नई दिल्ली: दरियांगज हिंसा मामले में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद की जमानत याचिका को लेकर अदालत ने पुलिस को लताड़ा है और आज़ाद की हिरासत पर सवाल खड़ा किया है। अदालत ने सुनवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी है। जज कामिनी लाउ ने पुलिस से कहा कि आप ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे जामा जस्जिद पाकिस्तान में है।
न्यायाधीश कामिनी लाउ ने अभियोजक से पूछा- मैं चाहती हूं कि आप मुझे बताएं कि किस कानून के तहत किसी को धार्मिक स्थलों के बाहर जाना प्रतिबंधित है? जज लाऊ ने सवाल उठाया कि आपत्तिजनक बयान क्या हैं। अवैध क्या है? मुझे कानून के बारे में बताएं। जांच ने क्या दिखाया है? उन्होंने कहा कि धरने में, विरोध प्रदर्शन में क्या गलत था? यह संवैधानिकों अधिकारों में से एक है।
सोशल मीडिया पर आजाद द्वारा की पोस्ट की बात करते हुए जज ने कहा, पोस्टों को देखने से पता चलता है कि इनमें कहीं भी हिंसा की बात नहीं है। हिंसा कहां है? किसी पोस्ट में गलत क्या है? उन्होंने कहा कि पुलिस से सवाल किया कि कौन कहता है कि आप विरोध नहीं कर सकते? क्या आपने संविधान पढ़ा है?
जज लाउ ने कहा कि उन्होंने पहले ही अभियोजन पक्ष से प्राचा को पोस्टों को दिखाने के लिए कह चुकी हैं जब तक कि विशेषाधिकार की बात न हो। इससे पहले अदालत में सुनवाई के दौरान एडवोकेट मोहम्मद प्राचा आजाद के लिए सुनवाई के लिए पहुंचे जो सीएए को लेकर दरियागंज में प्रदर्शन के दौरान हिंसा के आरोप में 21 दिसंबर से हिरासत में हैं।
प्राचा ने आजाद पर यूपी में चार्जशीट की गई एफआईआर पर सवाल किया। प्राचा ने अदालत से कहा कि अभियोजन पक्ष ने स्वीकार किया है कि आजाद को गिरफ्तार किया गया था क्योंकि वह अन्य मामलों में जमानत पर बाहर थे। अभियोजक का कहना है कि आज़ाद के कथित भड़काऊ भाषणों के ‘ड्रोन फुटेज’ मौजूद हैं।
न्यायाधीश कामिनी लाउ ने अभियोजक से पूछा- मैं चाहती हूं कि आप मुझे बताएं कि किस कानून के तहत किसी को धार्मिक स्थलों के बाहर जाना प्रतिबंधित है? जज लाऊ ने सवाल उठाया कि आपत्तिजनक बयान क्या हैं। अवैध क्या है? मुझे कानून के बारे में बताएं। जांच ने क्या दिखाया है? उन्होंने कहा कि धरने में, विरोध प्रदर्शन में क्या गलत था? यह संवैधानिकों अधिकारों में से एक है।
सोशल मीडिया पर आजाद द्वारा की पोस्ट की बात करते हुए जज ने कहा, पोस्टों को देखने से पता चलता है कि इनमें कहीं भी हिंसा की बात नहीं है। हिंसा कहां है? किसी पोस्ट में गलत क्या है? उन्होंने कहा कि पुलिस से सवाल किया कि कौन कहता है कि आप विरोध नहीं कर सकते? क्या आपने संविधान पढ़ा है?
जज लाउ ने कहा कि उन्होंने पहले ही अभियोजन पक्ष से प्राचा को पोस्टों को दिखाने के लिए कह चुकी हैं जब तक कि विशेषाधिकार की बात न हो। इससे पहले अदालत में सुनवाई के दौरान एडवोकेट मोहम्मद प्राचा आजाद के लिए सुनवाई के लिए पहुंचे जो सीएए को लेकर दरियागंज में प्रदर्शन के दौरान हिंसा के आरोप में 21 दिसंबर से हिरासत में हैं।
प्राचा ने आजाद पर यूपी में चार्जशीट की गई एफआईआर पर सवाल किया। प्राचा ने अदालत से कहा कि अभियोजन पक्ष ने स्वीकार किया है कि आजाद को गिरफ्तार किया गया था क्योंकि वह अन्य मामलों में जमानत पर बाहर थे। अभियोजक का कहना है कि आज़ाद के कथित भड़काऊ भाषणों के ‘ड्रोन फुटेज’ मौजूद हैं।