सत्याग्रह के दौरान यह बात भी उभरकर आयी कि नागरिक अधिकारों पर लगातार हमले किये जा रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और पत्रकारों को फर्जी मुकदमों के जरिये न सिर्फ परेशान किया जा रहा है, बल्कि संदेह के आधार पर जेल भेजा जा रहा है और जमानत पर छूट न पाएं, इसके लिए पुलिस और सरकारी एजेंसियां एड़ी-चोटी एक कर रही हैं। जबकि, जमानत उनका कानूनी अधिकार है। मेधा पाटकर, तीस्ता सेतलवाड़, हिमांशु कुमार, मो. जुबैर इसके ताज़ा उदाहरण हैं।
Image Courtesy- sarvodayajagat.com
गांधी विचार की राष्ट्रीय शीर्ष संस्था सर्व सेवा संघ द्वारा नागरिक अधिकारों, धार्मिक सद्भाव और खादी की रक्षा के लिए 9 अगस्त 2022 को ‘अगस्त क्रांति दिवस’ पर जंतर- मंतर में दिन भर का संकल्प सत्याग्रह किया गया, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों के गांधीवादी संगठनों व कार्यकर्ताओं की सहभागिता रही।
गांधीजी के विचार और काम से जुड़े कार्यकरओं ने देश में घटते लोकतांत्रिक स्पेश, नागरिक अधिकारों के हनन, बिगड़ते साम्प्रदायिक सद्भाव और बेतहाशा बढ़ती मंहगाई व बेरोजगारी को लेकर चिंता प्रकट की। कार्यकर्ताओं ने इस संबंध में अपना क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार इस स्थिति को संभालने और सुधारने की बजाय, इसे बढ़ाने और बिगाड़ने में लगी हुई है।
गांधीवादियों ने कहा कि केंद्र सरकार महात्मा गांधी के विचारों और स्वतंत्रता आंदोलन की विरासतों को योजनाबद्ध तरीके से बिगाड़ने व मिटाने का काम कर रही है। गांधी जी के साबरमती आश्रम के नवीनीकरण का प्रस्ताव, गांधीजी के नाम पर बनी संस्था ‘गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति’ द्वारा प्रकाशित पत्रिका “अंतिमजन” के जून 2022 के अंक को ‘सावरकर अंक’ के रूप में प्रकाशित करना, यह सब इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। पूरा देश जानता है कि विनायक दामोदर सावरकर गांधी हत्या की साजिश में संलिप्त थे, जिसे कपूर कमीशन ने स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है। इसके बावजूद भी गांधी विचार एवं मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित संस्था द्वारा उनका महिमामंडन किया जा रहा है।
सर्व सेवा संघ द्वारा कार्यक्रम के संबंध में जारी प्रेस विज्ञप्ति
गांधीवादी कार्यकर्ताओं का मानना है कि सावरकर की प्रशंसा के लिए किसी को भी पूरी तरह स्वतंत्रता है, परंतु गांधी और गांधी विचार की संस्थाओं के सहारे, उनका महिमा मंडन करना सर्वथा अनुचित, अनैतिक और ढीठ आचरण को दर्शाता है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ व भाजपा के तमाम नेताओं का सावरकर ही नहीं, गोडसे से भी प्रेम जग-जाहिर है, किंतु इसके लिए गांधी विचार की संस्था का कुत्सित उपयोग किसी भी तरह से उचित नहीं है। गांधीवादी कार्यकर्ताओं ने अपेक्षा व्यक्त की है कि गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति ‘अंतिमजन’ के उक्त सावरकर अंक को आधिकारिक रूप से वापस ले।
सत्याग्रह में शामिल सभी गांधीवादी कार्यकर्ता देश में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति के फलस्वरूप बिगड़ते साम्प्रदायिक वातावरण और विरोध व असहमतियों को दबाने के संस्थागत प्रयासों से उतपन्न भय के माहौल से चिंतित हैं। कार्यकर्ताओं ने कहा कि सरकार के धार्मिक वर्चस्व का यह अभियान, सर्वधर्म समभाव की टेक तथा धर्म-निरपेक्षता की भावना और विचार को नष्ट कर देगा। भारत समन्वय और सामंजस्य की भूमि है, इसे किसी एक धर्म, एक भाषा, संस्कृति के वर्चस्व के अधीन रखने का प्रयास ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ पर कुठाराघात होगा।
सत्याग्रह के दौरान यह बात भी उभरकर आयी कि नागरिक अधिकारों पर लगातार हमले किये जा रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और पत्रकारों को फर्जी मुकदमों के जरिये न सिर्फ परेशान किया जा रहा है, बल्कि संदेह के आधार पर जेल भेजा जा रहा है और जमानत पर छूट न पाएं, इसके लिए पुलिस और सरकारी एजेंसियां एड़ी-चोटी एक कर रही हैं। जबकि, जमानत उनका कानूनी अधिकार है। मेधा पाटकर, तीस्ता सेतलवाड़, हिमांशु कुमार, मो. जुबैर इसके ताज़ा उदाहरण हैं। विधि के शासन के सिद्धांत को ठेंगा दिखाते हुए विरोधियों और अल्पसंख्यकों के विरुद्ध बुलडोजर-दंड संस्कृति विकसित की जा रही है, जो अमानवीय ही नहीं, गैर कानूनी भी है। सत्याग्रह में शामिल सभी संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार का दायित्व है कि वह ‘कानून का राज’ कायम करे, नागरिकों की आजादी सुरक्षित रखे और भयमुक्त व्यवस्था का निर्माण करे।
संकल्प सत्याग्रह में शामिल गांधी विचार के संगठनों एवं कार्यकर्ताओं ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ के ऐतिहासिक अवसर पर केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के लिए खादी की अनिवार्यता समाप्त किये जाने की निंदा करते हुए गांधीजनों और समाज के प्रत्येक नागरिकों से अपील की है कि वे सरकार की इस मंशा को कामयाब न होने दें और वे खादी का ही राष्ट्रध्वज फहराएं। उनका कहना है कि ‘खादी वस्त्र नहीं, विचार है’। उसके पीछे स्वतंत्रता सेनानियों की त्याग, तपस्या और बलिदान निहित है। खादी एकमात्र ऐसा सेक्टर है, जो गंभीर बेरोजगारी के दौर में भी बड़ी संख्या में लोगों को सम्मानजनक रोजगार मुहैया कराता है। बावजूद इसके कारपोरेट लॉबी के दबाव में केंद्र सरकार ने यह अनुचित और अनैतिक निर्णय लिया है, जिसकी चौतरफा भर्त्सना और निषेध किया जाना चाहिए। सरकार के इस अनुचित निर्णय ने खादी के राष्ट्रध्वज के निर्माण के पीछे अंतर्निहित श्रम की प्रतिष्ठा, पवित्रता और आजादी की पावन स्मृतियों को नष्ट करने का काम किया है। इसलिये हम चाहते हैं कि सरकार इस निर्णय को शीघ्र वापस ले।
इस मौके पर गांधीजनों ने कहा कि घर-घर तिरंगा अभियान तब तक अधूरा है, जब तक उसके साथ घर घर संविधान की बात न जोड़ी जाए। उन्होंने इसके लिए नया नारा दिया “घर घर तिरंगा – घर घर संविधान”।
कार्यकर्ताओं ने कहा कि तिरंगा हमारी आन-बान-शान है। वह हमारी राष्ट्रीय संप्रभुता, एकता और अखंडता का प्रतीक है। ऐसी स्थिति में हमारे आन-बान-शान तथा राष्ट्रीय संप्रभुता, एकता और अखंडता के सामने प्रश्नचिह्न खड़ा हो रहा है। यह कैसे सुरक्षित रहेगा, जब इस देश के सभी नागरिक परस्पर प्रेम, सौहार्द और भाईचारे के साथ रहें, इस देश की विभिन्नता, बहुलता का सम्मान करें और जातीय, धार्मिक व साम्प्रदायिक एकता कायम रखें। यह भावना तभी प्रबल होगी, जब हम संविधान की प्रस्तावना “वी द पीपुल ऑफ इंडिया – हम भारत के लोग” की भावना को हृदयंगम करें। इसलिए हमारा नारा है – “घर घर तिरंगा – घर घर संविधान”।
सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल की अध्यक्षता तथा प्रबंधक ट्रस्टी अशोक शरण के संयोजन में आयोजित इस संकल्प सत्याग्रह में एवं तीस जनवरी मार्ग पर प्रार्थना के लिए देश भर से आए 100 से अधिक लोगों में गुजरात से अमित पटेल, रश्मि राठौड़, महाराष्ट्र से शेख हुसैन, रमेश दाने, तेलंगाना से शंकर नायक, हरियाणा से जयभगवान शर्मा, मुस्लिम चौहान, राजस्थान से आशा बहन बोथरा, सवाई सिंह, मध्य प्रदेश से संतोष द्विवेदी, पारुल बहन, सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान की मंत्री चतुरा बहन, सेवाग्राम आश्रम के अध्यक्ष टीआरएन प्रभु, उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज भाई, उत्तराखंड से साहेब सिंह सजवाण, सर्व सेवा संघ के महामंत्री गौरांगचन्द्र महापात्र, मंत्री अरविंद कुशवाहा, दिल्ली से विजय मिश्रा, उत्तर प्रदेश के मेरठ से वयोवृत्र गांधीवादी कृष्ण कुमार खन्ना, हरियाणा प्रदेश सर्वोदय मंडल के उपाध्यक्ष सुरेन्द्र छोकर सहित गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष रामचंद्र राही, सचिव संजय सिंह, राजघाट सन्निधि की अध्यक्ष कुसुम बहन शाह, खुदाई खिदमतगार के फैजल खान सहित मगन संग्रहालय, वर्धा, गांधी स्मारक निधि, नई दिल्ली, राष्ट्रीय युवा हल्ला बोल संगठन, राष्ट्रीय किसान मोर्चा के साथ सहमना गांधी संगठन भी शामिल हुए।
09 अगस्त से 30 जनवरी 2023 तक चलने वाले महा जनजागरण यात्रा कार्यक्रम की यह शुरूआत है। 15 अगस्त 2022 को देश भर में लोग चरखा चलाएंगे और सरकार को यह आवाज देंगे की हमारी शान तिरंगे से आप छेड़छाड़ नहीं कर सकते, क्योंकि हम जिंदा हैं, जरूरत पड़ने पर मर मिटने से पीछे नहीं हटेंगे।
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गांधी विचार की राष्ट्रीय शीर्ष संस्था सर्व सेवा संघ द्वारा नागरिक अधिकारों, धार्मिक सद्भाव और खादी की रक्षा के लिए 9 अगस्त 2022 को ‘अगस्त क्रांति दिवस’ पर जंतर- मंतर में दिन भर का संकल्प सत्याग्रह किया गया, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों के गांधीवादी संगठनों व कार्यकर्ताओं की सहभागिता रही।
गांधीजी के विचार और काम से जुड़े कार्यकरओं ने देश में घटते लोकतांत्रिक स्पेश, नागरिक अधिकारों के हनन, बिगड़ते साम्प्रदायिक सद्भाव और बेतहाशा बढ़ती मंहगाई व बेरोजगारी को लेकर चिंता प्रकट की। कार्यकर्ताओं ने इस संबंध में अपना क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार इस स्थिति को संभालने और सुधारने की बजाय, इसे बढ़ाने और बिगाड़ने में लगी हुई है।
गांधीवादियों ने कहा कि केंद्र सरकार महात्मा गांधी के विचारों और स्वतंत्रता आंदोलन की विरासतों को योजनाबद्ध तरीके से बिगाड़ने व मिटाने का काम कर रही है। गांधी जी के साबरमती आश्रम के नवीनीकरण का प्रस्ताव, गांधीजी के नाम पर बनी संस्था ‘गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति’ द्वारा प्रकाशित पत्रिका “अंतिमजन” के जून 2022 के अंक को ‘सावरकर अंक’ के रूप में प्रकाशित करना, यह सब इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। पूरा देश जानता है कि विनायक दामोदर सावरकर गांधी हत्या की साजिश में संलिप्त थे, जिसे कपूर कमीशन ने स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है। इसके बावजूद भी गांधी विचार एवं मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित संस्था द्वारा उनका महिमामंडन किया जा रहा है।
सर्व सेवा संघ द्वारा कार्यक्रम के संबंध में जारी प्रेस विज्ञप्ति
गांधीवादी कार्यकर्ताओं का मानना है कि सावरकर की प्रशंसा के लिए किसी को भी पूरी तरह स्वतंत्रता है, परंतु गांधी और गांधी विचार की संस्थाओं के सहारे, उनका महिमा मंडन करना सर्वथा अनुचित, अनैतिक और ढीठ आचरण को दर्शाता है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ व भाजपा के तमाम नेताओं का सावरकर ही नहीं, गोडसे से भी प्रेम जग-जाहिर है, किंतु इसके लिए गांधी विचार की संस्था का कुत्सित उपयोग किसी भी तरह से उचित नहीं है। गांधीवादी कार्यकर्ताओं ने अपेक्षा व्यक्त की है कि गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति ‘अंतिमजन’ के उक्त सावरकर अंक को आधिकारिक रूप से वापस ले।
सत्याग्रह में शामिल सभी गांधीवादी कार्यकर्ता देश में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति के फलस्वरूप बिगड़ते साम्प्रदायिक वातावरण और विरोध व असहमतियों को दबाने के संस्थागत प्रयासों से उतपन्न भय के माहौल से चिंतित हैं। कार्यकर्ताओं ने कहा कि सरकार के धार्मिक वर्चस्व का यह अभियान, सर्वधर्म समभाव की टेक तथा धर्म-निरपेक्षता की भावना और विचार को नष्ट कर देगा। भारत समन्वय और सामंजस्य की भूमि है, इसे किसी एक धर्म, एक भाषा, संस्कृति के वर्चस्व के अधीन रखने का प्रयास ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ पर कुठाराघात होगा।
सत्याग्रह के दौरान यह बात भी उभरकर आयी कि नागरिक अधिकारों पर लगातार हमले किये जा रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और पत्रकारों को फर्जी मुकदमों के जरिये न सिर्फ परेशान किया जा रहा है, बल्कि संदेह के आधार पर जेल भेजा जा रहा है और जमानत पर छूट न पाएं, इसके लिए पुलिस और सरकारी एजेंसियां एड़ी-चोटी एक कर रही हैं। जबकि, जमानत उनका कानूनी अधिकार है। मेधा पाटकर, तीस्ता सेतलवाड़, हिमांशु कुमार, मो. जुबैर इसके ताज़ा उदाहरण हैं। विधि के शासन के सिद्धांत को ठेंगा दिखाते हुए विरोधियों और अल्पसंख्यकों के विरुद्ध बुलडोजर-दंड संस्कृति विकसित की जा रही है, जो अमानवीय ही नहीं, गैर कानूनी भी है। सत्याग्रह में शामिल सभी संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार का दायित्व है कि वह ‘कानून का राज’ कायम करे, नागरिकों की आजादी सुरक्षित रखे और भयमुक्त व्यवस्था का निर्माण करे।
संकल्प सत्याग्रह में शामिल गांधी विचार के संगठनों एवं कार्यकर्ताओं ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ के ऐतिहासिक अवसर पर केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के लिए खादी की अनिवार्यता समाप्त किये जाने की निंदा करते हुए गांधीजनों और समाज के प्रत्येक नागरिकों से अपील की है कि वे सरकार की इस मंशा को कामयाब न होने दें और वे खादी का ही राष्ट्रध्वज फहराएं। उनका कहना है कि ‘खादी वस्त्र नहीं, विचार है’। उसके पीछे स्वतंत्रता सेनानियों की त्याग, तपस्या और बलिदान निहित है। खादी एकमात्र ऐसा सेक्टर है, जो गंभीर बेरोजगारी के दौर में भी बड़ी संख्या में लोगों को सम्मानजनक रोजगार मुहैया कराता है। बावजूद इसके कारपोरेट लॉबी के दबाव में केंद्र सरकार ने यह अनुचित और अनैतिक निर्णय लिया है, जिसकी चौतरफा भर्त्सना और निषेध किया जाना चाहिए। सरकार के इस अनुचित निर्णय ने खादी के राष्ट्रध्वज के निर्माण के पीछे अंतर्निहित श्रम की प्रतिष्ठा, पवित्रता और आजादी की पावन स्मृतियों को नष्ट करने का काम किया है। इसलिये हम चाहते हैं कि सरकार इस निर्णय को शीघ्र वापस ले।
इस मौके पर गांधीजनों ने कहा कि घर-घर तिरंगा अभियान तब तक अधूरा है, जब तक उसके साथ घर घर संविधान की बात न जोड़ी जाए। उन्होंने इसके लिए नया नारा दिया “घर घर तिरंगा – घर घर संविधान”।
कार्यकर्ताओं ने कहा कि तिरंगा हमारी आन-बान-शान है। वह हमारी राष्ट्रीय संप्रभुता, एकता और अखंडता का प्रतीक है। ऐसी स्थिति में हमारे आन-बान-शान तथा राष्ट्रीय संप्रभुता, एकता और अखंडता के सामने प्रश्नचिह्न खड़ा हो रहा है। यह कैसे सुरक्षित रहेगा, जब इस देश के सभी नागरिक परस्पर प्रेम, सौहार्द और भाईचारे के साथ रहें, इस देश की विभिन्नता, बहुलता का सम्मान करें और जातीय, धार्मिक व साम्प्रदायिक एकता कायम रखें। यह भावना तभी प्रबल होगी, जब हम संविधान की प्रस्तावना “वी द पीपुल ऑफ इंडिया – हम भारत के लोग” की भावना को हृदयंगम करें। इसलिए हमारा नारा है – “घर घर तिरंगा – घर घर संविधान”।
सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल की अध्यक्षता तथा प्रबंधक ट्रस्टी अशोक शरण के संयोजन में आयोजित इस संकल्प सत्याग्रह में एवं तीस जनवरी मार्ग पर प्रार्थना के लिए देश भर से आए 100 से अधिक लोगों में गुजरात से अमित पटेल, रश्मि राठौड़, महाराष्ट्र से शेख हुसैन, रमेश दाने, तेलंगाना से शंकर नायक, हरियाणा से जयभगवान शर्मा, मुस्लिम चौहान, राजस्थान से आशा बहन बोथरा, सवाई सिंह, मध्य प्रदेश से संतोष द्विवेदी, पारुल बहन, सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान की मंत्री चतुरा बहन, सेवाग्राम आश्रम के अध्यक्ष टीआरएन प्रभु, उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज भाई, उत्तराखंड से साहेब सिंह सजवाण, सर्व सेवा संघ के महामंत्री गौरांगचन्द्र महापात्र, मंत्री अरविंद कुशवाहा, दिल्ली से विजय मिश्रा, उत्तर प्रदेश के मेरठ से वयोवृत्र गांधीवादी कृष्ण कुमार खन्ना, हरियाणा प्रदेश सर्वोदय मंडल के उपाध्यक्ष सुरेन्द्र छोकर सहित गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष रामचंद्र राही, सचिव संजय सिंह, राजघाट सन्निधि की अध्यक्ष कुसुम बहन शाह, खुदाई खिदमतगार के फैजल खान सहित मगन संग्रहालय, वर्धा, गांधी स्मारक निधि, नई दिल्ली, राष्ट्रीय युवा हल्ला बोल संगठन, राष्ट्रीय किसान मोर्चा के साथ सहमना गांधी संगठन भी शामिल हुए।
09 अगस्त से 30 जनवरी 2023 तक चलने वाले महा जनजागरण यात्रा कार्यक्रम की यह शुरूआत है। 15 अगस्त 2022 को देश भर में लोग चरखा चलाएंगे और सरकार को यह आवाज देंगे की हमारी शान तिरंगे से आप छेड़छाड़ नहीं कर सकते, क्योंकि हम जिंदा हैं, जरूरत पड़ने पर मर मिटने से पीछे नहीं हटेंगे।