कोरोना वायरस भारत में लगातार अपना पांव पसार रहा है। देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 4,000 पार चुक है, वहीं 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। आर्थिक जानकार कोरोना वायरस के चलते वैश्विक मंदी की आशंका पहले ही जता चुके हैं। कोरोना की वजह से देश की आर्थिक स्थिति और ज्यादा खराब होगी। इसी बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कोरोनावायरस के असर से बचने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। रघुराम राजन ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश आजादी के बाद सबसे आपातकालीन दौर में है। राजन ने मोदी सरकार को दिए सुझाव में कहा है कि इस वक्त गरीबों पर खर्च करने और कम जरूरी व्यय को टालने पर ध्यान देना चाहिए। राजन ने कहा कि यदि सरकार सारे काम प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से चलाने पर जोर देती है तो इसमें ज्यादा समय लगेगा। वहां लोगों के पास पहले से ही काम का बोझ ज्यादा है।

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने लिंकडइन पर एक ब्लॉग पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि गरीबों पर खर्च करना सही है बावजूद इसके की सरकार के पास संसाधनों के मोर्चे पर कुछ दिक्कतें हैं। उन्होंने कहा, "सीमित संसाधन हमारे लिए चिंता का विषय है। हालांकि, जरूरतमंद लोगों पर खर्च बढ़ाना इस समय जरूरी है। एक राष्ट्र के रूप में और कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में योगदान करने के लिए लिहाज से यह सही है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपनी बजटीय दिक्कतों को नजरअंदाज कर सकते हैं, खासकर तब जब इस साल आय पर भी असर पड़ेगा। हम कोरोना वायरस के संकट में ऐसे समय फंसे हैं जब पहले से ही राजकोषीय घाटा ऊंचा है और खर्च बढ़ाने की जरूरत है।”
रघुराम राजन ने लॉकडाउन खत्म होने के बाद स्थिति को कैसे संभाला जाए इस पर भी कुछ सुझाव दिया है। राजन ने कहा कि ये सुनिश्चित करने की जरूरत है कि गरीबों और कम आय वाले मध्य वर्ग का जीवनयापन हो सके, जिन्हें लंबे समय के लिए काम करने से रोका गया। केंद्र और राज्यों को मिलकर रणनीति बनानी होगी और अगले कुछ महीनों तक आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के खातों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के जरिए पैसे डालने होंगे।
रघुराम राजन ने कहा, "2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान मांग में भारी कमी आई थी, लेकिन तब हमारे कामगार काम पर जा रहे थे, हमारी कंपनियां सालों की ठोस वृद्धि के कारण मजबूत थीं, हमारी वित्तीय प्रणाली बेहतर स्थिति में थी और सरकार के वित्तीय संसाधन भी अच्छे हालात में थे। अभी जब हम कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं, इनमें से कुछ भी सही नहीं हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि यदि उचित तरीके और प्राथमिकता के साथ काम किया जाए तो भारत के पास इतने स्रोत हैं कि वह महामारी से उबर सकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार इस काम में विपक्ष से भी मदद ले सकती है, जिसके पास पिछले वैश्विक वित्तीय संकट से देश को निकालने का अनुभव है। घुराम राजन ने कहा कि अभी तो इस महामारी से लड़ने के लिए बड़े पैमाने पर टेस्टिंग, क्वारैन्टाइन और सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत है। 21 दिन का लॉकडाउन वायरस से लड़ने की दिशा में पहला कदम है, जिसने तैयारी करने का समय दिया।

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने लिंकडइन पर एक ब्लॉग पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि गरीबों पर खर्च करना सही है बावजूद इसके की सरकार के पास संसाधनों के मोर्चे पर कुछ दिक्कतें हैं। उन्होंने कहा, "सीमित संसाधन हमारे लिए चिंता का विषय है। हालांकि, जरूरतमंद लोगों पर खर्च बढ़ाना इस समय जरूरी है। एक राष्ट्र के रूप में और कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में योगदान करने के लिए लिहाज से यह सही है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपनी बजटीय दिक्कतों को नजरअंदाज कर सकते हैं, खासकर तब जब इस साल आय पर भी असर पड़ेगा। हम कोरोना वायरस के संकट में ऐसे समय फंसे हैं जब पहले से ही राजकोषीय घाटा ऊंचा है और खर्च बढ़ाने की जरूरत है।”
रघुराम राजन ने लॉकडाउन खत्म होने के बाद स्थिति को कैसे संभाला जाए इस पर भी कुछ सुझाव दिया है। राजन ने कहा कि ये सुनिश्चित करने की जरूरत है कि गरीबों और कम आय वाले मध्य वर्ग का जीवनयापन हो सके, जिन्हें लंबे समय के लिए काम करने से रोका गया। केंद्र और राज्यों को मिलकर रणनीति बनानी होगी और अगले कुछ महीनों तक आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के खातों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के जरिए पैसे डालने होंगे।
रघुराम राजन ने कहा, "2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान मांग में भारी कमी आई थी, लेकिन तब हमारे कामगार काम पर जा रहे थे, हमारी कंपनियां सालों की ठोस वृद्धि के कारण मजबूत थीं, हमारी वित्तीय प्रणाली बेहतर स्थिति में थी और सरकार के वित्तीय संसाधन भी अच्छे हालात में थे। अभी जब हम कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं, इनमें से कुछ भी सही नहीं हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि यदि उचित तरीके और प्राथमिकता के साथ काम किया जाए तो भारत के पास इतने स्रोत हैं कि वह महामारी से उबर सकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार इस काम में विपक्ष से भी मदद ले सकती है, जिसके पास पिछले वैश्विक वित्तीय संकट से देश को निकालने का अनुभव है। घुराम राजन ने कहा कि अभी तो इस महामारी से लड़ने के लिए बड़े पैमाने पर टेस्टिंग, क्वारैन्टाइन और सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत है। 21 दिन का लॉकडाउन वायरस से लड़ने की दिशा में पहला कदम है, जिसने तैयारी करने का समय दिया।
 
                     
                                 
                                