मध्य प्रदेश: शिक्षक ने नाबालिग दलित छात्रा से छेड़छाड़ की, मामला दर्ज, आरोपी फरार

Written by sabrang india | Published on: April 12, 2023
मध्य प्रदेश के सतना जिले में एक स्कूल टीचर द्वारा नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ करने का मामला सामने आया है, छात्रा के परिजनों ने टीचर के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवाया है।



सतना जिले के जैतवारा थाना क्षेत्र की प्राथमिक शाला में कक्षा-5 की छात्रा से छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। 11 वर्षीय दलित बच्ची से छेड़छाड़ के आरोप में पुलिस ने स्कूल के शिक्षक कृष्ण गोपाल त्रिपाठी के खिलाफ धारा 354 आईपीसी, पॉक्सो व एससी/एसटी एट्रोसिटीज एक्ट के तहत केस दर्ज किया है।

क्या है पूरा मामला
द मूकनायक की रिपोर्ट के मुताबिक, छात्रा को परिजन पुलिस थाने पहुंचे जहां नाबालिग ने आपबीती सुनाई। छात्रा के बयान पर केस दर्ज होते ही आरोपी शिक्षक फरार हो गया। द मूकनायक से बातचीत करते हुए थाना प्रभारी सुरभि शर्मा ने बताया कि गत शनिवार को छात्रा स्कूल में अपनी सहेलियों के साथ खेल रही थी। इसी दौरान शिक्षक हाथ पकड़कर उसे सूनसान कमरे में ले गया। उसके साथ अश्लील हरकत की। उन्होंने बताया कि आरोपी पर छेड़छाड़ सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है। आरोपी शिक्षक खुटहा गांव का रहने वाला है। आरोपी घटना के बाद से फरार है जिसकी तलाश की जा रही है।

पुलिस ने की लापरवाही, देर से दर्ज हुई शिकायत
घटना की शिकायत लेकर बच्ची के परिजन गत शनिवार शाम थाने गए थे। तब पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की थी। परिजन दो-तीन ग्रामीणों की मदद से आरोपी शिक्षक को भी पकड़कर थाना ले आए थे। लेकिन पुलिस ने मामला पंजीबद्ध नहीं किया और आरोपी शिक्षक थाने से जाने दिया।

बाद में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें बच्ची ने शिक्षक द्वारा छेड़छाड़ की बात कैमरे पर कही। वीडियो वायरल होने के बाद मामला पुलिस अधीक्षक आशुतोष गुप्ता तक जा पहुँचा। एसपी ने थाना प्रभारी सुरभि शर्मा को बच्ची के बयान दर्ज कर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया। थाना प्रभारी ने मंगलवार देर रात थाना पहुंचकर बच्ची व परिजनों को बुलाकर बयान दर्ज कर आरोपी के खिलाफ मामला पंजीबद्ध कर लिया।

बच्चों के प्रति अपराध की घटनाओं के मामले में एमपी टॉप पर
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार 2021 में प्रदेश में बच्चों के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज किए गए हैं। 2021 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 19,173 केस दर्ज किए गए है जो कि देश में सबसे अधिक है। एनसीआरबी के पिछले सालों के आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश में साल दर साल बच्चों के खिलाफ अपराधों में लगातार वृद्धि दर्ज की है। 2011 से 2021 में बच्चों के खिलाफ अपराध में 337 फीसदी की वृद्धि दर्ज है। मध्य प्रदेश में 2011 में कुल मामलों की संख्या 4,383 थी जो 2021 में 19,173 हो गई है।

2023 में बच्चों के खिलाफ अत्याचार में यूपी टॉप पर
देश के सभी राज्यों में बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों के लंबित होने के मामले में उत्तर प्रदेश 67 हजार मामलों के साथ पहले स्थान पर है। डीडब्लू वेबसाइट के अनुसार, यूपी में लंबित पॉक्सो यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट के तहत दर्ज सभी मामलों का लगभग 28 फीसदी है।

लंबित मामलों में भारी वृद्धि
यौन दुर्व्यवहार के पीड़ित बच्चे को आगे की अदालती कार्यवाही के उत्पीड़न से बचाने के लिए पॉक्सो अधिनियम में संशोधन में यह प्रावधान दिया गया है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट समयबद्ध तरीके से सभी मुकदमों का निपटारा करे। पॉक्सो के मामलों की सुनवाई के लिए देशभर में विशेष फास्ट ट्रैक स्थापित किए गए हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक हर जिले में इस तरह की अदालतें हैं। लेकिन साल 2016 से अब तक लंबित मामलों में 170 फीसदी की वृद्धि हुई है। देश भर में हर जिले में कम से कम एक विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट के बावजूद साल 2016 में जहां लंबित मामले 90,205 थे वहीं जनवरी 2023 तक ये बढ़कर 2,43,237 हो गए।

हजारों मामले लंबित
यूपी के बाद महाराष्ट्र में 33,000 लंबित मामलों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है, इसके बाद 22,100 के साथ पश्चिम बंगाल है, बिहार में 16,000 मामले, ओडिशा में 12,000  मामले लंबित हैं। वहीं तेलंगाना और मध्य प्रदेश में 10,000 मामले लंबित हैं।

हाल ही में संसद में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक सवाल के जवाब में कहा, "महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से संबंधित मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करने के लिए आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 की धारा 173(1ए) और धारा 309 के माध्यम से जांच और परीक्षण के लिए प्रत्येक के लिए दो महीने की समय सीमा निर्धारित की गई है।"

एनसीआरबी 2021 के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि बच्चों, विशेष रूप से लड़कियों के खिलाफ यौन अपराध लगातार बढ़ रहे हैं, क्योंकि बच्चों के खिलाफ हर तीन अपराधों में से एक पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज किया जाता है। पॉक्सो और बलात्कार के मामलों से निपटने के लिए केंद्रीय की वित्तीय मदद से 764 विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित किए गए हैं, जिसमें पॉक्सो अधिनियम के मामलों के लिए विशेष रूप से समर्पित 411 विशेष कोर्ट शामिल हैं। ये अदालतें साल में 1.4 लाख मामलों का निपटारा कर रही हैं।

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