वाराणसी में सांप्रदायिक सौहार्द का नजारा: भागवत कथा के बाद गूंजीं कुरान की आयतें, बाइबिल की प्रार्थना

Written by sabrang india | Published on: October 14, 2023
कोरोना काल में असमय मरने वालों की सद्गति के लिए भागवत कथा के समापन के बाद वाराणसी में मुस्लिम और इसाई धर्मगुरुओं ने प्रार्थना की।



वाराणसी में श्राद्ध के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द का नजारा देखने को मिला जब शुक्रवार को केदारखंड के शंकराचार्य घाट पर भागवत कथा के बाद कुरान की आयतें गूंजी और बाइबिल की प्रार्थना हुई। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के धर्मानुष्ठान के बाद मुस्लिम और इसाई धर्मगुरुओं ने कोरोना काल में असमय मरने वालों की सद्गति के लिए प्रार्थना की। इसके साथ ही शुक्रवार को छह दिवसीय मुक्ति कथा का भी समापन हो गया।
 
अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, शंकराचार्य ने कहा कि सभी प्राणियों का आरंभ जन्म से होता है पर अंत कैसा होगा, इसमें सबके विचार अलग-अलग हैं। जो स्वयं को केवल शरीर मानता है, उसका अंत तो मृत्यु से होता है। पर जो स्वयं को शरीर नहीं मानता उसका अंत मृत्यु से नहीं होता। श्रीमद्भागवत कहती है जो स्वयं भागवत हो जाता है उसका अंत मुक्ति से होता है। भागवत का अर्थ है भगवान का। 

शंकराचार्य ने दर्शन शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि दर्शन का अर्थ है जिससे देखा जाए। सामान्य रूप से आंखों से देखा जाता है इसीलिए आंखों को दर्शन कहा जाता है पर सब चीजें आंख से नहीं दिखतीं। बहुत पास और बहुत दूर की चीजें हम अपनी आंखों से नहीं देख सकते। इसलिए दर्शन का अर्थ ज्ञान चक्षु, ज्ञान दृष्टि समझना चाहिए जो भगवान की कृपा से प्राप्त हो सकती है। कार्यक्रम का समापन श्रीमद्भागवत महापुराण की आरती और प्रसाद वितरण से हुआ। कथा के अंतिम दिन आयोजक गौरव तिवारी व विभा शर्मा उपस्थित रहे।
 
ईसाई और इस्लाम के अनुसार भी हुई जीवात्माओं की सद्गति की प्रार्थना
श्रीमद्भागवत मुक्ति कथा के बाद मैत्री भवन के फादर यान और मुस्लिम समाज के अतहर जमाल लारी ने अपने-अपने धर्म और मजहब के अनुसार कोरोना काल में काल-कवलित हुए असंख्य जीवात्माओं की सद्गति के लिए प्रार्थना की।
 
करोड़ों जीवात्माओं के लिए श्राद्ध तर्पण
कोरोना काल में जिनकी मृत्यु हुई, उन असंख्य जीवात्माओं की मुक्ति के लिए शनिवार को प्रातः नौ बजे से शंकराचार्य घाट पर आचार्य पं. अवधराम पांडेय के आचार्यत्व में त्रिपिंडी श्राद्ध और तर्पण कार्यक्रम हुआ।

मैत्री भवन के फादर यान ने सबरंग इंडिया से बात करते हुए कहा कि उन्हें और अतहर जमाल लारी को ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा आमंत्रित किया गया था। यह पहल समाज में एक अच्छा संदेश देती है कि हम सब एक हैं। 

अमावस्या को श्राद्ध का महत्व
बता दें कि आज अमावस्या है। काशी के पिशाचमोचन कुंड से लेकर गंगा घाटों तक लोग पिंडदान कर अपने पितरों के मोक्ष की कामना कर रहे हैं। मान्यता के अनुसार अश्विन महीने की अमावस्या पितृ मोक्ष अमावस्या कहलाती है। इस दिन पितृ पूजा करने से पितर साल भर के लिए संतृप्त हो जाते हैं। 15 दिनों तक चले श्राद्ध-तर्पण के बाद आज पितरों की विदाई हो रही है। मान्यता है कि पितृ विसर्जन के दिन आत्माएं अपने लोक की ओर चली जाती हैं।

Related:

बाकी ख़बरें