कुंभ के कोरोना हॉट स्पॉट में बदलने से मचे हाहाकार के बीच 'आस्था' की आड़ में सरकारी दावों व कुतर्कों से उलट, कोरोना की भयावहता को देख अखाड़ों ने खुद ही, कुंभ से अलग होना शुरू कर दिया है। कुंभ मेले के बीच कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए निरंजनी अखाड़े ने 15 दिन पहले ही ऐलान कर दिया है कि उनके लिए महाकुंभ खत्म हो चुका है। खास है कि निरंजनी अखाड़ा, जूना अखाड़े के बाद दूसरा सबसे बड़ा नागा संन्यासी अखाड़ा है। यही नहीं, आनंद अखाड़े ने भी खुद को कुंभ से अलग करने की घोषणा की है।
यह भी तब जब, एक दिन पहले ही उत्तराखंड के ‘मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि यहां गंगा मां की वजह से कोरोना नहीं फैलेगा। इसलिए कुंभ का आयोजन 30 अप्रैल तक जारी रहेगा। मुख्यमंत्री के इस बयान (कुतर्क) की देशभर में काफी निंदा हुई। यही नहीं, चित्रकूट मध्य प्रदेश के निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देव दास की कोरोना संक्रमित होने के बाद मृत्यु ने हरिद्वार में संतों को, सरकार के उलट खुद निर्णय लेने को मजबूर कर दिया और कई अखाड़ों ने खुद से ही कुंभ को समाप्त करने की घोषणा कर दी है। निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देव दास 65 साल के थे।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक निरंजनी अखाड़े ने खुद कुंभ से बाहर होने का फैसला लिया है। निरंजनी अखाड़ा जूना अखाड़े के बाद दूसरा सबसे बड़ा नागा संन्यासी अखाड़ा है। अखाड़े ने कहा है कि शाही स्नान के बाद उसके लिए कुंभ समाप्त हो गया है। निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी ने कहा है कि हरिद्वार के उनके कैंप में अधिकतर साधुओं और श्रद्धालुओं में कोविड जैसे लक्षण देखते हुए संतों ने 17 अप्रैल से मेला समाप्त करने का फ़ैसला लिया है।
अधिकारिक तौर पर कुंभ 30 अप्रैल को समाप्त होना है व अगला शाही स्नान 27 अप्रैल को है। कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए निरंजनी अखाड़े के सचिव रविन्द्र पुरी महाराज ने कुंभ समापन के निर्णय पर कहा कि कुंभ का मुख्य शाही स्नान पूरा हो गया है। हमने 17 अप्रैल को कुंभ समाप्ति का निर्णय लिया है। कहा कि ये निर्णय हमारा निजी निर्णय है, अखाड़ा परिषद का नहीं।
हरिद्वार में चल रहे कुंभ मेले में पिछले 5 दिनों में 1700 से ज्यादा कोरोना संक्रमित मिले हैं। यह कोरोना जांच 10 से 14 अप्रैल के बीच की गई थी। यही नहीं बीते 24 घंटे में करीब साढ़े छह सौ केस मिले हैं तो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि सहित जूना अखाड़े के करमा गिरी और जूना अखाड़े के नितिन गिरी आदि करीब 60 से ज्यादा साधु संत संक्रमित पाए गए हैं। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि कुंभ से लौट रहे लोगों से देश में कोरोना के मामलों में उछाल आ सकता है।
खास है कि कोरोना के चलते इस साल कुंभ का मेला जनवरी की बजाय एक अप्रैल से शुरू किया गया था। केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक स्थिति को देखते हुए इसका समय कम किया जा सकता है। लेकिन एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने गुरुवार को कुंभ के 30 अप्रैल तक जारी रहने का ऐलान कर, इसकी संभावनाओं पर विराम लगा दिया है। मुख्यमंत्री का बयान ऐसे समय पर आया है, जब देश में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच कुंभ मेला जारी रखने पर सवाल भी उठ रहे हैं। रोजाना कोरोना के 2 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं। यह महामारी शुरू होने से अब तक एक दिन का सबसे बड़ा आंकड़ा है। उधर कुंभ में लाखों लोगों की भीड़ जुटी हुई है। बुधवार के शाही स्नान में 14 लाख लोग शामिल हुए तो अप्रैल में करीब 48 लाख लोग स्नान कर चुके हैं।
उधर, बंगाल चुनाव की करें तो बंगाल में कोरोना के बढ़ते मामलों और प्रचार के बीच चुनाव आयोग धृतराष्ट्र बना है। यह भी तब जब बाकी चरणों के चुनाव एक साथ एक बार में कराने की मांग का मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी समर्थन किया है। सीपीएम पहले ही बड़ी सभा न करने का ऐलान कर चुकी है। गुरुवार को एक निजी न्यूज चैनल के साथ साक्षात्कार में ममता ने कहा कि जिस तरीके से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, यह चिंता का विषय है। कई उम्मीदवार भी संक्रमित हुए हैं। कहा गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र आदि राज्यों से बाहर के लोग बंगाल में आ रहे हैं, यह भी एक बड़ी वजह है कि कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। यही नहीं, एक प्रत्याशी की मृत्यु हो चुकी है लेकिन बाकी बचे चरणों के चुनाव एक साथ कराए जाने की अपील पर चुनाव आयोग ने इंकार कर दिया है।
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टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक निरंजनी अखाड़े ने खुद कुंभ से बाहर होने का फैसला लिया है। निरंजनी अखाड़ा जूना अखाड़े के बाद दूसरा सबसे बड़ा नागा संन्यासी अखाड़ा है। अखाड़े ने कहा है कि शाही स्नान के बाद उसके लिए कुंभ समाप्त हो गया है। निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी ने कहा है कि हरिद्वार के उनके कैंप में अधिकतर साधुओं और श्रद्धालुओं में कोविड जैसे लक्षण देखते हुए संतों ने 17 अप्रैल से मेला समाप्त करने का फ़ैसला लिया है।
अधिकारिक तौर पर कुंभ 30 अप्रैल को समाप्त होना है व अगला शाही स्नान 27 अप्रैल को है। कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए निरंजनी अखाड़े के सचिव रविन्द्र पुरी महाराज ने कुंभ समापन के निर्णय पर कहा कि कुंभ का मुख्य शाही स्नान पूरा हो गया है। हमने 17 अप्रैल को कुंभ समाप्ति का निर्णय लिया है। कहा कि ये निर्णय हमारा निजी निर्णय है, अखाड़ा परिषद का नहीं।
हरिद्वार में चल रहे कुंभ मेले में पिछले 5 दिनों में 1700 से ज्यादा कोरोना संक्रमित मिले हैं। यह कोरोना जांच 10 से 14 अप्रैल के बीच की गई थी। यही नहीं बीते 24 घंटे में करीब साढ़े छह सौ केस मिले हैं तो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि सहित जूना अखाड़े के करमा गिरी और जूना अखाड़े के नितिन गिरी आदि करीब 60 से ज्यादा साधु संत संक्रमित पाए गए हैं। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि कुंभ से लौट रहे लोगों से देश में कोरोना के मामलों में उछाल आ सकता है।
खास है कि कोरोना के चलते इस साल कुंभ का मेला जनवरी की बजाय एक अप्रैल से शुरू किया गया था। केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक स्थिति को देखते हुए इसका समय कम किया जा सकता है। लेकिन एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने गुरुवार को कुंभ के 30 अप्रैल तक जारी रहने का ऐलान कर, इसकी संभावनाओं पर विराम लगा दिया है। मुख्यमंत्री का बयान ऐसे समय पर आया है, जब देश में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच कुंभ मेला जारी रखने पर सवाल भी उठ रहे हैं। रोजाना कोरोना के 2 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं। यह महामारी शुरू होने से अब तक एक दिन का सबसे बड़ा आंकड़ा है। उधर कुंभ में लाखों लोगों की भीड़ जुटी हुई है। बुधवार के शाही स्नान में 14 लाख लोग शामिल हुए तो अप्रैल में करीब 48 लाख लोग स्नान कर चुके हैं।
उधर, बंगाल चुनाव की करें तो बंगाल में कोरोना के बढ़ते मामलों और प्रचार के बीच चुनाव आयोग धृतराष्ट्र बना है। यह भी तब जब बाकी चरणों के चुनाव एक साथ एक बार में कराने की मांग का मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी समर्थन किया है। सीपीएम पहले ही बड़ी सभा न करने का ऐलान कर चुकी है। गुरुवार को एक निजी न्यूज चैनल के साथ साक्षात्कार में ममता ने कहा कि जिस तरीके से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, यह चिंता का विषय है। कई उम्मीदवार भी संक्रमित हुए हैं। कहा गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र आदि राज्यों से बाहर के लोग बंगाल में आ रहे हैं, यह भी एक बड़ी वजह है कि कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। यही नहीं, एक प्रत्याशी की मृत्यु हो चुकी है लेकिन बाकी बचे चरणों के चुनाव एक साथ कराए जाने की अपील पर चुनाव आयोग ने इंकार कर दिया है।
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