद भवन एनेक्सी, नई दिल्ली -110001 पर भेजने या उन्हें jpcwaqf-lss@sansad.nic.in पर ईमेल करने के लिए कहा था।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विभिन्न हितधारकों के साथ अनौपचारिक चर्चा के लिए जेपीसी के सदस्य पांच राज्यों का दौरा करने वाले हैं। यह राष्ट्रव्यापी चर्चा 1 अक्टूबर तक चलेगी, जिसकी शुरुआत 26 सितंबर को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से होगी। अगले पड़ाव में 27 सितंबर को अहमदाबाद में गुजरात सरकार, गुजरात वक्फ बोर्ड और अन्य प्रमुख हितधारकों के प्रतिनिधियों से बातचीत होगी।
इसके बाद समिति के सदस्य 28 सितंबर को आंध्र प्रदेश, 29 सितंबर को तमिलनाडु और 1 अक्टूबर को कर्नाटक में विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श करने पहुंचेंगे। हैदराबाद में होने वाली चर्चा में आंध्र और तेलंगाना के अलावा छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे।