वे सिर फोड़ेगें, क्योंकि वे डरते हैं सवाल पूछती JNU की लड़कियों से

Written by प्रीति चौधरी | Published on: January 9, 2020
वे सिर फोड़ेगें
उन्हें *** बोलेगें
अपने घर से लाये कंडोम गिनेगें.



वे कुल्हाड़ी लेकर आयेगें
सरिया लहरायेगें
उन्हें नफरत है
बोलती लड़कियों से.

वे डरते हैं
देश के बारे में सोचती लड़कियों से
वे जानते हैं
जेएनयू ऐसी जगह थी
जहाँ बेखटक बस्ता लादे
रात के एक बजे कोई लड़की
जा सकती थी लाइब्रेरी से हास्टल.

वे जानते हैं कि
जेएनयू वाले
लड़कियों को देवी नहीं कहते
वहाँ लड़कियां मुक्कमल इंसानों की तरह
करती हैं बात
पूछती हैं सवाल.

ऐसे ही सवाल करती लड़कियों की
ज़बान काटने आये वो नक़ाबपोश
उनके पास शब्द नहीं थे
तर्क निर्वासित थे उनकी दुनिया से
शस्त्र थे नफरत की शान पर चढ़े हुए
वामपंथ या कोई वाद सिर्फ़ बहाने हैं
वे करते हैं नफरत
मेधावी लड़कियों से
बौद्धिकता से.

JNU की लड़कियाँ जो
समझती हैं बाज़ार की चाल
समझती हैं टीवी का मायाजाल
जो पूछती हैं राष्ट्र में अपनी जगह
रोज़गार के आँकड़े
और रक्षा बजट के पेंच जानती हैं.

जाहिर है
ऐसी लड़कियाँ होती हैं ख़तरनाक
वे समझती हैं
सीता की अग्निपरीक्षा का दर्द
बाजी पर लगी द्रौपदी से बतियाती हैं
अपाला और अहिल्या के जीवन को करती हैं डिकोड
JNU की लड़कियाँ कस्तूरबा का एकांत भी जानती हैं
वे डरते हैं JNU से
वे डरते हैं
सदियों के तमस् तोड़ ज्योतिर्मयी बनी लड़कियों से।

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