मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक बार फिर से किसान आंदोलन का हल न तलाश पाने को लेकर केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया है। मलिक ने आंदोलन समाप्त कराने का फार्मूला भी सुझाया है तो वहीं अन्यथा की स्थिति को लेकर चेताया भी है। उन्होंने कहा कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का कानून बना दे तो तीन कृषि कानूनों पर किसान मान जाएंगे। इसके लिए वह मध्यस्थता को भी तैयार हैं। उन्होंने आगे कहा कि किसानों के मुद्दे को लेकर वह केंद्र सरकार से लड़ भी चुके हैं। किसानों की सुनवाई होनी चाहिए। एमएसपी लागू हो जाएगा तो किसान संतुष्ट हो जाएंगे। उसके बाद आंदोलन भी स्वत: समाप्त हो जाएगा। लेकिन अगर किसानों की मांगें पूरी नहीं हुईं तो भाजपा सरकार सत्ता में भी नहीं लौटेगी।
राजस्थान के झुंझुनू में एक कार्यक्रम में मलिक ने दो टूक कहा, अगर किसानों की मांगें पूरी नहीं की गईं, तो यह सरकार सत्ता में भी नहीं लौटेगी। मलिक ने कहा कि, सरकारों का मिजाज आसमान पर पहुंच जाता है तो लोगों की तकलीफ नहीं दिखती है। अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो सरकार दोबारा नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि, अगर सरकार एमएसपी पर गारंटी दे दे तो तीनों कानूनों के मामले पर मैं किसानों को मना लूंगा। क्या किसानों के साथ खड़े होने के लिए वह अपना पद छोड़ देंगे, पर मलिक ने कहा कि वह किसानों के साथ खड़े हैं और वर्तमान में पद छोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन जरूरत पड़ने पर वह ऐसा भी करेंगे। कहा कि किसानों के विरोध के मुद्दे पर वह कई लोगों के साथ लड़े हैं। प्रधानमंत्री, गृहमंत्री सभी के साथ झगड़ा किया है। मैंने सभी से कहा है कि तुम गलत कर रहे हो, ऐसा मत करो। अगर सरकार एमएसपी की कानूनी गारंटी देती है, तो समाधान निकल जाएगा। किसान 3 विधेयकों के मुद्दे को इसलिए छोड़ सकते हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। केवल एक ही बात है और वह भी आप नहीं कर रहे हैं, तो क्यों? याद रहे बिना एमएसपी के कुछ नहीं होगा।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर सरकार उनसे पूछे तो वह केंद्र और किसानों के बीच मध्यस्थता करने को तैयार हैं। लेकिन एक ही बात है। आप एमएसपी की गारंटी दें, मैं किसानों को समझाऊंगा कि कृषि कानून ठंडे बस्ते में हैं, अब इसे छोड़ दें। “उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी होनी चाहिए। अगर ये नहीं है तो वे बर्बाद हो जाएंगे। इससे कम पर वे कोई समझौता नहीं करेंगे। किसानों की हालत बेहद खराब है। केंद्र निश्चित रूप से इस मामले में गलत राह पर है। मलिक ने कहा कि केंद्र सरकार को समझना चाहिए कि किसान 10 महीने से अपना घर, परिवार छोड़कर सड़कों पर बैठे हैं। फसल बुवाई का समय है। इतना लंबा समय हो जाने के बाद भी उनकी सुनवाई नहीं होने से उनमें गुस्सा है।
मलिक ने कहा कि यही सब कारण है भाजपा नेता अब चुनाव वाले उत्तर प्रदेश के कई गांवों में प्रवेश भी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि “मैं मेरठ से हूँ। मेरे क्षेत्र में कोई भी भाजपा नेता किसी गांव में प्रवेश नहीं कर सकता है। मेरठ में, मुजफ्फरनगर में, बागपत में वे प्रवेश नहीं कर सकते। यही नहीं, इस साल की शुरुआत में भी मलिक ने किसानों के समर्थन में कहा था कि किसानों का अपमान नहीं किया जा सकता है। मलिक उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर दो बार सांसद भी रहे हैं।
सत्यपाल मलिक जम्मू कश्मीर के भी राज्यपाल रहे हैं। उन्होंने कश्मीर में आतंकी हमलों को लेकर भी सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब वे कश्मीर के राज्यपाल थे, तब वहां पर आतंकवाद काफी हद तक कम हुआ था। लेकिन अब एक बार फिर से जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं देखी जा रही हैं। आतंकवादी आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। जिसमें अल्पसंख्यकों की संख्या अधिक है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि “मेरे रहते हुए कोई आतंकवादी श्रीनगर के 50-100 किलोमीटर के दायरे में घुस नहीं सकता था। अब वो श्रीनगर शहर में घुसकर मार रहे हैं। शहर के अंदर खुलेआम हत्या कर रहे हैं। मलिक ने कहा कि, आतंकी गरीब लोगों को मार रहे हैं, इन घटनाओं का मैं विश्लेषण नहीं कर सकता, यह दर्दनाक है।
लखीमपुर हिंसा मामले में मलिक ने कहा कि यह घटना होते ही केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र को इस्तीफा दे देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अजय मिश्र केंद्रीय गृह राज्यमंत्री तो क्या, मंत्री बनने लायक नहीं है। सिख समुदाय को निशाना बनाने की बात पर राज्यपाल मलिक ने कहा कि यह समुदाय हमेशा से देशभक्त रहा है। इस पर किसी प्रकार का लांछन लगाना हमारे इतिहास का अपमान है।
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राजस्थान के झुंझुनू में एक कार्यक्रम में मलिक ने दो टूक कहा, अगर किसानों की मांगें पूरी नहीं की गईं, तो यह सरकार सत्ता में भी नहीं लौटेगी। मलिक ने कहा कि, सरकारों का मिजाज आसमान पर पहुंच जाता है तो लोगों की तकलीफ नहीं दिखती है। अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो सरकार दोबारा नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि, अगर सरकार एमएसपी पर गारंटी दे दे तो तीनों कानूनों के मामले पर मैं किसानों को मना लूंगा। क्या किसानों के साथ खड़े होने के लिए वह अपना पद छोड़ देंगे, पर मलिक ने कहा कि वह किसानों के साथ खड़े हैं और वर्तमान में पद छोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन जरूरत पड़ने पर वह ऐसा भी करेंगे। कहा कि किसानों के विरोध के मुद्दे पर वह कई लोगों के साथ लड़े हैं। प्रधानमंत्री, गृहमंत्री सभी के साथ झगड़ा किया है। मैंने सभी से कहा है कि तुम गलत कर रहे हो, ऐसा मत करो। अगर सरकार एमएसपी की कानूनी गारंटी देती है, तो समाधान निकल जाएगा। किसान 3 विधेयकों के मुद्दे को इसलिए छोड़ सकते हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। केवल एक ही बात है और वह भी आप नहीं कर रहे हैं, तो क्यों? याद रहे बिना एमएसपी के कुछ नहीं होगा।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर सरकार उनसे पूछे तो वह केंद्र और किसानों के बीच मध्यस्थता करने को तैयार हैं। लेकिन एक ही बात है। आप एमएसपी की गारंटी दें, मैं किसानों को समझाऊंगा कि कृषि कानून ठंडे बस्ते में हैं, अब इसे छोड़ दें। “उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी होनी चाहिए। अगर ये नहीं है तो वे बर्बाद हो जाएंगे। इससे कम पर वे कोई समझौता नहीं करेंगे। किसानों की हालत बेहद खराब है। केंद्र निश्चित रूप से इस मामले में गलत राह पर है। मलिक ने कहा कि केंद्र सरकार को समझना चाहिए कि किसान 10 महीने से अपना घर, परिवार छोड़कर सड़कों पर बैठे हैं। फसल बुवाई का समय है। इतना लंबा समय हो जाने के बाद भी उनकी सुनवाई नहीं होने से उनमें गुस्सा है।
मलिक ने कहा कि यही सब कारण है भाजपा नेता अब चुनाव वाले उत्तर प्रदेश के कई गांवों में प्रवेश भी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि “मैं मेरठ से हूँ। मेरे क्षेत्र में कोई भी भाजपा नेता किसी गांव में प्रवेश नहीं कर सकता है। मेरठ में, मुजफ्फरनगर में, बागपत में वे प्रवेश नहीं कर सकते। यही नहीं, इस साल की शुरुआत में भी मलिक ने किसानों के समर्थन में कहा था कि किसानों का अपमान नहीं किया जा सकता है। मलिक उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर दो बार सांसद भी रहे हैं।
सत्यपाल मलिक जम्मू कश्मीर के भी राज्यपाल रहे हैं। उन्होंने कश्मीर में आतंकी हमलों को लेकर भी सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब वे कश्मीर के राज्यपाल थे, तब वहां पर आतंकवाद काफी हद तक कम हुआ था। लेकिन अब एक बार फिर से जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं देखी जा रही हैं। आतंकवादी आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। जिसमें अल्पसंख्यकों की संख्या अधिक है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि “मेरे रहते हुए कोई आतंकवादी श्रीनगर के 50-100 किलोमीटर के दायरे में घुस नहीं सकता था। अब वो श्रीनगर शहर में घुसकर मार रहे हैं। शहर के अंदर खुलेआम हत्या कर रहे हैं। मलिक ने कहा कि, आतंकी गरीब लोगों को मार रहे हैं, इन घटनाओं का मैं विश्लेषण नहीं कर सकता, यह दर्दनाक है।
लखीमपुर हिंसा मामले में मलिक ने कहा कि यह घटना होते ही केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र को इस्तीफा दे देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अजय मिश्र केंद्रीय गृह राज्यमंत्री तो क्या, मंत्री बनने लायक नहीं है। सिख समुदाय को निशाना बनाने की बात पर राज्यपाल मलिक ने कहा कि यह समुदाय हमेशा से देशभक्त रहा है। इस पर किसी प्रकार का लांछन लगाना हमारे इतिहास का अपमान है।
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