पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में संशोधित नागरिकता कानून को रद्द करने की मांग करने वाला प्रस्ताव पेश किया। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में भी संशोधन की मांग की है, ताकि लोगों के बीच फैले एनपीआर और एनआरसी के डर को खत्म किया जा सके।
बता दें कि पंजाब से पहले केरल की लेफ्ट सरकार भी ऐसा प्रस्ताव ला चुकी है। वहीं कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ सरकार भी राज्य में NPR लागू करने के केन्द्र सरकार के फैसले को निरूपित करने पर विचार कर रही है।
बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हाल ही में कहा था कि उनकी सरकार विभाजनकारी सीएए को लागू नहीं करने देगी। सिंह ने कहा कि वह और कांग्रेस धार्मिक उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन उनका विरोध सीएए में मुस्लिमों समेत कुछ अन्य धार्मिक समुदायों के प्रति किए गए भेदभाव को लेकर है।
केरल विधानसभा ने इस विवादित कानून को खत्म करने के लिए प्रस्ताव पारित किया है। ऐसा करने वाला केरल पहला राज्य है। पंजाब सरकार द्वारा पारित किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि सीएए के चलते देशभर में गुस्सा और नाराजगी है और इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पंजाब में भी समाज के सभी वर्गों के लोग इस कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
ड्राफ्ट में कहा गया है कि CAA से देश के सेक्यूलर ताने-बाने को खतरा है, जिस पर देश का संविधान टिका हुआ है। यह लोगों के बांटने की कोशिश है, जिसका एक मजबूत लोकतंत्र के लिए सभी लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा है।
पंजाब सरकार के ड्राफ्ट में कहा गया है कि ‘CAA द्वारा धर्म के आधार पर नागरिकता देने में भेदभाव किया ही जा रहा है, इसके साथ ही इससे हमारे लोगों के कुछ वर्ग की भाषा और संस्कृति भी खतरे में पड़ गई है।’
ड्राफ्ट के अनुसार, CAA अवैध शरणार्थियों के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव करता है, जो कि संविधान का उल्लंघन है। इसके साथ ही यह संविधान के आर्टिकल 14 का भी उल्लंघन है, जो कि सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है।
बता दें कि पंजाब से पहले केरल की लेफ्ट सरकार भी ऐसा प्रस्ताव ला चुकी है। वहीं कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ सरकार भी राज्य में NPR लागू करने के केन्द्र सरकार के फैसले को निरूपित करने पर विचार कर रही है।
बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हाल ही में कहा था कि उनकी सरकार विभाजनकारी सीएए को लागू नहीं करने देगी। सिंह ने कहा कि वह और कांग्रेस धार्मिक उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन उनका विरोध सीएए में मुस्लिमों समेत कुछ अन्य धार्मिक समुदायों के प्रति किए गए भेदभाव को लेकर है।
केरल विधानसभा ने इस विवादित कानून को खत्म करने के लिए प्रस्ताव पारित किया है। ऐसा करने वाला केरल पहला राज्य है। पंजाब सरकार द्वारा पारित किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि सीएए के चलते देशभर में गुस्सा और नाराजगी है और इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पंजाब में भी समाज के सभी वर्गों के लोग इस कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
ड्राफ्ट में कहा गया है कि CAA से देश के सेक्यूलर ताने-बाने को खतरा है, जिस पर देश का संविधान टिका हुआ है। यह लोगों के बांटने की कोशिश है, जिसका एक मजबूत लोकतंत्र के लिए सभी लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा है।
पंजाब सरकार के ड्राफ्ट में कहा गया है कि ‘CAA द्वारा धर्म के आधार पर नागरिकता देने में भेदभाव किया ही जा रहा है, इसके साथ ही इससे हमारे लोगों के कुछ वर्ग की भाषा और संस्कृति भी खतरे में पड़ गई है।’
ड्राफ्ट के अनुसार, CAA अवैध शरणार्थियों के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव करता है, जो कि संविधान का उल्लंघन है। इसके साथ ही यह संविधान के आर्टिकल 14 का भी उल्लंघन है, जो कि सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है।