आज के दौर की पत्रकारिता जहां सत्ताधारी पार्टी के प्रवक्ता से बढ़कर पीआर एजेंसी काम कर रही है वहीं दूसरी तरफ एक पत्रकार बेवाक तौर पर अपने चैनल के बॉयकॉट की बातें प्राइम टाइम में करता नजर आता है। ये हैं खुद को जीरो टीआरपी पत्रकार बताने वाले एनडीटीवी के रवीश कुमार। अपनी बेवाक पत्रकारिता की बदौलत रवीश कुमार राष्ट्रीय और अंतर्राट्रीय तौर पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं।

हाल ही में रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड लेकर लौटे रवीश कुमार को आज निर्भीक पत्रकारिता के लिए गौरी लंकेश अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। एनडीटीवी के मैनेजिंग एडिटर रवीश कुमार को पहले गौरी लंकेश अवॉर्ड का ऐलान उनकी दूसरी पुण्यतिथि पर 5 सितंबर को ही कर दिया गया था। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार औऱ सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ भी मंच पर मौजूद रहीं।

गौरी लंकेश की 2 साल पहले बेंगलुरु स्थित उनके घर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले की दुनियाभर में आलोचना हुई थी। प्रधानमंत्री को सीधे तौर पर घेरने वाली गौरी लंकेश को कथित हिंदुत्ववादियों ने गोली से भूनकर मार डाला था। गौरी लंकेश की दूसरी बरसी पर गौरी लंकेश मेमोरियल ट्रस्ट ने 5 सितंबर को ही रवीश कुमार को पहला अवॉर्ड देने का ऐलान किया था।

बे-आवाजों की आवाज बनने और उनका मुद्दा उठाने के लिए रवीश कुमार को इसी महीने एशिया का प्रतिष्ठित रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड दिया गया है। रवीश कुमार खुद को जीरो टीआरपी पत्रकार कहते हैं साथ ही अपने दर्शकों को टीवी से ही आगाह करते नजर आते हैं कि वे टीवी चैनल ना देखें। खुद की आने वाली पीढ़ियों के दिमाग और भविष्य को सुरक्षित रखें इसलिए न्यूज चैनल ना देखें क्योंकि आज चैनल प्रोपेगेंडा के तौर पर जहर उगल रहे हैं।

जब एक तरफ चैनल पाकिस्तान का भय दिखाकर चिल्ल-पौं मचा रहे होते हैं वहीं दूसरी तरफ रवीश कुमार बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहे होते हैं। शायद यही कारण है कि सत्ता से सीधे सवालों के चलते सत्ताधारी बीजेपी ने कई सालों से अपने प्रवक्ताओं को उनके चैनल में भेजना बंद कर दिया है। इसके बावजूद रवीश कुमार अपने शो के चलते लगातार लोगों की चाहत बने हुए हैं।

हाल ही में रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड लेकर लौटे रवीश कुमार को आज निर्भीक पत्रकारिता के लिए गौरी लंकेश अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। एनडीटीवी के मैनेजिंग एडिटर रवीश कुमार को पहले गौरी लंकेश अवॉर्ड का ऐलान उनकी दूसरी पुण्यतिथि पर 5 सितंबर को ही कर दिया गया था। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार औऱ सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ भी मंच पर मौजूद रहीं।

गौरी लंकेश की 2 साल पहले बेंगलुरु स्थित उनके घर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले की दुनियाभर में आलोचना हुई थी। प्रधानमंत्री को सीधे तौर पर घेरने वाली गौरी लंकेश को कथित हिंदुत्ववादियों ने गोली से भूनकर मार डाला था। गौरी लंकेश की दूसरी बरसी पर गौरी लंकेश मेमोरियल ट्रस्ट ने 5 सितंबर को ही रवीश कुमार को पहला अवॉर्ड देने का ऐलान किया था।

बे-आवाजों की आवाज बनने और उनका मुद्दा उठाने के लिए रवीश कुमार को इसी महीने एशिया का प्रतिष्ठित रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड दिया गया है। रवीश कुमार खुद को जीरो टीआरपी पत्रकार कहते हैं साथ ही अपने दर्शकों को टीवी से ही आगाह करते नजर आते हैं कि वे टीवी चैनल ना देखें। खुद की आने वाली पीढ़ियों के दिमाग और भविष्य को सुरक्षित रखें इसलिए न्यूज चैनल ना देखें क्योंकि आज चैनल प्रोपेगेंडा के तौर पर जहर उगल रहे हैं।

जब एक तरफ चैनल पाकिस्तान का भय दिखाकर चिल्ल-पौं मचा रहे होते हैं वहीं दूसरी तरफ रवीश कुमार बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहे होते हैं। शायद यही कारण है कि सत्ता से सीधे सवालों के चलते सत्ताधारी बीजेपी ने कई सालों से अपने प्रवक्ताओं को उनके चैनल में भेजना बंद कर दिया है। इसके बावजूद रवीश कुमार अपने शो के चलते लगातार लोगों की चाहत बने हुए हैं।