सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार से पालघर लिंचिंग मामले में स्टेटस रिपोर्ट तलब किया है। मालूम हो कि गत 16 अप्रैल को पालघर में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में दो हिंदू संतों और उनके ड्राइवर की भीड़ ने हत्या कर दी थी। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई इस सुनवाई में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि यह घटना लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन भी है।
सवाल यह भी है कि आखिर पुलिस ने इतने लोगों को एक साथ इकट्ठा होने की इजाजत कैसे दी। याचिकाकर्ता शशांक शेखर झा की ओर से कहा गया कि लॉकडाउन के दौरान भी भीड़ इकट्ठा हुई और वारदात को अंजाम दिया गया। पुलिस ने वारदात को रोकने के लिए अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने कहा कि सीआईडी इस पूरे मामले की जांच कर रही है लेकिन यह महाराष्ट्र के एडीजी के अन्तर्गत आता है, लिहाजा मामले की निष्पक्ष जांच मुश्किल है।
इसके बाद पीठ ने मौजूदा जांच पर रोक लगाने से तो इनकार कर दिया, लेकिन महाराष्ट्र सरकार को चार हफ्ते में जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है। अगली सुनवाई चार हफ्ते के बाद होगी। गत 16 अप्रैल को पालघर में दो हिंदू संतो स्वामी कल्पवृक्ष गिरी (70) और स्वामी सुशील गिरी (35) और उनके ड्राइवर नीलेश तेलगरें की भीड़ ने हत्या कर दी थी।
दोनों संत अपने वरिष्ठ संत के अंतिम क्रियाकर्म में शामिल होने के लिए सूरत जा रहे थे। अब तक इस मामले में एक 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अन्य जनहित याचिका पर सुनवाई की जिसमें बुलंदशहर व पालघर में हुई हिंसा को देखते हुए केंद्र सरकार को लिंचिंग से संबंधित दिशानिर्देशों के प्रति लोगों को जागरूक बनाने का निर्देश देने की
गुहार की गई थी। कोर्ट ने कहा कि शीर्ष अदालत पहले ही लिंचिंग को लेकर अपना दिशानिर्देश दे चुकी है, लिहाजा इसमें और किसी तरह के निर्देश की जरूरत नहीं है।
सवाल यह भी है कि आखिर पुलिस ने इतने लोगों को एक साथ इकट्ठा होने की इजाजत कैसे दी। याचिकाकर्ता शशांक शेखर झा की ओर से कहा गया कि लॉकडाउन के दौरान भी भीड़ इकट्ठा हुई और वारदात को अंजाम दिया गया। पुलिस ने वारदात को रोकने के लिए अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने कहा कि सीआईडी इस पूरे मामले की जांच कर रही है लेकिन यह महाराष्ट्र के एडीजी के अन्तर्गत आता है, लिहाजा मामले की निष्पक्ष जांच मुश्किल है।
इसके बाद पीठ ने मौजूदा जांच पर रोक लगाने से तो इनकार कर दिया, लेकिन महाराष्ट्र सरकार को चार हफ्ते में जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है। अगली सुनवाई चार हफ्ते के बाद होगी। गत 16 अप्रैल को पालघर में दो हिंदू संतो स्वामी कल्पवृक्ष गिरी (70) और स्वामी सुशील गिरी (35) और उनके ड्राइवर नीलेश तेलगरें की भीड़ ने हत्या कर दी थी।
दोनों संत अपने वरिष्ठ संत के अंतिम क्रियाकर्म में शामिल होने के लिए सूरत जा रहे थे। अब तक इस मामले में एक 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अन्य जनहित याचिका पर सुनवाई की जिसमें बुलंदशहर व पालघर में हुई हिंसा को देखते हुए केंद्र सरकार को लिंचिंग से संबंधित दिशानिर्देशों के प्रति लोगों को जागरूक बनाने का निर्देश देने की
गुहार की गई थी। कोर्ट ने कहा कि शीर्ष अदालत पहले ही लिंचिंग को लेकर अपना दिशानिर्देश दे चुकी है, लिहाजा इसमें और किसी तरह के निर्देश की जरूरत नहीं है।