नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। अब 9 दिसंबर को केंद्र सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधियों बीच फिर से बातचीत होगी। इस बातचीत में किसानों ने केंद्र सरकार से दोटूक लहजे में कह दिया कि उनके पास राशन-पानी को कोई कमी नहीं है, इसलिए वो अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर डटे रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वो प्रदर्शन के दौरान हिंसा का रास्ता अख्तियार नहीं करेंगे, लेकिन मांगें माने जाने तक संघर्ष जारी रहेगा। वहीं 8 दिसंबर को किसानों द्वारा प्रस्तावित भारत बंद का फैसला अडिग रहेगा।
दरअसल, सरकार ने कहा है कि वो राज्यों से परामर्श कर एक प्रस्ताव किसानों के पास भेजेगी। भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने बताया कि मीटिंग के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि वो इस मसले पर राज्यों से भी संपर्क करना चाहती है। टिकैत ने बताया, 'एमएसपी पर भी चर्चा हुई, लेकिन हमने कहा कि हमें कानूनों पर भी चर्चा करनी है और उन्हें वापस लेना है।' मीटिंग में शामिल रहे एक और किसान नेता ने मीडिया को बताया कि सरकार 9 दिसंबर को किसानों के विचार के लिए एक प्रपोजल भेजेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार सुबह कैबिनेट के वरिष्ठ साथियों को आवास पर बुलाया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि नरेंद्र सिंह तोमर इस मीटिंग में मौजूद रहे थे। उसके बाद दिल्ली के विज्ञान भवन में शनिवार की बैठक करीब 2.30 बजे शुरू हुई थी जो शाम 7 बजे तक चली। बैठक के दौरान किसानों के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार से पिछली बैठक का पॉइंटवाइज जवाब देने की मांग की। इसपर सरकार राजी हो गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैठक में किसानों ने कहा कि उन्हें इस पूरे विवाद का कोई हल/पक्का वादा चाहिए। उन्होंने कहा कि वे आगे चर्चा नहीं चाहते और यह भी नहीं जानना चाहते कि सरकार ने उनकी मांगों पर क्या फैसला किया है। इससे पहले, आजाद किसान संघर्ष समिति के पंजाब प्रमुख हरजिंदर सिंह टांडा ने ANI से बातचीत में कहा, 'हम कानूनों का पूरी तरह से रोलबैक चाहते हैं। अगर सरकार हमारी मांग नहीं मानती तो हम धरना जारी रखेंगे।'
किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने मीटिंग में केंद्र सरकार से साफ कहा कि वो अपनी मांगों से पीछे हटने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'हमारे पास एक साल का राशन-पानी है। हम कई दिनों से सड़क पर हैं। अगर सरकार चाहती है कि हम सड़क पर ही रहें तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। हम हिंसा का रास्ता नहीं चुनेंगे। इंटेलिजेंस ब्यूरो आपको सूचना देगा कि हम प्रदर्शन स्थल पर क्या करने जा रहे हैं। हम कॉर्पोरेट फार्मिंग नहीं चाहते हैं। इस कानून से सरकार फायदे में रहेगी ना कि किसान।'
वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अलग से बातचीत की। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वो प्रदर्शन में शामिल बुजुर्गों और बच्चों को घर भिजवा दें। किसान संघ के नेताओं ने मंत्रियों से साफ कह दिया है कि वे सरकार के अंतिम फैसले का इंतजार करेंगे। इसके बाद कृषि मंत्री, कृषि सचिव समेत अन्य मंत्रियों की एक अन्य कमरे में बैठक हो रही है। किसान नेताओं ने हां या ना का विकल्प रखा।
दरअसल, सरकार ने कहा है कि वो राज्यों से परामर्श कर एक प्रस्ताव किसानों के पास भेजेगी। भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने बताया कि मीटिंग के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि वो इस मसले पर राज्यों से भी संपर्क करना चाहती है। टिकैत ने बताया, 'एमएसपी पर भी चर्चा हुई, लेकिन हमने कहा कि हमें कानूनों पर भी चर्चा करनी है और उन्हें वापस लेना है।' मीटिंग में शामिल रहे एक और किसान नेता ने मीडिया को बताया कि सरकार 9 दिसंबर को किसानों के विचार के लिए एक प्रपोजल भेजेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार सुबह कैबिनेट के वरिष्ठ साथियों को आवास पर बुलाया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि नरेंद्र सिंह तोमर इस मीटिंग में मौजूद रहे थे। उसके बाद दिल्ली के विज्ञान भवन में शनिवार की बैठक करीब 2.30 बजे शुरू हुई थी जो शाम 7 बजे तक चली। बैठक के दौरान किसानों के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार से पिछली बैठक का पॉइंटवाइज जवाब देने की मांग की। इसपर सरकार राजी हो गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैठक में किसानों ने कहा कि उन्हें इस पूरे विवाद का कोई हल/पक्का वादा चाहिए। उन्होंने कहा कि वे आगे चर्चा नहीं चाहते और यह भी नहीं जानना चाहते कि सरकार ने उनकी मांगों पर क्या फैसला किया है। इससे पहले, आजाद किसान संघर्ष समिति के पंजाब प्रमुख हरजिंदर सिंह टांडा ने ANI से बातचीत में कहा, 'हम कानूनों का पूरी तरह से रोलबैक चाहते हैं। अगर सरकार हमारी मांग नहीं मानती तो हम धरना जारी रखेंगे।'
किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने मीटिंग में केंद्र सरकार से साफ कहा कि वो अपनी मांगों से पीछे हटने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'हमारे पास एक साल का राशन-पानी है। हम कई दिनों से सड़क पर हैं। अगर सरकार चाहती है कि हम सड़क पर ही रहें तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। हम हिंसा का रास्ता नहीं चुनेंगे। इंटेलिजेंस ब्यूरो आपको सूचना देगा कि हम प्रदर्शन स्थल पर क्या करने जा रहे हैं। हम कॉर्पोरेट फार्मिंग नहीं चाहते हैं। इस कानून से सरकार फायदे में रहेगी ना कि किसान।'
वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अलग से बातचीत की। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वो प्रदर्शन में शामिल बुजुर्गों और बच्चों को घर भिजवा दें। किसान संघ के नेताओं ने मंत्रियों से साफ कह दिया है कि वे सरकार के अंतिम फैसले का इंतजार करेंगे। इसके बाद कृषि मंत्री, कृषि सचिव समेत अन्य मंत्रियों की एक अन्य कमरे में बैठक हो रही है। किसान नेताओं ने हां या ना का विकल्प रखा।