"बुधवार को करीब 10 हजार मजदूरों ने मुख्यमंत्री के घर के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़ने को लेकर पुलिस और प्रदर्शनकारियों में जमकर झड़प और धक्कामुक्की हुई जिसमें कई मजदूर घायल हो गए। बाद में 21 दिसंबर को मुख्यमंत्री के साथ मीटिंग तय हुई, तब कहीं जाकर प्रदर्शनकारी घरों को लौटे।"
Image: Khabar Chhattisii Media
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान 30 नवंबर को दोपहर जब गुजरात में आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार में व्यस्त थे और अपनी सरकार की उपलब्धियां गिना रहे थे, तभी संगरूर में उनके घर के बाहर बड़ी संख्या में किसान-मजदूरों ने सरकार पर वादे पूरे न करने का आरोप लगाते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। किसान व खेत मजदूरों के संगठनों के संयुक्त मोर्चा के बैनर तले हुए इस प्रदर्शन में पंजाब के सभी जिलों से आए करीब 10 हजार लोग शामिल हुए।
मोर्चा में शामिल जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी (जेडपीएसएसी) के नेता मुकेश मलौध के अनुसार, प्रदर्शनकारी किसान-मजदूर दोपहर ढाई बजे सीएम आवास से करीब एक किलोमीटर दूर पटियाला बाईपास पर इकट्ठा हुए। यहां से प्रदर्शनकारियों ने सीएम के ड्रीमलैंड कॉलोनी में स्थित सीएम आवास की तरफ कूच किया। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सीएम आवास के बाहर चार जिलों का पुलिस बल तैनात था और जबर्दस्त बैरिकेडिंग की गई थी। जब मजदूरों ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के आवास की ओर कूच करना शुरू किया तो मजदूर यूनियन के लोगों पर पंजाब पुलिस ने लाठीचार्ज किया। मजदूर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री के आवास की ओर जा रहे थे जिनमें मुख्य रूप से वेतन में वृद्धि की मांग थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख्यमंत्री आवास के बाहर पहुंचते ही पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प और धक्कामुक्की होने लगी। इस पर प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए पुलिस ने लाठियां भांजी और उन्हें पीछे धकेल किया। इस लाठीचार्ज और धक्कामुक्की में कई प्रदर्शनकारियों की पगड़ी गिर गई, महिलाओं की चुन्नियां खींच ली गईं और कई लोगों को चोटें आईं। इससे नाराज प्रदर्शनकारी सड़क पर ही बैठ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
मुकेश ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को उग्र होता देखा प्रशासन ने आधा घंटे का समय मांगा। आधा घंटे बाद प्रशासन ने एक लेटर देते हुए कहा कि 21 दिसंबर को दोपहर 11 बजे मुख्यमंत्री से किसानों व मजदूरों की बैठक तय की गई है। मुकेश ने बताया कि मुख्यमंत्री से समय मिलने के बाद प्रदर्शनकारियों ने अपना प्रदर्शन खत्म कर दिया। हालांकि मुकेश बताते हैं कि मुख्यमंत्री इससे पहले भी कई बार मीटिंग का समय दे चुके हैं लेकिन हर बार मीटिंग से भाग जाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर इस बार ऐसा हुआ तो सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन छेड़ा जाएगा। मुकेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहते हैं, “सरकार ने बदलाव का जो मुखौटा पहना था, वह उतर गया है। पहले की और मौजूदा सरकार में कोई अंतर नहीं है।”
घटनास्थल के नाटकीय दृश्यों में झंडे लहराते और नारेबाजी करते प्रदर्शनकारियों को पुलिस रोकते हुए दिख रही है। पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान के संगरूर के आवास के बाहर सांझा मजदूर मोर्चा के बैनर तले हुए विरोध प्रदर्शन में मजदूर, न्यूनतम दैनिक मजदूरी बढ़ाकर 700 रुपये करने की मांग कर रहे थे। इसके साथ ही प्रदर्शनकारी मनरेगा के तहत कृषि मजदूरों की न्यूनतम दैनिक मजदूरी में वृद्धि की मांग कर रहे थे।
पूर्व घोषित विरोध प्रदर्शन को लेकर मजदूर बुधवार सुबह ही पटियाला बाईपास पर जमा होना शुरू हो गए थे। दोपहर में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के रोकने पर मुख्यमंत्री आवास की ओर मार्च करना शुरू किया तो पुलिस ने लाठियां भांजी। इससे पहले भी इन कृषि मजदूरों ने अक्टूबर माह में 19 दिन तक विरोध प्रदर्शन किया था। सरकार द्वारा मांगों को लिखित रूप में स्वीकार करने के बाद मजदूर किसान आंदोलन वापस लेने पर सहमत हुए थे। मजदूरों की प्रमुख है कि उन्हें मनरेगा के तहत साल भर काम दिया जाए और न्यूनतम मजदूरी 700 रुपए निर्धारित की जाए। साथ ही पंचायत भूमि (शामलात) का तीसरा हिस्सा दलित समुदाय को कम दर पर देना सुनिश्चित किया जाए। शामलात के लिए होने वाली डमी बोलियों को खारिज किया जाए और इस समस्या को स्थायी रूप से हल किया जाए।
इन भूमिहीन दलित मजदूरों की एक अहम मांग यह भी है कि जरूरतमंदों को 10-10 मरले का प्लॉट दिया जाए और घर बनाने के लिए 5 लाख रुपए का अनुदान दिया जाए, पहले से काटे गए भूखंडों पर तुरंत कब्जा दिया जाए, जिन गांवों की पंचायतों ने भूखंड के लिए प्रस्ताव पास किया है और अब तक उसे लागू नहीं किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। कुल मिलाकर मजूदरों की ऐसी करीब 30 मांगें हैं। मजदूर नेता मुकेश कहते हैं कि सरकार पहले ही बहुत सी मांगों को मान चुकी है, लेकिन उन्हें लागू करने की दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाए हैं। सरकार का यह रवैया अब नहीं चलेगा।
पेंडू मजदूर यूनियन के अध्यक्ष तरसेम पीटर और जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी अध्यक्ष मुकेश मलौध ने कहा कि ग्रामीण और खेत मजदूर संगठनों के आह्वान पर सांझा मोर्चा की अगुआई में बुधवार को पूरे पंजाब से मजदूरों के साथ-साथ बड़ी तादाद में महिलाएं और नौजवान संगरूर पहुंचे। मजदूर संगठनों के सदस्य सुबह से ही संगरूर में इकट्ठा होना शुरू हो गए। यहां से उन्होंने काफिले की शक्ल में सीएम के आवास की ओर कूच किया। संगठनों ने इस प्रदर्शन की जानकारी प्रशासन को पहले से दे रखी थी। लिहाजा सीएम आवास की तरफ जाने वाले रास्ते पर भारी पुलिस बल तैनात था।
सरकार ने मानी मांगों को भी लटकाया
जोरा सिंह, परमजीत सिंह व परगट सिंह ने कहा कि 3 अक्टूबर को मुख्यमंत्री भगवंत मान की मजदूर मोर्चा से बैठक तय थी, मगर अचानक वह बैठक रद्द कर दी गई। उसके बाद वित्त मंत्री हरपाल चीमा के साथ बैठक हुई, मगर उसमें चीमा ने स्वीकार की जा चुकी मांगों पर किंतु-परंतु शुरू कर दिया जिससे मजदूरों में रोष है। मजदूर संगठनों के सदस्यों ने कहा कि पंजाब पुलिस की धक्केशाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सत्ता में आते ही बदल गए सुर
मजदूर नेताओं ने कहा कि इसी साल हुए पंजाब विधानसभा के चुनाव से पहले मजदूरों की मांगों पर आम आदमी पार्टी नेताओं का रवैया कुछ और था, लेकिन मार्च-2022 में पंजाब में आप सरकार बनते ही इन नेताओं के सुर बदल गए। पंजाब सरकार ने अभी तक उनकी मांगों पर बैठक करने का अपना वादा तक पूरा नहीं किया। ऐसे में मजदूर सड़कों पर प्रदर्शन करने को मजबूर हो रहे हैं। मजदूर संगठनों का कहना है कि उन्हें मनरेगा और खेतों में काम करने पर रोज दिहाड़ी नहीं मिलती। पंजाब सरकार पंचायतों को मनरेगा का फंड भी नहीं दे रही। ऐसे में उनके लिए अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है। पंजाब में आज भी मजदूरों की दिहाड़ी ढाई सौ रुपए है। सरकार दिहाड़ी बढ़ाने, प्लॉट देने और कर्ज माफ करने का वादा करके अब मुकर रही है।
मजदूरों के सांझा मोर्चा में ये रहें शामिल
मजदूरों के सांझा मोर्चा में जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी के प्रधान मुकेश मलौद, क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन पंजाब के महासचिव लखवीर सिंह, पंजाब खेत मजदूर यूनियन के राज्य महासचिव लक्ष्मण सिंह, मजदूर मुक्ति मोर्चा के राज्य नेता मक्खन सिंह, कुल हिंद किसान यूनियन के नेता भूपचंद, देहाती मजदूर सभा के नेता प्रकाश नंदगढ़, पेंडू मजदूर यूनियन के राज्य प्रधान तरसेम पीटर शामिल हैं।
ये रहीं प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें-
कपास और धान की फसल को बारिश से हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाए।
मजदूरों को सालभर में रोजगार की गारंटी दी जाए। दिहाड़ी 250 रुपए से बढ़ाकर 700 रुपए की जाए।
मजदूरों को घर बनाने-रहने के लिए पंचायती जमीन सस्ते रेट पर दी जाए।
बेघर जरूरतमंद मजदूरों को घर बनाने के लिए प्लाट दिए जाएं। अलॉट प्लाटों के कब्जे दिए जाएं।
मजदूरों के कर्ज माफ किए जाएं।
विधवा, बुढ़ापा और दिव्यांगों को मिलने वाली रकम बढ़ाकर 5 हजार रुपए की जाए।
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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान 30 नवंबर को दोपहर जब गुजरात में आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार में व्यस्त थे और अपनी सरकार की उपलब्धियां गिना रहे थे, तभी संगरूर में उनके घर के बाहर बड़ी संख्या में किसान-मजदूरों ने सरकार पर वादे पूरे न करने का आरोप लगाते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। किसान व खेत मजदूरों के संगठनों के संयुक्त मोर्चा के बैनर तले हुए इस प्रदर्शन में पंजाब के सभी जिलों से आए करीब 10 हजार लोग शामिल हुए।
मोर्चा में शामिल जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी (जेडपीएसएसी) के नेता मुकेश मलौध के अनुसार, प्रदर्शनकारी किसान-मजदूर दोपहर ढाई बजे सीएम आवास से करीब एक किलोमीटर दूर पटियाला बाईपास पर इकट्ठा हुए। यहां से प्रदर्शनकारियों ने सीएम के ड्रीमलैंड कॉलोनी में स्थित सीएम आवास की तरफ कूच किया। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सीएम आवास के बाहर चार जिलों का पुलिस बल तैनात था और जबर्दस्त बैरिकेडिंग की गई थी। जब मजदूरों ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के आवास की ओर कूच करना शुरू किया तो मजदूर यूनियन के लोगों पर पंजाब पुलिस ने लाठीचार्ज किया। मजदूर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री के आवास की ओर जा रहे थे जिनमें मुख्य रूप से वेतन में वृद्धि की मांग थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख्यमंत्री आवास के बाहर पहुंचते ही पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प और धक्कामुक्की होने लगी। इस पर प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए पुलिस ने लाठियां भांजी और उन्हें पीछे धकेल किया। इस लाठीचार्ज और धक्कामुक्की में कई प्रदर्शनकारियों की पगड़ी गिर गई, महिलाओं की चुन्नियां खींच ली गईं और कई लोगों को चोटें आईं। इससे नाराज प्रदर्शनकारी सड़क पर ही बैठ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
मुकेश ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को उग्र होता देखा प्रशासन ने आधा घंटे का समय मांगा। आधा घंटे बाद प्रशासन ने एक लेटर देते हुए कहा कि 21 दिसंबर को दोपहर 11 बजे मुख्यमंत्री से किसानों व मजदूरों की बैठक तय की गई है। मुकेश ने बताया कि मुख्यमंत्री से समय मिलने के बाद प्रदर्शनकारियों ने अपना प्रदर्शन खत्म कर दिया। हालांकि मुकेश बताते हैं कि मुख्यमंत्री इससे पहले भी कई बार मीटिंग का समय दे चुके हैं लेकिन हर बार मीटिंग से भाग जाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर इस बार ऐसा हुआ तो सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन छेड़ा जाएगा। मुकेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहते हैं, “सरकार ने बदलाव का जो मुखौटा पहना था, वह उतर गया है। पहले की और मौजूदा सरकार में कोई अंतर नहीं है।”
घटनास्थल के नाटकीय दृश्यों में झंडे लहराते और नारेबाजी करते प्रदर्शनकारियों को पुलिस रोकते हुए दिख रही है। पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान के संगरूर के आवास के बाहर सांझा मजदूर मोर्चा के बैनर तले हुए विरोध प्रदर्शन में मजदूर, न्यूनतम दैनिक मजदूरी बढ़ाकर 700 रुपये करने की मांग कर रहे थे। इसके साथ ही प्रदर्शनकारी मनरेगा के तहत कृषि मजदूरों की न्यूनतम दैनिक मजदूरी में वृद्धि की मांग कर रहे थे।
पूर्व घोषित विरोध प्रदर्शन को लेकर मजदूर बुधवार सुबह ही पटियाला बाईपास पर जमा होना शुरू हो गए थे। दोपहर में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के रोकने पर मुख्यमंत्री आवास की ओर मार्च करना शुरू किया तो पुलिस ने लाठियां भांजी। इससे पहले भी इन कृषि मजदूरों ने अक्टूबर माह में 19 दिन तक विरोध प्रदर्शन किया था। सरकार द्वारा मांगों को लिखित रूप में स्वीकार करने के बाद मजदूर किसान आंदोलन वापस लेने पर सहमत हुए थे। मजदूरों की प्रमुख है कि उन्हें मनरेगा के तहत साल भर काम दिया जाए और न्यूनतम मजदूरी 700 रुपए निर्धारित की जाए। साथ ही पंचायत भूमि (शामलात) का तीसरा हिस्सा दलित समुदाय को कम दर पर देना सुनिश्चित किया जाए। शामलात के लिए होने वाली डमी बोलियों को खारिज किया जाए और इस समस्या को स्थायी रूप से हल किया जाए।
इन भूमिहीन दलित मजदूरों की एक अहम मांग यह भी है कि जरूरतमंदों को 10-10 मरले का प्लॉट दिया जाए और घर बनाने के लिए 5 लाख रुपए का अनुदान दिया जाए, पहले से काटे गए भूखंडों पर तुरंत कब्जा दिया जाए, जिन गांवों की पंचायतों ने भूखंड के लिए प्रस्ताव पास किया है और अब तक उसे लागू नहीं किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। कुल मिलाकर मजूदरों की ऐसी करीब 30 मांगें हैं। मजदूर नेता मुकेश कहते हैं कि सरकार पहले ही बहुत सी मांगों को मान चुकी है, लेकिन उन्हें लागू करने की दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाए हैं। सरकार का यह रवैया अब नहीं चलेगा।
पेंडू मजदूर यूनियन के अध्यक्ष तरसेम पीटर और जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी अध्यक्ष मुकेश मलौध ने कहा कि ग्रामीण और खेत मजदूर संगठनों के आह्वान पर सांझा मोर्चा की अगुआई में बुधवार को पूरे पंजाब से मजदूरों के साथ-साथ बड़ी तादाद में महिलाएं और नौजवान संगरूर पहुंचे। मजदूर संगठनों के सदस्य सुबह से ही संगरूर में इकट्ठा होना शुरू हो गए। यहां से उन्होंने काफिले की शक्ल में सीएम के आवास की ओर कूच किया। संगठनों ने इस प्रदर्शन की जानकारी प्रशासन को पहले से दे रखी थी। लिहाजा सीएम आवास की तरफ जाने वाले रास्ते पर भारी पुलिस बल तैनात था।
सरकार ने मानी मांगों को भी लटकाया
जोरा सिंह, परमजीत सिंह व परगट सिंह ने कहा कि 3 अक्टूबर को मुख्यमंत्री भगवंत मान की मजदूर मोर्चा से बैठक तय थी, मगर अचानक वह बैठक रद्द कर दी गई। उसके बाद वित्त मंत्री हरपाल चीमा के साथ बैठक हुई, मगर उसमें चीमा ने स्वीकार की जा चुकी मांगों पर किंतु-परंतु शुरू कर दिया जिससे मजदूरों में रोष है। मजदूर संगठनों के सदस्यों ने कहा कि पंजाब पुलिस की धक्केशाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सत्ता में आते ही बदल गए सुर
मजदूर नेताओं ने कहा कि इसी साल हुए पंजाब विधानसभा के चुनाव से पहले मजदूरों की मांगों पर आम आदमी पार्टी नेताओं का रवैया कुछ और था, लेकिन मार्च-2022 में पंजाब में आप सरकार बनते ही इन नेताओं के सुर बदल गए। पंजाब सरकार ने अभी तक उनकी मांगों पर बैठक करने का अपना वादा तक पूरा नहीं किया। ऐसे में मजदूर सड़कों पर प्रदर्शन करने को मजबूर हो रहे हैं। मजदूर संगठनों का कहना है कि उन्हें मनरेगा और खेतों में काम करने पर रोज दिहाड़ी नहीं मिलती। पंजाब सरकार पंचायतों को मनरेगा का फंड भी नहीं दे रही। ऐसे में उनके लिए अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है। पंजाब में आज भी मजदूरों की दिहाड़ी ढाई सौ रुपए है। सरकार दिहाड़ी बढ़ाने, प्लॉट देने और कर्ज माफ करने का वादा करके अब मुकर रही है।
मजदूरों के सांझा मोर्चा में ये रहें शामिल
मजदूरों के सांझा मोर्चा में जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी के प्रधान मुकेश मलौद, क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन पंजाब के महासचिव लखवीर सिंह, पंजाब खेत मजदूर यूनियन के राज्य महासचिव लक्ष्मण सिंह, मजदूर मुक्ति मोर्चा के राज्य नेता मक्खन सिंह, कुल हिंद किसान यूनियन के नेता भूपचंद, देहाती मजदूर सभा के नेता प्रकाश नंदगढ़, पेंडू मजदूर यूनियन के राज्य प्रधान तरसेम पीटर शामिल हैं।
ये रहीं प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें-
कपास और धान की फसल को बारिश से हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाए।
मजदूरों को सालभर में रोजगार की गारंटी दी जाए। दिहाड़ी 250 रुपए से बढ़ाकर 700 रुपए की जाए।
मजदूरों को घर बनाने-रहने के लिए पंचायती जमीन सस्ते रेट पर दी जाए।
बेघर जरूरतमंद मजदूरों को घर बनाने के लिए प्लाट दिए जाएं। अलॉट प्लाटों के कब्जे दिए जाएं।
मजदूरों के कर्ज माफ किए जाएं।
विधवा, बुढ़ापा और दिव्यांगों को मिलने वाली रकम बढ़ाकर 5 हजार रुपए की जाए।
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