पश्चिम बंगाल में गूंज रहा "नो वोट टू बीजेपी" का नारा

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 15, 2021
नई दिल्ली। किसान आंदोलन की चिंगारी अब पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी पहुंच गई है। किसान नेताओं ने राज्य में 'नो वोट टू बीजेपी' कैंपेन शुरू किया है जो कि विशेष रूप से युवाओं के बीच जोर पकड़ रहा है।  


 
कोलकाता में छात्रों, बुद्धिजीवियों, शिक्षकों और नागरिक समाज समूहों द्वारा बड़े पैमाने पर मार्च निकाला गया जो की अभूतपूर्व है।   
अभियान में स्पष्ट रूप से बंगाल के कई जिलों में समितियां हैं और घर-घर तक पहुंचने की योजना है, हालांकि, अब तक यह कोलकाता में सक्रिय है, इसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। 

12 मार्च को कोलकाता के प्रेस क्लब में किसानों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बीजेपी को वोट न देने वाले पोस्टर लेकर रैली निकाली गई। किसान एकता मोर्चा ने अपने एक ट्वीट में लिखा, "हमारे किसान नेताओं ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 'नो वोट टू बीजेपी' के तहत अभियान शुरू कर दिया है। हम लोगों से आग्रह करते हैं कि वे उस पार्टी के खिलाफ खड़े हों, जो किसान विरोधी कानून लाती है।"

नए कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली के सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान पिछले साल नवंबर के अंत से प्रदर्शन दे रहे हैं। इनमें ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान हैं।

किसान संघों ने 26 मार्च को अपने आंदोलन के चार महीने पूरे होने के मौके पर भारत बंद का आह्वान किया है। इसके अलावा 28 मार्च को होलिका दहन के दौरान नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाने का भी निर्णय लिया है।

किसान नेता बूटा सिंह बुर्जगिल ने बुधवार को कहा कि किसान और ट्रेड यूनियन मिलकर 15 मार्च को पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी और रेलवे के निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा, 'डीजल, पेट्रोल और एलपीजी की बढ़ती कीमतों के खिलाफ जिलाधिकारियों को ज्ञापन दिए जाएंगे। निजीकरण के खिलाफ समूचे देश में रेलवे स्टेशनों पर प्रदर्शन किए जाएंगे।'

बता दें कि दिल्ली के बॉर्डर पर 26 नवंबर से किसान आंदोलन चल रहा है। सरकार और किसान संगठनों के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अगुवाई में 11 राउंड की बैठक हो चुकी है। लेकिन किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। गृह मंत्री अमित शाह भी अलग से किसानों के साथ बैठक कर चुके हैं।

8 दिसंबर को किसानों ने भारत बंद किया था। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी। इस दौरान दिल्ली की सड़कों पर और लाल किले पर जमकर हंगामा हुआ। हिंसा भी हुई, जिसमें एक किसान की जान चली गई। 6 फरवरी को किसानों ने देश के कई शहरों में चक्का जाम किया। किसान आंदोलन में खालिस्तानी सर्मथन के आरोप लगे। हिंसा भड़काने के आरोप में कई लोग गिरफ्तार भी हुए।

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