वित्तीय वर्ष 2016 से 2018 तक कारोबारी घरानों से सबसे ज्यादा चंदा सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को मिला है। दो सालों में बीजेपी को 915 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। बीजेपी को कांग्रेस के मुकाबले 16 गुना ज्यादा चंदा मिला है। कांग्रेस को मात्र 55.36 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। वहीं एनसीपी को इस अवधि के दौरान 7.737 करोड़ रुपए मिले हैं।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी को सबसे ज्यादा राजनीतिक चंदा मिला है। भारतीय जनता पार्टी को मिली राजनीतिक चंदे की राशि 915.596 करोड़ रुपये बताई जा रही है, जो कि पार्टी को मिले कुल चंदे का 94% हिस्सा है।
राष्ट्रीय दल बीएसपी ने कहा है कि उसे 2017-18 के बीच 20,000 रुपये अधिक का कोई चंदा नहीं मिला। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) को सबसे कम कारोबारी चंदा मिला है। सीपीआई को 7 लाख में से 4 लाख कॉर्पोरेट सेक्टर से चंदा के रूप में मिला है।
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2016-17 और 2017-18 में देश की छ: राजनीतिक पार्टियों को 20 हजार से अधिक राशि का कुल 1059.25 करोड़ रुपये का राजनीति चंदा मिला। इसमें से 985.18 करोड़ रुपये जो कुल चंदे का 94 प्रतिशत हिस्सा है, कॉरपोरेट और बिजनेस घरानों से मिला है।वित्त वर्ष 2016-17 और 2017-18 में बीजेपी को 915.596 करोड़ रुपया चंदे के रूप में मिला। यह राशि उनकी पार्टी को मिले कुल चंदे का 93% हिस्सा है।इसी तरह वित्त वर्ष 2016-17 और 2017-18 में कांग्रेस को कुल 55.36 करोड़ रुपये कॉरपोरेट और बिजनेस घरानों से चंदे के रूप में मिले। यह राशि कांग्रेस को मिले कुल चंदे का 81% हिस्सा बनाती है।
वित्त वर्ष 2016-17 और 2017-18 के दौरान इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को सबसे ज्यादा चंदा मिला है। इस दौरान सभी पार्टियों को मिलाकर कुल 488.42 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदे के रूप में मिले। इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा पाने वाली पार्टियों में बीजेपी और कांग्रेस सबसे आगे रहीं। बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 458.02 करोड़ रुपया चंदा मिला तो कांग्रेस ने इस दौरान 29.40 करोड़ रुपए इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदे के रूप में लिए।
2016-17 और 2017-18 के बीच इलेक्टोरल ट्रस्ट ने बीजेपी और कांग्रेस को 429.42 करोड़ दिया। वहीं रियल स्टेट कंपनियों ने 49 करेाड़ तथा विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियों ने 74.74 करोड़ रुपये का दान मिला है।
राष्ट्रीय दलों को दान देने वालों में प्रूडेंट और सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट सबसे आगे हैं। इन पार्टियों को इलेक्टोरल ट्रस्ट के अलावा रियल इस्टेट, विनिर्माण, खनन, एक्सपोर्ट, हेल्थकेयर, वित्तीय, शिक्षा, ऑयल, संचार, होटल, ट्रेवल, ट्रस्ट/ एसोसिएट और शिपिंग कंपनियों ने भी चंदा दिया है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी को सबसे ज्यादा राजनीतिक चंदा मिला है। भारतीय जनता पार्टी को मिली राजनीतिक चंदे की राशि 915.596 करोड़ रुपये बताई जा रही है, जो कि पार्टी को मिले कुल चंदे का 94% हिस्सा है।
राष्ट्रीय दल बीएसपी ने कहा है कि उसे 2017-18 के बीच 20,000 रुपये अधिक का कोई चंदा नहीं मिला। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) को सबसे कम कारोबारी चंदा मिला है। सीपीआई को 7 लाख में से 4 लाख कॉर्पोरेट सेक्टर से चंदा के रूप में मिला है।
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2016-17 और 2017-18 में देश की छ: राजनीतिक पार्टियों को 20 हजार से अधिक राशि का कुल 1059.25 करोड़ रुपये का राजनीति चंदा मिला। इसमें से 985.18 करोड़ रुपये जो कुल चंदे का 94 प्रतिशत हिस्सा है, कॉरपोरेट और बिजनेस घरानों से मिला है।वित्त वर्ष 2016-17 और 2017-18 में बीजेपी को 915.596 करोड़ रुपया चंदे के रूप में मिला। यह राशि उनकी पार्टी को मिले कुल चंदे का 93% हिस्सा है।इसी तरह वित्त वर्ष 2016-17 और 2017-18 में कांग्रेस को कुल 55.36 करोड़ रुपये कॉरपोरेट और बिजनेस घरानों से चंदे के रूप में मिले। यह राशि कांग्रेस को मिले कुल चंदे का 81% हिस्सा बनाती है।
वित्त वर्ष 2016-17 और 2017-18 के दौरान इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को सबसे ज्यादा चंदा मिला है। इस दौरान सभी पार्टियों को मिलाकर कुल 488.42 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदे के रूप में मिले। इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा पाने वाली पार्टियों में बीजेपी और कांग्रेस सबसे आगे रहीं। बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 458.02 करोड़ रुपया चंदा मिला तो कांग्रेस ने इस दौरान 29.40 करोड़ रुपए इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदे के रूप में लिए।
2016-17 और 2017-18 के बीच इलेक्टोरल ट्रस्ट ने बीजेपी और कांग्रेस को 429.42 करोड़ दिया। वहीं रियल स्टेट कंपनियों ने 49 करेाड़ तथा विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियों ने 74.74 करोड़ रुपये का दान मिला है।
राष्ट्रीय दलों को दान देने वालों में प्रूडेंट और सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट सबसे आगे हैं। इन पार्टियों को इलेक्टोरल ट्रस्ट के अलावा रियल इस्टेट, विनिर्माण, खनन, एक्सपोर्ट, हेल्थकेयर, वित्तीय, शिक्षा, ऑयल, संचार, होटल, ट्रेवल, ट्रस्ट/ एसोसिएट और शिपिंग कंपनियों ने भी चंदा दिया है।