लंबे समय से अपनी सरकार और भाजपा से नाराज चल रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओपी राजभर ने आखिरकार उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने के साथ ही उन्होंने भाजपा पर जमकर हमला हमले किए। राजभर ने कहा कि भाजपा ने उनकी पार्टी के नाम और चिन्ह का गलत इस्तेमाल किया है। राजभर ने कहा कि उन्होंने 13 अप्रैल को ही इस्तीफा दे दिया था, मुझे सरकार से कोई लेना-देना नहीं है।
बता दें कि राजभर की पार्टी सूबे में 39 लोकसभा सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी है। इसमें वाराणसी, लखनऊ और गोरखपुर सीटें भी शामिल हैं। राजभर ने बलिया जिले के सिकन्दरपुर में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए दावा किया है कि भाजपा सरकार से उन्होंने इस्तीफा दे दिया है तथा उनका भाजपा से कोई रिश्ता नहीं है। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि इस्तीफा स्वीकार करना भाजपा सरकार का काम है।
उन्होंने कहा, '13 अप्रैल की रात को राज्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जब उन्होंने (भाजपा) कहा कि आप हमारे चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ें, तो मैंने उनसे कहा कि हम अपने चिन्ह पर लड़ेंगे और हम 1 सीट पर लड़ेंगे। लेकिन वे इसके लिए सहमत नहीं थे। इस्तीफा स्वीकार नहीं किया, चुनाव आयोग से शिकायत दर्ज कराई है।'
राजभर ने आरोप लगाया कि बीजेपी चुनाव में उनकी पार्टी के नाम और झंडे का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो के दौरान भी उनका इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने कहा, मैंने इस संबंध में चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है।
एसबीएसपी प्रमुख ने दावा किया कि सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन राज्य में बीजेपी से अधिक सीटें जीतेंगे। उन्होंने यह भी दावा किया कि कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी के लगातार हमलों से बीजेपी चिंतित है।
पिछले दिनों राजभर ने कहा था, ‘मैं बीजेपी का नेता नहीं, हमारी अलग पार्टी है। पूर्वांचल में हमारी ताकत को देखते हुए बीजेपी ने हमें अपने साथ लिया। हम किसी की कृपा से नहीं, लड़ाई लड़कर मंत्री बने हैं। इसलिए सच बोलते हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री से जनता के हितों के लिए मेरी वैचारिक लड़ाई है’।
ओमप्रकाश राजभर ने भारतीय जनता पार्टी को चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर प्रदेश में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण नहीं दिया गया तो उनकी पार्टी एनडीए से अलग हो जाएगी। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ने कहा था, ‘जब चुनाव नजदीक आता है तो बीजेपी को सहयोगी दल याद आते हैं। इस बार बिल्ली मट्ठा भी फूंककर पीएगी’।
इससे पहले फरवरी महीने में राजभर ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया था, तब योगी आदित्यनाथ ने उसे स्वीकार नहीं किया था। उस समय इस्तीफा देने के वक्त राजभर ने कहा था कि जब उन्हें अपने ही विभाग से जुड़े पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग में अपने पसंदीदा लोगों को रखने का अधिकार नहीं है तो विभागीय मंत्री होने का क्या औचित्य है।
बता दें कि राजभर की पार्टी सूबे में 39 लोकसभा सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी है। इसमें वाराणसी, लखनऊ और गोरखपुर सीटें भी शामिल हैं। राजभर ने बलिया जिले के सिकन्दरपुर में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए दावा किया है कि भाजपा सरकार से उन्होंने इस्तीफा दे दिया है तथा उनका भाजपा से कोई रिश्ता नहीं है। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि इस्तीफा स्वीकार करना भाजपा सरकार का काम है।
उन्होंने कहा, '13 अप्रैल की रात को राज्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जब उन्होंने (भाजपा) कहा कि आप हमारे चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ें, तो मैंने उनसे कहा कि हम अपने चिन्ह पर लड़ेंगे और हम 1 सीट पर लड़ेंगे। लेकिन वे इसके लिए सहमत नहीं थे। इस्तीफा स्वीकार नहीं किया, चुनाव आयोग से शिकायत दर्ज कराई है।'
राजभर ने आरोप लगाया कि बीजेपी चुनाव में उनकी पार्टी के नाम और झंडे का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो के दौरान भी उनका इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने कहा, मैंने इस संबंध में चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है।
एसबीएसपी प्रमुख ने दावा किया कि सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन राज्य में बीजेपी से अधिक सीटें जीतेंगे। उन्होंने यह भी दावा किया कि कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी के लगातार हमलों से बीजेपी चिंतित है।
पिछले दिनों राजभर ने कहा था, ‘मैं बीजेपी का नेता नहीं, हमारी अलग पार्टी है। पूर्वांचल में हमारी ताकत को देखते हुए बीजेपी ने हमें अपने साथ लिया। हम किसी की कृपा से नहीं, लड़ाई लड़कर मंत्री बने हैं। इसलिए सच बोलते हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री से जनता के हितों के लिए मेरी वैचारिक लड़ाई है’।
ओमप्रकाश राजभर ने भारतीय जनता पार्टी को चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर प्रदेश में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण नहीं दिया गया तो उनकी पार्टी एनडीए से अलग हो जाएगी। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ने कहा था, ‘जब चुनाव नजदीक आता है तो बीजेपी को सहयोगी दल याद आते हैं। इस बार बिल्ली मट्ठा भी फूंककर पीएगी’।
इससे पहले फरवरी महीने में राजभर ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया था, तब योगी आदित्यनाथ ने उसे स्वीकार नहीं किया था। उस समय इस्तीफा देने के वक्त राजभर ने कहा था कि जब उन्हें अपने ही विभाग से जुड़े पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग में अपने पसंदीदा लोगों को रखने का अधिकार नहीं है तो विभागीय मंत्री होने का क्या औचित्य है।