मुख्य सचिव विवाद में बोलीं ममता- हिटलर, स्टालिन की तरह व्यवहार कर रहे मोदी-शाह

Written by Navnish Kumar | Published on: June 1, 2021
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय ने रिटायरमेंट ले लिया है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें 3 साल के लिए अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त किया है। हरे कृष्ण द्विवेदी नए मुख्य सचिव नियुक्त किए गए है। खास है कि अलापन को डेपुटेशन पर दिल्ली बुलाने के फ़ैसले को लेकर केंद्र और ममता सरकार आमने-सामने थीं।



ममता का कहना है कि इस बारे में उनसे (राज्य से) कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया। ममता ने पीएम नरेंद्र मोदी को संबोधित पत्र में कहा कि मैं बंगाल के मुख्य सचिव को अचानक वापस बुलाने के फैसले से चकित हूं। केंद्र सरकार को इस पर फिर से विचार करना चाहिए। ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार मुझसे नाराज है लेकिन ईमानदारी से काम करने वाले मुख्य सचिव के जरिए मुझ पर भड़ास निकालने का प्रयास कर रही है।

खास है कि केंद्र सरकार ने बीती 28 मई को एक पत्र भेजकर मुख्य सचिव को 31 मई को दिल्ली में कार्यभार संभालने को कहा था। लेकिन राज्य सरकार ने उनको रिलीज़ नहीं करने का फ़ैसला किया था और गेंद केंद्र के पाले में डाल दी थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अब कहा है कि केंद्र सरकार के पत्र से पहले ही अलापन ने रिटायरमेंट ले लिया था और उन्हें तीन साल के लिए मुख्यमंत्री का नया मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया है।

ममता बनर्जी ने कहा केंद्र यह भी नहीं जानता है कि बंदोपाध्याय ने सेवानिवृत्ति ले ली है और अब वह केंद्र सरकार की सेवा के लिए उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन कोरोना महामारी के कारण उनकी हमें जरूरत है। कोविड और साइक्लोन यास को देखते हुए उनकी गरीबों की सेवा जारी रखने की आवश्यकता है। ममता ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी नौकरशाहों के साथ बंधुआ मजदूरों की तरह सलूक करते हैं। अगर पूरी जिंदगी काम के प्रति समर्पित नौकरशाह का अपमान किया जाता है तो केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री क्या संदेश देना चाहते हैं। बंगाली कैडर के कई अफसर केंद्र सरकार में हैं। क्या मैं उन्हें बिना सलाह-मशविरे के बुला सकती हूं। बेहद नाराज ममता ने कहा, आप नौकरशाही को डराना चाहते हैं। हम डरते नहीं हैं। हम आपसे नहीं डरते हैं। जो डरते हैं वो टूट जाते हैं, हम लड़ेंगे और जीतेंगे। 

इस दौरान ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह पर तीखे ज़ुबानी हमले किए। उन्होंने कहा कि उन्होंने 'ऐसे निर्मम प्रधानमंत्री और गृह मंत्री आज तक नहीं देखे हैं'। यही नहीं, ममता बनर्जी ने यहां तक कहा कि पीएम मोदी और अमित शाह तानाशाह हिटलर और स्टालिन की तरह व्यवहार कर रहे हैं। ममता ने कहा कि वो सभी राज्य सरकारों, विपक्षी नेताओं, आईएएस-आईपीएस अफसरों और एनजीओ से एकजुट होकर संघर्ष करने की अपील कर रही हैं। वहीं, कई पूर्व नौकरशाहों ने भी मुख्य सचिव के औचक तबादले को ग़ैर-क़ानूनी बताते हुए राज्य सरकार के रुख़ का समर्थन किया था।

दूसरी ओर, कोविड वैक्सीन आदि को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के सीएम हेमन्त सोरेन व केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी केंद्र सरकार खासकर प्रधानमंत्री पर तीखा हमला बोला है और राज्यों के साथ राजनीति करने की बजाय संघवाद व मिलकर काम करने की सलाह तक दे डाली है। झारखंड सीएम हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी से कहा हम आपको अभिभावक मानने को तैयार हैं लेकिन आप हमारी सुनते ही नहीं...

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। कहा केंद्र संयुक्त रूप से महामारी की चुनौतियों का सामना करने के बजाय राजनीति कर रहा है। ऐसे माहौल में प्रधानमंत्री मोदी सभी राज्यों को साथ लेकर चलें। संक्रमण का यह काल केंद्र के स्तर से राजनीति करने का वक्त नहीं है। ऐसे माहौल में संयुक्त रूप से महामारी की चुनौतियों का सामना करने की तैयार करनी चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि एक ऐसे समय में राजनीति की जा रही है जब पीएम को राज्यों को साथ लेकर तूफान से मुकाबला करना चाहिए था। सोरेन ने कहा कि यह वक्त पैर खींचने का नहीं है, एक साथ तूफान का सामना करने का है। लेकिन, आप (केंद्र) समुद्र के बीच में लड़ाई लड़ेंगे तो हम (राज्य) भी डूब जाएंगे।

एक समाचार एजेंसी से बातचीत में मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि अभी केंद्र और राज्य के बीच उचित समन्वय का वक्त है लेकिन प्रधानमंत्री वीडियो कांफ्रेंसिंग में डीएम और डीसी से बात करते हैं, लेकिन मुख्यमंत्रियों से नहीं। संघीय व्यवस्था में आप राज्य के मुख्यमंत्रियों को स्वीकार नहीं करते, ऐसी मिसाल 70 साल में कभी नहीं बनाई गई। उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि पिछली बार केंद्र सरकार ने लाखों गरीब लोगों और असहाय व प्रवासी श्रमिकों के लिए व्यवस्था किए बगैर लॉकडाउन की घोषणा कर दी। इस कारण से कई लोगों की जान गई। अब आप लॉकडाउन नहीं लगाने की बात कह रहे हैं जो कि कई मौतों का कारण बनता।

वैक्सीन वितरण पर उन्होंने कहा कि 18 से 44 वर्ष के लोगों के लिए बमुश्किल दो-तीन दिनों का डोज बचा है। झारखंड देश की आवश्यकता के हिसाब से 34 फीसद ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है लेकिन हमें अपनी आवश्यकताओं के लिए हाथ जोड़ने पड़ रहे हैं। इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पत्र लिखने को कहा था। हम केंद्र को अभिभावक मानने को तैयार हैं लेकिन जब आपने झारखंड के ऑक्सीजन प्लांट्स को नियंत्रण में लिया है तो पहली प्राथमिकता हमें मिलनी चाहिए थी।

वैक्सीन की बर्बादी संबंधी आरोपों पर कहा कि केंद्र की ओर से जारी आंकड़ा वास्तविकता की तुलना में कहीं अधिक था। 27 मई को केंद्र से रिकॉर्ड सुधारने को पत्र लिखा जिसके बाद आंकड़े सुधारे गए। कोविन पोर्टल पर पंजीकरण की प्रक्रिया जटिल है। झारखंड में डिजिटल साक्षरता की कमी है और हमने मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने एक अलग एप बनवाया है जिसका इस्तेमाल वैक्सीन के निबंधन के लिए करना चाहते हैं। सोरेन ने आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं को आंकड़ों को विकृत कर पेश करने में महारत हासिल है।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी बंगाल विवाद पर ट्वीट किया है। केजरीवाल ने सलाह देते हुए ट्वीट में लिखा कि यह परिस्थितियां राज्य सरकारों से लड़ने का नहीं है अभी तो हम सबको मिलकर कोरोना वायरस से लड़ना चाहिए। उन्होंने लिखा कि केंद्र सरकार को भी टीका उपलब्ध कराने के विकल्पों के बारे में सोचना चाहिए अभी हम सब अलग अलग राज्य नहीं बल्कि टीम इंडिया बन कर काम करें तो ज्यादा बेहतर होगा।

उधर, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने ग़ैर-भाजपा शासित 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखकर केंद्र पर परोक्ष वार किया है। कहा है कि केंद्र सरकार राज्यों के लिए वैक्सीन खरीदने की अपनी जिम्मेदारी से बच रही है। उनका कहना है कि ये सहकारी संघवाद की अवधारणा के ख़िलाफ़ है और इससे राज्यों की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

अपनी चिट्ठी में पी विजयन ने अपील की है कि अपनी वाजिब मांग के लिए साथ मिलकर आगे बढ़ना समय की मांग है ताकि केंद्र सरकार जल्द कार्रवाई करे। उन्होंने गैर-भाजपा शासित मुख्यमंत्रियों को लिखा है कि राज्यों की ज़रूरत के मुताबिक़ वैक्सीन खरीदने और उसके निशुल्क वितरण के लिए केंद्र को मिलजुल कर कहने की ज़रूरत है। ऐसा करने से लागत के दृष्टिकोण से भी फायदा होगा।

उन्होंने कहा है, ऐसे वक्त में जब राज्य महामारी की दूसरी लहर से गुजर रहे हैं, ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें वैक्सीन पर्याप्त खुराक मुहैया कराने की अपनी जिम्मेदारी से केंद्र सरकार बचने की कोशिश करती दिख रही है।

उन्होंने लिखा है कि केंद्र सरकार ने ये स्टैंड लिया है कि राज्य सरकारों को कोविड वैक्सीन का इंतजाम अपने संसाधनों से करना होगा। राज्यों पर वित्तीय संसाधन भी कम हैं। राज्यों की वित्तीय क्षमता एक स्वस्थ संघीय ढांचे का अनिवार्य हिस्सा है। अगर राज्यों के वित्तीय संसाधन अशक्त पड़ जाएंगे तो संघीय ढांचा अपने आप कमज़ोर पड़ जाएगा। और ये हमारे जैसी लोकतांत्रिक राजनीति वाली व्यवस्था के लिए अच्छी बात नहीं होगी। वहीं, हर्ड इम्यूनिटी के जल्द निर्माण की कोशिशों में भी इससे बाधा पहुंचेगी। वैक्सीन की आपूर्ति भी इसकी मांग की तुलना में कम है। और ये हम सभी जानते हैं कि कोरोना महामारी के खिलाफ हर्ड इम्यूनिटी विकसित करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि सबको वैक्सीन दी जाए।

पिनराई विजयन ने ये चिट्ठी तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों को लिखी है। खास है कि इसी मुद्दे पर वे पहले ही एक चिट्ठी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले हफ्ते लिख चुके हैं। हालांकि उनकी चिट्ठी पर केंद्र सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है, जिसके बाद उन्होंने ग़ैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ये चिट्ठी लिखी है।

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