उन्नाव। गंगाघाट के हाजीपुर स्थित रौतापुर ही नहीं जिले के ज्यादातर श्मशान घाटों पर गंगा की रेती में शवों के दफनाने का मामला खुलने लगा है। बक्सर घाट पर शवों को जलाने से ज्यादा जमीन में दबा दिए गए, जिन्हें कुत्ते नोचते अवशेष गांवों तक ले जाने लगे और कुछ शव बाहर झांकने लगे तो प्रशासन की नींद खुली।

आनन फानन में करीब 175 शवों को गंगा किनारे फिर दफना दिया। गुरुवार सुबह पहले उन्नाव और फतेहपुर में सीमा विवाद चलता रहा। बाद में दोनों जिलों के अफसरों ने पहुंचकर उसे सुलझाया। बक्सर घाट पर गंगा के दोनों किनारों पर कई क्षत विक्षत शव भी मिले। उधर, डीएम ने गंगा किनारे शवों को दफन करने पर रोक लगा दी और फोर्स तैनात कर दिया है।
मालूम हो कि उन्नाव के अलावा फतेहपुर और रायबरेली के लोग भी अंतिम संस्कार के लिए बक्सर घाट आते हैं। कोरोना व अन्य बीमारियों से लगातार मौतें हो रही हैं। इससे बक्सर घाट पर भी अंतिम संस्कार की तादाद इस कदर बढ़ गई है कि शव जलाने से ज्यादा दफनाए जा रहे हैं। जिसे जहां जगह मिली शव दफनाकर चलता बना। प्रशासन भी घाटों की हालत से अनजान बना रहा। स्थिति जब यह पहुंच गई कि दो-तीन फीट गहरे दबे शवों को कुत्ते खोदकर उनके अवशेष बस्ती के अंदर तक लेकर जाने लगे और कुछ शव खुल गए तो प्रशासन हरकत में आ गया।
बक्सर घाट की जानकारी मिलन पर बुधवार शाम ही प्रशासनिक अमला बक्सर घाट पहुंच गया। निरीक्षण के दौरान गंगा के बीच टीले पर क्षतविक्षत शवों को देख अफसर भी दंग रह गए। गुरुवार तड़के एसडीएम दयाशंकर पाठक, सीओ कृपाशंकर कनौजिया, बारासगवर इंस्पेक्टर राकेश सिंह के साथ ही फतेहपुर बिंदकी की एसडीएम प्रियंका, राजस्वकर्मी आदि बक्सर घाट पहुंचे और शवों को घाटों पर दफनाने पर रोक लगाते हुए लेखपाल व पुलिस की ड्यूटी लगा दी। एसडीएम ने कहा कि बिना लकड़ी के किसी को भी घाट पर शव ले जाने से मनाही है। ग्रामीणों की मानें तो खुले पड़े शवों व उनके अवशेषों को अफसरों ने वहीं बालू में दोबारा दबवा दिया। ग्रामीणों का कहना है कि ये शव फिर बाहर दिख सकते हैं।

आनन फानन में करीब 175 शवों को गंगा किनारे फिर दफना दिया। गुरुवार सुबह पहले उन्नाव और फतेहपुर में सीमा विवाद चलता रहा। बाद में दोनों जिलों के अफसरों ने पहुंचकर उसे सुलझाया। बक्सर घाट पर गंगा के दोनों किनारों पर कई क्षत विक्षत शव भी मिले। उधर, डीएम ने गंगा किनारे शवों को दफन करने पर रोक लगा दी और फोर्स तैनात कर दिया है।
मालूम हो कि उन्नाव के अलावा फतेहपुर और रायबरेली के लोग भी अंतिम संस्कार के लिए बक्सर घाट आते हैं। कोरोना व अन्य बीमारियों से लगातार मौतें हो रही हैं। इससे बक्सर घाट पर भी अंतिम संस्कार की तादाद इस कदर बढ़ गई है कि शव जलाने से ज्यादा दफनाए जा रहे हैं। जिसे जहां जगह मिली शव दफनाकर चलता बना। प्रशासन भी घाटों की हालत से अनजान बना रहा। स्थिति जब यह पहुंच गई कि दो-तीन फीट गहरे दबे शवों को कुत्ते खोदकर उनके अवशेष बस्ती के अंदर तक लेकर जाने लगे और कुछ शव खुल गए तो प्रशासन हरकत में आ गया।
बक्सर घाट की जानकारी मिलन पर बुधवार शाम ही प्रशासनिक अमला बक्सर घाट पहुंच गया। निरीक्षण के दौरान गंगा के बीच टीले पर क्षतविक्षत शवों को देख अफसर भी दंग रह गए। गुरुवार तड़के एसडीएम दयाशंकर पाठक, सीओ कृपाशंकर कनौजिया, बारासगवर इंस्पेक्टर राकेश सिंह के साथ ही फतेहपुर बिंदकी की एसडीएम प्रियंका, राजस्वकर्मी आदि बक्सर घाट पहुंचे और शवों को घाटों पर दफनाने पर रोक लगाते हुए लेखपाल व पुलिस की ड्यूटी लगा दी। एसडीएम ने कहा कि बिना लकड़ी के किसी को भी घाट पर शव ले जाने से मनाही है। ग्रामीणों की मानें तो खुले पड़े शवों व उनके अवशेषों को अफसरों ने वहीं बालू में दोबारा दबवा दिया। ग्रामीणों का कहना है कि ये शव फिर बाहर दिख सकते हैं।