जेएनयू हिंसा के आरोपियों को लेकर तरह तरह के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक यह नहीं पता चल सका है कि जेएनयू में छात्रों के साथ मारपीट करने वाले आरोपी कौन थे? शुक्रवार को इंडिया टुडे टीवी पर एक स्टिंग ऑपरेशन का प्रसारण किया गया, जिसमें दो एबीवीपी कार्यकर्ता यह बात स्वीकार कर रहे हैं कि जेएनयू हिंसा में उनकी भूमिका थी। वहीं इस खुलासे के बाद दिल्ली पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जो दावे किए थे, उन पर सवाल खड़े हो गए हैं।
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया था कि जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत 9 लोगों पर हिंसा करने का आरोप लगाया था। जिन लोगों की पुलिस द्वारा पहचान की गई, उनमें से अधिकतर वामपंथी संगठनों से जुड़े छात्र हैं। पुलिस ने इस दौरान हिंसा से जुड़ी कुछ तस्वीरें भी मीडिया को दिखायीं। पुलिस ने इस हिंसा में एबीवीपी का कहीं नाम नहीं लिया है।
वहीं, इंडिया टुडे टीवी के स्टिंग ऑपरेशन में बीए (फ्रेंच) के छात्र, जोकि खुद को एबीवीपी का कार्यकर्ता बता रहा है, उसने बताया कि उसने साबरमती हॉस्टल में हुई हिंसा की अगुवाई की थी। स्टिंग में छात्र ने बताया कि “पेरियार (हॉस्टल) पर पहले हमला किया गया, जो कि उनके एक्शन का रिएक्शन था…मैंने साबरमती हॉस्टल पर हमले के लिए इकट्ठा किया।”
कथित एबीवीपी कार्यकर्ता ने बताया कि “उसने एक दोस्त को फोन किया, जो कि एबीवीपी का संगठन सचिव है। उसने बताया कि उसे एक दाढ़ी वाला व्यक्ति मिला, जो कि देखने में कश्मीरी लग रहा था। मैंने उसे पीटा और फिर पैर मारकर दरवाजा तोड़ दिया।”
वहीं एबीवीपी की राष्ट्रीय सचिव निधि त्रिपाठी ने स्टिंग में दिख रहे लड़कों के एबीवीपी से जुड़े होने से इंकार किया है। निधि त्रिपाठी ने कहा कि यदि कोई दावा करता है कि वह एबीवीपी से है तो उसके कहने भर से वह एबीवीपी कार्यकर्ता नहीं हो जाता। वहीं इस स्टिंग के बाद दिल्ली पुलिस के दावे पर सवाल उठ गए हैं।
दिल्ली पुलिस ने जिन छात्रों पर हिंसा फैलाने का आरोप लगाया था उनमें जेएनयूएसयू प्रेसीडेंट आइशी घोष और एक काउंसलर को भी शामिल बताया था। यह मामला विंटर सेशन के रजिस्ट्रेशन को लेकर बताया गया था।
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया था कि जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत 9 लोगों पर हिंसा करने का आरोप लगाया था। जिन लोगों की पुलिस द्वारा पहचान की गई, उनमें से अधिकतर वामपंथी संगठनों से जुड़े छात्र हैं। पुलिस ने इस दौरान हिंसा से जुड़ी कुछ तस्वीरें भी मीडिया को दिखायीं। पुलिस ने इस हिंसा में एबीवीपी का कहीं नाम नहीं लिया है।
वहीं, इंडिया टुडे टीवी के स्टिंग ऑपरेशन में बीए (फ्रेंच) के छात्र, जोकि खुद को एबीवीपी का कार्यकर्ता बता रहा है, उसने बताया कि उसने साबरमती हॉस्टल में हुई हिंसा की अगुवाई की थी। स्टिंग में छात्र ने बताया कि “पेरियार (हॉस्टल) पर पहले हमला किया गया, जो कि उनके एक्शन का रिएक्शन था…मैंने साबरमती हॉस्टल पर हमले के लिए इकट्ठा किया।”
कथित एबीवीपी कार्यकर्ता ने बताया कि “उसने एक दोस्त को फोन किया, जो कि एबीवीपी का संगठन सचिव है। उसने बताया कि उसे एक दाढ़ी वाला व्यक्ति मिला, जो कि देखने में कश्मीरी लग रहा था। मैंने उसे पीटा और फिर पैर मारकर दरवाजा तोड़ दिया।”
वहीं एबीवीपी की राष्ट्रीय सचिव निधि त्रिपाठी ने स्टिंग में दिख रहे लड़कों के एबीवीपी से जुड़े होने से इंकार किया है। निधि त्रिपाठी ने कहा कि यदि कोई दावा करता है कि वह एबीवीपी से है तो उसके कहने भर से वह एबीवीपी कार्यकर्ता नहीं हो जाता। वहीं इस स्टिंग के बाद दिल्ली पुलिस के दावे पर सवाल उठ गए हैं।
दिल्ली पुलिस ने जिन छात्रों पर हिंसा फैलाने का आरोप लगाया था उनमें जेएनयूएसयू प्रेसीडेंट आइशी घोष और एक काउंसलर को भी शामिल बताया था। यह मामला विंटर सेशन के रजिस्ट्रेशन को लेकर बताया गया था।