गंगा में लगातार मिल रही लाशें, दफनाने का दौर जारी

Written by Sabrangindia Staff | Published on: May 12, 2021
नई दिल्ली। कोरोना के कहर के बीच चौसा महदेव घाट से लाशों के मिलने का सिलसिला ऐसा चला कि बक्सर के चौसा से लेकर ब्रम्हपुर प्रखंड के नैनीजोर तक गंगा में लाशों का महा मेला लगा हुआ है। दरअसल, चौसा के बाद भी गंगा में लाशों के मिलने का सिलसिला थम नहीं रहा है। अगर ताजे मामले पर गौर किया जाए, तो बक्सर प्रखंड में ही स्थित बड़का गांव से लगी गंगा नदी में दर्जनों लाशें पड़ी दिख रही हैं। वहीं, ब्रम्हपुर प्रखंड के बड़की नैनीजोर घाट और बिहार के घाट पर भी पड़ी हुई लाशों को प्रशासन के द्वारा दफनाया जा रहा है।



प्रशासन के कुछ लोग लाशों को जल्दी-जल्दी में गंगा नदी में डुबो रहे थे। जब उनसे इस बारे में NDTV की टीम ने पूछा तो लाश को डुबो रहे परशुराम डोम ने कहा कि बिहार घाट पर लाशों को हम लोग डुबो देते हैं। लोग आते हैं और कहते हैं तो हम लोग उसे डुबो देते हैं। कोई प्रशासन नहीं रोकता है। हालांकि की ये केवल बिहार घाट की कहानी नहीं है। बड़की नैनीजोर घाट पर भी लाशों को डुबोने का प्रशासन के कहने पर प्रयास जारी है।

नैनीजोर घाट पर बांस से लाश को डुबो रहे व्यक्ति का कहना है कि सेमरी सीओ के आदेश पर लाश को छुपाया जा रहा है। इस बात की जानकारी देते हुए मुन्ना कुमार राय ने बताया कि लाशों को हम लोग बहा देते हैं, धकेल देते हैं क्योंकि सीओ का आदेश है कि घाटों की साफ-सफाई होती रहे। ऐसे में हम लोग बांसों से लाशों को बहाव देते हैं और उन्हें धकेल देते हैं। जबकि मेरा मानना है कि लोगों को लाश जला देना चाहिए या गाड़ देना चाहिए तभी कोरोना की रोक-थाम होगी।


इसके अलावा बिहार घाट के महल सुभाष ने बताया, "हम गंगा में मछली मारते हैं। यहां हजारों लाशें आती हैं। हमें छूने का आदेश नहीं है। सीओ  का कहना है कि कल आकर बोलूंगी की क्या करना है। लोग यहां लकड़ी के आभाव में लाश गंगा जी मे फेक रहे हैं।"

इसपर बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर ये लाशें किसकी हैं। बक्सर जिलाधिकारी ने कहा था कि यूपी की लाशें बक्सर में आ रहीं तो ऐसे में ये लाशें किसकी हैं, जबकि उन्होंने खुद बांस से धकेल कर लाशों को छुपाया है।

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