लखीमपुर खीरी हिंसा मामला: केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा पर चलेगा किसानों की हत्या का मुकदमा

Written by Navnish Kumar | Published on: December 7, 2022
किसानों को अपनी एसयूवी गाड़ी से कुचलकर रौंद डालने के मामले में लखीमपुर खीरी की एक अदालत ने मंगलवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए और घोषणा की कि मुकदमा 16 दिसंबर से शुरू होगा। बहुचर्चित तिकुनिया हिंसा मामले में आशीष मिश्रा सहित 14 अभियुक्तों को हत्या और हत्या के प्रयास समेत कई धाराओं का आरोपी बनाया गया है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्र 'टेनी' के बेटे आशीष मिश्रा इस हिंसा मामले में मुख्य आरोपी है। इस हिंसा में 4 किसानों समेत 8 लोगों की मौत हो गई थी। 



केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर पिछले साल उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के आरोप में मुकदमा चलेगा। लखीमपुर की एक अदालत ने उनके और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए और घोषणा की कि मुकदमा 16 दिसंबर से शुरू होगा। यह अदालत द्वारा मिश्रा की डिस्चार्ज याचिका खारिज करने के एक दिन बाद आया है।

एनडीटीवी की एक खबर के अनुसार, इस घटना में मारे गए पत्रकार रमन कश्यप के भाई पवन कश्यप ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, "मैं न्यायपालिका का शुक्रगुज़ार हूं। मैं सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं, देरी हुई, लेकिन आरोप तय किए गए हैं। मुझे न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है।" घटना में मारे गए लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील मोहम्मद अमान ने कहा, "मुकदमे में देरी हुई है, आरोप तय करने में 9 महीने लग गए और वह भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस बारे में टिप्पणी किए जाने के बाद किसानों को न्याय की उम्मीद है। मुझे लगता है कि ट्रायल तेजी से होना चाहिए।"

पुलिस की चार्जशीट में मिश्रा पर हत्या का आरोप लगाया गया है। ऐसा आरोप है कि वह एक एसयूवी में थे, जो 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में एक विरोध मार्च के दौरान चार किसानों और एक पत्रकार के ऊपर चढ़ा दी गई थी। घटना के चौंकाने वाले दृश्यों में दिखाया गया था कि कार तेज गति से प्रदर्शन कर रहे किसानों को टक्कर मार रही थी। बाद में गुस्साए किसानों ने एसयूवी का पीछा किया और कथित तौर पर चालक और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी।

इस घटना ने सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ आक्रोश की लहर फैला दी और सरकार पर गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बचाने का आरोप लगाया गया। घटना से पहले केंद्रीय मंत्री का एक भाषण, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर "किसानों को दो मिनट में ठीक करने" की धमकी दी थी, अगर उन्होंने आंदोलन बंद नहीं किया। तो हत्याओं के बाद कई लोगों ने उनके इस्तीफे की मांग की।

सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद आशीष मिश्रा को किसानों की मौत के कुछ दिनों बाद गिरफ्तार कर लिया गया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए उन्हें फरवरी में जमानत दे दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 18 अप्रैल को आशीष मिश्रा को मिली जमानत रद्द करते हुए उन्हें एक हफ्ते के अंदर सरेंडर करने को कहा था। अदालत ने देखा कि पीड़ितों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में "निष्पक्ष और प्रभावी सुनवाई" से वंचित कर दिया गया था, और कहा कि उच्च न्यायालय ने "सबूतों का अदूरदर्शी दृष्टिकोण" लिया।

लखीमपुर अदालत के समक्ष दायर डिस्चार्ज याचिका में, आशीष मिश्रा और अन्य अभियुक्तों ने तर्क दिया था कि उन पर गलत आरोप लगाए गए हैं। लेकिन कोर्ट ने सभी आरोपियों की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि उन पर केस चलाया जाए। सोमवार को एडीजे सुनील कुमार वर्मा ने डिस्चार्ज की अर्जी पर फैसला सुनाते हुए केंद्रीय मंत्री के पुत्र आशीष मिश्र समेत 14 लोगों पर आरोप तय किए।

सिर्फ एक धारा को हटाया गया

जिला शासकीय अधिवक्ता अरविंद त्रिपाठी के मुताबिक एडीजे सुनील कुमार वर्मा ने अपने आदेश में सिर्फ आईपीसी की धारा-34 को हटाया। बाकी सभी धाराओं में कोई बदलाव नहीं किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एडीजे फर्स्ट की कोर्ट ने धारा 147, 148, 149, 326, 30, 302, 120 B, 427 और धारा 177 में आरोप तय किए हैं। सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त आधार पाए गए हैं। इसके अलावा आरोपी सुमित जायसवाल के खिलाफ धारा 3/25, आशीष मिश्र, अंकितदास, लतीफ व सत्यम पर धारा 30, नन्दन सिंह विष्ट पर धारा 5/27 का भी आरोप तय हुआ है।

जिला शासकीय अधिवक्ता अरविंद त्रिपाठी ने बताया कि जिन अभियुक्तों पर आरोप तय हुए उनमें आशीष मिश्रा के साथ-साथ अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ काले, सत्यम उर्फ सत्य प्रकाश त्रिपाठी, शेखर भारती, सुमित जायसवाल, आशीष पांडे, लवकुश राणा, शिशुपाल, उल्लास कुमार उर्फ मोहित त्रिवेदी, रिंकू राणा, वीरेंद्र शुक्ला और धर्मेंद्र बंजारा शामिल हैं। उन्होंने बताया कि वीरेंद्र शुक्ला पर भारतीय दंड विधान की धारा 201 के तहत आरोप तय किया गया है। बाकी अभियुक्तों पर भारतीय दंड विधान की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 326, 427 और 120 (ख) और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177 के तहत आरोप तय किए गए। त्रिपाठी ने बताया कि इसके अलावा आशीष मिश्रा, अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, सत्य प्रकाश त्रिपाठी, लतीफ काले और सुमित जायसवाल के खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत भी आरोप तय किए गए हैं।

यूपी चुनाव के बाद मिल गई थी जमानत

हालांकि, यूपी चुनाव के बाद आशीष मिश्रा जमानत पर जेल से बाहर आ गया था। जमानत पर आशीष मिश्रा की रिहाई का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत रद्द करते हुए ये केस इलाहाबाद हाईकोर्ट में नए सिरे से विचार के लिए भेज दिया था। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका रद्द कर दी थी। जमानत याचिका खारिज होने के बाद आशीष मिश्रा मोनू ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

फरवरी में 129 दिन बाद रिहा हुआ था आशीष 

3 अक्टूबर 2021 को हुई घटना के बाद से जब पहली बार SIT टीम के सामने आशीष मिश्रा ने सरेंडर किया था। तब से वह 129 दिन तक जेल में रहा। हाईकोर्ट से उसे जमानत मिली थी। तब 10 फरवरी को हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत आदेश पर फैसला उनके पक्ष में सुनाया था। 14 फरवरी को जमानत का आदेश आया। 15 फरवरी को आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की रिहाई हो गई थी।

जमानत के 68 दिन बाद किया था सरेंडर

आशीष मिश्रा की जमानत के बाद 10 मार्च को तिकुनिया हिंसा के गवाह दिलजोत सिंह पर हमला हुआ। 10 मार्च को ही तिकुनिया थाने में दिलजोत सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई। फिर अप्रैल महीने में रामपुर में हरदीप सिंह पर हमला हुआ। सुप्रीम कोर्ट में वकील ने गवाहों पर हमले के मामले को उठाया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने गवाहों की सुरक्षा के आदेश दिए। साथ ही बीते 18 अप्रैल को आशीष मिश्रा को सरेंडर करने के आदे​​​​​​श भी दिए। आशीष मिश्रा ने जमानत के 68 दिन बाद ही 24 अप्रैल को एक बार फिर सरेंडर कर दिया। इसके बाद से ही वकील उसकी जमानत में लगे हैं। लेकिन, अभी तक जमानत नहीं हो पाई है। लगातार मामले में डेट लग रही है।

225 दिन से जेल में है आशीष

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा बीते 225 दिन से जेल में है। इसकी जमानत नहीं हो पा रही है। जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए लोअर कोर्ट से लेकर उसके वकील सुप्रीम कोर्ट तक गए। सितंबर में तो सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस भी जारी किया था। हालांकि, अभी तक आशीष मिश्रा को जमानत नहीं मिल पाई है।

आशीष मिश्रा के खिलाफ दाखिल हुई थी 5000 पन्नों की चार्जशीट

घटना के 90 दिन बाद ही SIT टीम ने तिकुनिया हिंसा में आशीष मिश्रा समेत अन्य 13 आरोपियों के खिलाफ 5000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बताया गया था। वहीं जो किसान दोषी पाए गए थे। उनके खिलाफ 1300 पन्नों की चार्जशीट दाखिल हुई थी।

लखीमपुर में क्या हुआ था ?

लखीमपुर जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर नेपाल की सीमा से सटे तिकुनिया गांव में 3 अक्टूबर 2021 की दोपहर करीब तीन बजे काफी संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे थे, तभी अचानक से तीन गाड़ियां (थार जीप, फॉर्च्यूनर और स्कॉर्पियो) किसानों को रौंदते चली गईं। घटना से आक्रोशित किसानों ने जमकर हंगामा किया। इस हिंसा में कुल 8 लोगों की मौत हो गई। इसमें 4 किसान, एक स्थानीय पत्रकार, दो भाजपा कार्यकर्ता शामिल थे। यह घटना तिकुनिया में आयोजित दंगल कार्यक्रम में UP के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के पहुंचने से पहले हुई। घटना के बाद उप मुख्यमंत्री ने अपना दौरा रद्द कर दिया था।

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