देश में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ उत्पीड़न की ख़बरें लगातार सुर्खियां बन रही हैं। ताजा मामला ओडिशा के बारगढ़ ज़िले के चकरकंद गांव का है। जहां तीन दलित लोगों के साथ मारपीट का मामला सामने आया है। हाल ही में मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में दो गौतस्करी के शक में दो आदिवासियों की हत्या कर दी गई थी।
ओडिशा से सामने आए मामले में आरोप है कि, गांव के तथाकथित ऊंची जाति के लोगों ने दलितों से मरी गाय की खाल निकालने को कहा, लेकिन जब पीड़ित खाल निकालने लगे तो गाय के मालिक कुछ लोगों के साथ मिलकर तीनों की बुरी तरह पिटाई कर दी। मामले में पुलिस ने 6 लोगों के खिलाफ मामला भी दर्ज कर लिया और पुलिस को उनकी तलाश है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के मुताबिक, ओडिशा के बारगढ़ ज़िले के चकरकंद गांव में कैलाश मेहर (45), बिघनराज मेहर (40) और दूखू मेहर (40) मरे हुए मवेशियों को दफनाने और खाल निकालने का काम करते हैं। 1 अप्रैल को इनको गांव के चौकीदार से ख़बर मिली कि गांव के वृंदावन साहू की गाय की मौत हो चुकी है और उसको ठिकाने लगाना है। लेकिन वृंदावन साहू गाय को दफनाने के लिए मना करते हैं और उसकी खाल निकालने के लिए कहते हैं। लेकिन जब ये तीनों लोग खाल निकालने के लिए मरी हुई गाय को काटने लगते हैं तो वृंदावन साहू अपने 5 दोस्तों के साथ मिलकर तीनों लोगों को बुरी तरह पीटते हैं।
पीड़ित लोगों का कहना है कि, गाय मालिक वृंदावन साहू ने खुद मरी गाय की खाल निकालने को कहा था लेकिन जब वो ऐसा करने लगे तो इनके साथियों द्वारा मारपीट की गई और जातिसूचक गालिया दी गई। पीड़ित लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि, आरोपी उनसे 10 हज़ार रूपये और एक मोबाइल फ़ोन भी छीन कर ले गये।
मामले में जांच कर रहे, पुलिस कर्मचारी गोसनर ने बताया कि, “मामले में 6 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जायेगा।” वही थानाप्रभारी स्वपना रानी ने बताया कि, आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है और सर्च अभियान जारी है। जैसे ही इनके बारे में सूचना मिलेगी उन्हें तुरंत पकड़ा जायेगा।
ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस (AILAJ) की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दलित समुदाय के तीन लोग, चाकरकेंड गांव के निवासी हैं। 1 मई को उनके पास नीलेश्वर गांव के एक उच्च जाति के परिवार से एक मरी हुई गाय को ले जाने के लिए फोन आया। तीन व्यक्ति - कैलास रविदास, बिघनराज मेहर, और दुखू मेहर - मृत गाय को ले गए तभी लगभग बजरंग दल के 30 गुंडों ने उन्हें घेर लिया। इन लोगों ने उनपर गोहत्या का आरोप लगाकर बेरहमी से पीटना करना शुरू कर दिया।
आपको बता दें कि, भीड़ द्वारा गौ तस्करी के शक में उत्पीड़न का ये नया मामला नहीं है। हालही में मध्यप्रदेश के सिवनी में भी भीड़ द्वारा गौ मांस तस्करी के शक में 2 आदिवासियों की पीट-पीट कर हत्या का मामला सामने आया था। ज़िसमें इलाके के लोगों द्वारा भारी प्रदर्शन के बाद 9 लोगों की गिरफ्तारी की गई थी।
बता दें कि दलित वर्ग वर्ण व्यवस्था के चलते मरे जानवरों की खाल उतारते आए हैं। वे हमेशा से तिरस्कार व दुत्कार झेलते रहे हैं। लेकिन साल 2016 में गुजरात के ऊना में हुई एक ऐसी ही घटना ने देश को हिला कर रख दिया था। यहां मरी गाय की खाल उतारने पर सवर्णों द्वारा दलितों को गाड़ी से बांधकर पीटते हुए थाने तक लाया गया था। इस घटना के कई दिनों तक कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई लेकिन मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद एक आंदोलन शुरू हो गया और देशभर से इसके विरोध में आवाज उठी। तब वहां के दलितों ने मरे जानवर को संबंधित जिला मुख्यालय के बाहर ले जाकर डाल दिया था।
इस घटना के बाद वर्तमान में निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने दलितों को इकट्ठा कर मोर्चा खोल दिया था। उऩ्होंने नारा दिया था, ''अपनी गाय की पूंछ अपने पास रखो, हमें हमारी जमीन वापस दो''। जिग्नेश मेवाणी की लामबंदी का असर यह हुआ कि राज्य में दलितों में जागरुकता आई और वे अपनी पट्टे की जमीनों को वापस लेने पर अड़ गए जो कि स्थानीय दबंगों द्वारा दबा ली गई थीं।
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द मूकनायक की रिपोर्ट के मुताबिक, ओडिशा के बारगढ़ ज़िले के चकरकंद गांव में कैलाश मेहर (45), बिघनराज मेहर (40) और दूखू मेहर (40) मरे हुए मवेशियों को दफनाने और खाल निकालने का काम करते हैं। 1 अप्रैल को इनको गांव के चौकीदार से ख़बर मिली कि गांव के वृंदावन साहू की गाय की मौत हो चुकी है और उसको ठिकाने लगाना है। लेकिन वृंदावन साहू गाय को दफनाने के लिए मना करते हैं और उसकी खाल निकालने के लिए कहते हैं। लेकिन जब ये तीनों लोग खाल निकालने के लिए मरी हुई गाय को काटने लगते हैं तो वृंदावन साहू अपने 5 दोस्तों के साथ मिलकर तीनों लोगों को बुरी तरह पीटते हैं।
पीड़ित लोगों का कहना है कि, गाय मालिक वृंदावन साहू ने खुद मरी गाय की खाल निकालने को कहा था लेकिन जब वो ऐसा करने लगे तो इनके साथियों द्वारा मारपीट की गई और जातिसूचक गालिया दी गई। पीड़ित लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि, आरोपी उनसे 10 हज़ार रूपये और एक मोबाइल फ़ोन भी छीन कर ले गये।
मामले में जांच कर रहे, पुलिस कर्मचारी गोसनर ने बताया कि, “मामले में 6 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जायेगा।” वही थानाप्रभारी स्वपना रानी ने बताया कि, आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है और सर्च अभियान जारी है। जैसे ही इनके बारे में सूचना मिलेगी उन्हें तुरंत पकड़ा जायेगा।
ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस (AILAJ) की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दलित समुदाय के तीन लोग, चाकरकेंड गांव के निवासी हैं। 1 मई को उनके पास नीलेश्वर गांव के एक उच्च जाति के परिवार से एक मरी हुई गाय को ले जाने के लिए फोन आया। तीन व्यक्ति - कैलास रविदास, बिघनराज मेहर, और दुखू मेहर - मृत गाय को ले गए तभी लगभग बजरंग दल के 30 गुंडों ने उन्हें घेर लिया। इन लोगों ने उनपर गोहत्या का आरोप लगाकर बेरहमी से पीटना करना शुरू कर दिया।
आपको बता दें कि, भीड़ द्वारा गौ तस्करी के शक में उत्पीड़न का ये नया मामला नहीं है। हालही में मध्यप्रदेश के सिवनी में भी भीड़ द्वारा गौ मांस तस्करी के शक में 2 आदिवासियों की पीट-पीट कर हत्या का मामला सामने आया था। ज़िसमें इलाके के लोगों द्वारा भारी प्रदर्शन के बाद 9 लोगों की गिरफ्तारी की गई थी।
बता दें कि दलित वर्ग वर्ण व्यवस्था के चलते मरे जानवरों की खाल उतारते आए हैं। वे हमेशा से तिरस्कार व दुत्कार झेलते रहे हैं। लेकिन साल 2016 में गुजरात के ऊना में हुई एक ऐसी ही घटना ने देश को हिला कर रख दिया था। यहां मरी गाय की खाल उतारने पर सवर्णों द्वारा दलितों को गाड़ी से बांधकर पीटते हुए थाने तक लाया गया था। इस घटना के कई दिनों तक कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई लेकिन मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद एक आंदोलन शुरू हो गया और देशभर से इसके विरोध में आवाज उठी। तब वहां के दलितों ने मरे जानवर को संबंधित जिला मुख्यालय के बाहर ले जाकर डाल दिया था।
इस घटना के बाद वर्तमान में निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने दलितों को इकट्ठा कर मोर्चा खोल दिया था। उऩ्होंने नारा दिया था, ''अपनी गाय की पूंछ अपने पास रखो, हमें हमारी जमीन वापस दो''। जिग्नेश मेवाणी की लामबंदी का असर यह हुआ कि राज्य में दलितों में जागरुकता आई और वे अपनी पट्टे की जमीनों को वापस लेने पर अड़ गए जो कि स्थानीय दबंगों द्वारा दबा ली गई थीं।
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