नवंबर 2014 में केंद्र सरकार घोषणा करती है कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत देश के 39 मेडिकल कॉलेजों को अपग्रेड किया जाएगा। इसमें दरभंगा मेडिकल कॉलेज का भी नाम था। 2015 में भी बयान जारी होता है। सूची जारी होती है। उसमें भी दरभंगा मेडिकल कॉलेज का नाम है।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत एम्स बनाने का फ़ैसला होता है और पहले से चल रहे राज्यों के मेडिकल कॉलेजों को अपग्रेड करने का फ़ैसला होता है। अस्सी फ़ीसदी पैसा केंद्र और बीस फ़ीसदी राज्य देता है।
2015 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री जेटली एलान करते हैं कि बिहार में एम्स बनेगा। उस साल बिहार में विधान सभा चुनाव होने थे।
राजद और जदयू की सरकार बनती हैं।
2017 में राज्य सभा में स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे कहते हैं कि नए एम्स के लिए बिहार सरकार ने जगह नहीं दी है।
तीन साल समाप्त हो जाते हैं। इस बीच बिहार में जदयू और बीजेपी की सरकार बनती है।
चार साल में बिहार सरकार एम्स के लिए ज़मीन नहीं खोज पाती है।
मार्च 2019 में जे पी नड्डा एलान करते हैं कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज को अपग्रेड कर एम्स बनाया जाएगा। मेरी जानकारी में एम्स किसी अस्पताल को अपग्रेड कर नहीं बनता है। वैसे ख़बर है कि अभी तक एम्स के लिए ज़मीन नहीं मिली है।
जे पी नड्डा 2014 में दरभंगा मेडिकल कॉलेज को अपग्रेड कर रहे थे। 2019 में उसे एम्स बनाने लगे।
2014 के अपग्रेड करने के फ़ैसले के कारण दरभंगा मेडिकल कालेज में एक सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल की इमारत बनकर तैयार है। मगर अभी तक चालू नहीं हुआ है। घोषणा तो दिसबंर 2018 में चालू करने की थी। डॉक्टर कहाँ से आएगा? इमारत बनने से अस्पताल नहीं बनता।
ठीक इसके सामने सर्जरी विभाग है। जिस इमारत में सर्जरी और आर्थो विभाग है उसे 2016 में ख़तरनाक घोषित किया जा चुका है। मगर अभी भी वहाँ मरीज़ लाए जाते हैं और आपरेशन होता है। इसके लिए फ़ंड मंज़ूर है मगर नई इमारत के लिए जगह नहीं मिली है।
यह भी पता चला कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज में आयुष्मान योजना के तहत 600 मरीज़ों का उपचार हुआ है। केंद्र की तरफ से 300 मरीज़ों का पैसा अस्पताल को मिल गया है। इतने बड़े अस्पताल में आयुष्मान योजना के तहत मात्र छह सौ मरीज़ों का इलाज हुआ है।
यह सब जानकारी पी आई बी की प्रेस रीलीज, लोगों से बातचीत के आधार पर दी गई है। आप भी पता करें।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत एम्स बनाने का फ़ैसला होता है और पहले से चल रहे राज्यों के मेडिकल कॉलेजों को अपग्रेड करने का फ़ैसला होता है। अस्सी फ़ीसदी पैसा केंद्र और बीस फ़ीसदी राज्य देता है।
2015 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री जेटली एलान करते हैं कि बिहार में एम्स बनेगा। उस साल बिहार में विधान सभा चुनाव होने थे।
राजद और जदयू की सरकार बनती हैं।
2017 में राज्य सभा में स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे कहते हैं कि नए एम्स के लिए बिहार सरकार ने जगह नहीं दी है।
तीन साल समाप्त हो जाते हैं। इस बीच बिहार में जदयू और बीजेपी की सरकार बनती है।
चार साल में बिहार सरकार एम्स के लिए ज़मीन नहीं खोज पाती है।
मार्च 2019 में जे पी नड्डा एलान करते हैं कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज को अपग्रेड कर एम्स बनाया जाएगा। मेरी जानकारी में एम्स किसी अस्पताल को अपग्रेड कर नहीं बनता है। वैसे ख़बर है कि अभी तक एम्स के लिए ज़मीन नहीं मिली है।
जे पी नड्डा 2014 में दरभंगा मेडिकल कॉलेज को अपग्रेड कर रहे थे। 2019 में उसे एम्स बनाने लगे।
2014 के अपग्रेड करने के फ़ैसले के कारण दरभंगा मेडिकल कालेज में एक सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल की इमारत बनकर तैयार है। मगर अभी तक चालू नहीं हुआ है। घोषणा तो दिसबंर 2018 में चालू करने की थी। डॉक्टर कहाँ से आएगा? इमारत बनने से अस्पताल नहीं बनता।
ठीक इसके सामने सर्जरी विभाग है। जिस इमारत में सर्जरी और आर्थो विभाग है उसे 2016 में ख़तरनाक घोषित किया जा चुका है। मगर अभी भी वहाँ मरीज़ लाए जाते हैं और आपरेशन होता है। इसके लिए फ़ंड मंज़ूर है मगर नई इमारत के लिए जगह नहीं मिली है।
यह भी पता चला कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज में आयुष्मान योजना के तहत 600 मरीज़ों का उपचार हुआ है। केंद्र की तरफ से 300 मरीज़ों का पैसा अस्पताल को मिल गया है। इतने बड़े अस्पताल में आयुष्मान योजना के तहत मात्र छह सौ मरीज़ों का इलाज हुआ है।
यह सब जानकारी पी आई बी की प्रेस रीलीज, लोगों से बातचीत के आधार पर दी गई है। आप भी पता करें।