प्रयागराज: CAA के विरोध में संतों का हवन शुरू

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 21, 2020
प्रयागराज। सीएए, एनआरसी का विरोध लगातार विस्तार लेता जा रहा है। विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों और छात्र नेताओं से इतर आंदोलन को समर्थन देने के लिए सोमवार को संत भी मंसूर अली पार्क स्थित धरना स्थल पहुंचे। उन्होंने न सिर्फ आंदोलन का समर्थन किया बल्कि संकल्प की पूर्ति के लिए मंगलवार को धरना स्थल पर ही याज्ञिक अनुष्ठान करने की घोषणा की। संतों ने आज अपनी घोषणानुसार सीएए के विरोध में यज्ञ करना शुरू कर दिया है।  उधर, धरना स्थल पर ही जोहर की नमाज अदा करके खुदा से आंदोलन की कामयाबी के लिए दुआएं मांगी जाएंगी।



धरने में संतोषानंद महाराज, मध्य प्रदेश के उदासीन महाराज, सुधाकर महाराज, श्याम सुंदर ब्रह्मचारी आदि संत शामिल हुए। ये लोग माघ मेले में कल्पवास के लिए आए हैं। उन्होंने आंदोलन का समर्थन किया। संतोषानंद महाराज ने कहा कि इस लड़ाई में संत समाज उनके साथ खड़ा है। उन्होंने सीएए और एनआरसी को काला कानून बताया। संतों ने पार्क में ही मंगलवार को याज्ञिक अनुष्ठान की घोषणा की। इसके अलावा वहां सिख समाज के लोगों के भी मौजूद रहने के दावे किए गए। चूंकि धरना स्थल पर ही महिलाओं की ओर से पांचों वक्त की नमाज पढ़ी जा रही है। ऐसे में मंगलवार को हवन और नमाज एक साथ होगी। इरशाद उल्ला, सै.मो.अस्करी, नेहा यादव, शैलेष, आदिल हमजा आदि ने धरना स्थल पर हवन-पूजन की घोषणा का स्वागत किया।



अलग-अलग जुलूस में पहुंची महिलाएं और छात्राएं, आंदोलन को दिया समर्थन
सीएए, एनआरसी के विरोध में मंसूर अली पार्क में महिलाओं का धरना जारी है। सैकड़ों महिलाएं और छात्राएं लगातार नौ दिनों से दिन रात पार्क में डटी हुई हैं। सोमवार को उनके समर्थन में बड़ी संख्या में लोग धरना में शामिल हुए। अलग-अलग संगठन के बैनर तले महिलाओं-छात्राओं का अलग-अलग समूह जुलूस बनाकर पार्क में पहुंचा और आंदोलन का हिस्सा बना। इस दौरान संबोधन में उन्होंने सीएए को काला कानून बताया और केंद्र सरकार से इसे वापस लिए जाने की मांग की।

सोमवार को दिन में मौसम का मिजाज अचानक बदला और गलन बढ़ गई लेकिन पार्क में बैठी महिलाओं का इरादा नहीं डिगा। वहां आने-जाने वालों के साथ देश भक्ति, जोश बढ़ाने वाले गीतों तथा संबोधनों का दौर दिन रात जारी है। सोमवार को भी वही माहौल बना रहा और देर रात तक गीत सुनाई देते रहे। दिन निकलने के साथ ही पार्क में लोगों की भीड़ बढ़ने लगी। रात में करीब साढ़े आठ बजे अकबरपुर रसूलपुर से महिलाओं का जुलुस धरना स्थल तक पहुंचा। वे हाथ में तिरंगा तथा मांग के समर्थन वाली तख्तियां लिए हुए थीं। मजिदिया इस्लामिया स्कूल की सैकड़ों छात्राएं धरने में शामिल हुईं।

कई छात्राओं ने सीएए के विरोध की पट्टी भी सिर पर बांध रखी थी। हमीदिया गर्ल्स डिग्री कालेज से कई छात्राएं सीधे धरना स्थल पर पहुंची थीं। आसमां, नुपूर आदि का कहना था कि यह हमारा देश है। हमसे यहां की नागरिकता का सबूत मांगा जा रहा है। फातिमा का कहना था, ऐसे हजारों गरीब परिवार हैं जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं है। इसलिए वे सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित है। ऐसे लोग कहां से दस्तावेज लाएंगे। जब तक यह कानून वापस नहीं हो जाता वे पीछे नहीं हटेंगे। दरियाबाद के सैय्यदवाड़ा, अब्बास कालोनी से भी बड़ी संख्या में महिलाएं जुलूस के रूप में धरना स्थल पर पहुंची।

आंदोलन के समर्थन में बड़ी संख्या में पुरुष भी धरना स्थल पर मौजूद रहे। हालांकि भीड़ और सुरक्षा के मद्देनजर पार्क में उनका प्रवेश प्रतिबंधित रहा। इसे सुनिश्चित करने के लिए चारों तरफ बेरिकेडिंग की गई है। प्रवेश द्वार पर ही खड़े युवा पुरुषों को बाहर रोक दे रहे थे। आंदोलन के समर्थन में वामपंथी संगठन, कांग्रेस, सपा समेत अनेक दल के नेता और कार्यकर्ता शामिल रहे। पार्षद रमीज अहसन, अब्दुल समद, फजल खान, सपा से ऋचा सिंह, नेहा यादव, सबीहा मोहानी, खुशनूमा बानो, अब्दुल्ला तेहामी अदील हमजा, कांग्रेस से इरशाद उल्ला, नफीस अनवर, अरशद अली, एमआईएम से अफसर महमूद, फजल फाखरी, आबिद आदि वहां डटे रहे तथा व्यवस्था संभाल रखी है।
 

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