वाराणसी: करमाइकल लाइब्रेरी पर सुप्रीम कोर्ट ने पलटा इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला

Written by sabrang india | Published on: June 20, 2019
वाराणसी में निर्माणाधीन काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए शहर की पहली सार्वजनिक लाइब्रेरी करमाइकल लाइब्रेरी भवन गिराए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को आदेश दिया है कि भवन की दुकानों के लिए 16 लाख रुपये मुआवजे का भुगतान करे।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब भवन को गिरा दिया जाएगा। इसके साथ ही दुकानदारों की मांग भी पूरी हो गई। गौरतलब है कि धीरज गुप्ता और अन्य किराएदारों ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। याची ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को असंवैधानिक बताया था, जिसमें कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। भवन गिराए जाने का आदेश दिया था। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, याची ने सर्वोच्च अदालत से मांग की थी कि यदि भवन गिराया जाए तो उन्हें मुआवजा प्रदान किया जाए। मुआवजा न दिए जाने की स्थिति में उन्हें कहीं अन्य दुकान ही दे दी जाए।

विश्वनाथ मंदिर न्यास के वकील ने अदालत में इसका विरोध करते हुए लाइब्रेरी भवन (भवन संख्या सीके 36/8) उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा 15 फरवरी को खरीद लिए जाने की दलील दी थी। वकील ने कहा था कि याची के पास सिविल सूट में जाने का विकल्प मौजूद है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद याची के पास अन्य विकल्प की मौजूदगी के आधार पर याचिका खारिज कर दिया था। जिसके बाद याची ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

कारमाइल लाइब्रेरी का भवन 15 फरवरी को खरीदे जाने के 2 दिन बाद 17 फरवरी को ही श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद ने इसे खाली करने के लिए नोटिस भेज दी थी। मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने इसके लिए मंदिर की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ के कमांडेंट को भी पत्र लिखा था। 

बता दें कि करमाइकल लाइब्रेरी बनारस की पहली सार्वजनिक लाइब्रेरी मानी जाती है। इसमें दुर्लभ पुस्तकों और ग्रंथों का संग्रह है। इसकी स्थापना 1872 में संकठा प्रसाद खत्री ने बनारस के तत्कालीन कमिश्नर सीपी करमाइकल के नाम पर की थी। कहा जाता है कि इस लाइब्रेरी में मुंशी प्रेमचंद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी जैसे प्रकांड विद्वानों का जमावड़ा लगता था। मौजूदा समय में इस लाइब्रेरी में एक लाख से ज्यादा पुस्तकें हैं।
 

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