क्राइस्टचर्च की मस्जिदों में हमले के बाद सिर ढंके नजर आईं न्यूजीलैंड की महिलाएं

Written by sabrang india | Published on: March 23, 2019
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिका अर्डर्न यहां की दो मस्जिदों में गोलीबारी में मारे गए 50 लोगों की मौत पर जिस तरह से आतंकवाद और नफरत के खिलाफ खड़ी हुई हैं व पीड़ित परिवारों का दर्द बांटने की जद्दोजहद में जुटी हैं वे एक मिसाल बन गई हैं। हर कोई उनके अपनत्व को देखकर हतप्रभ है और दुआ कर रहा है कि हर देश में ऐसा ही प्रधानमंत्री हो जो अपने यहां की आवाम को एक दूसरे के प्रति भड़काने के बजाय नफरत पालने वालों के एकदम सख्त खिलाफ हो। 

Image Courtesy: Reuters

मस्जिद में मारे गए लोगों की याद में शुक्रवार को न्यूजीलैंड में पैगंबर मोहम्मद की अगुवाई में दो मिनट का मौन रखा गया जिसमें जेसिका अर्डर्न भी मौजूद रहीं। इस मौन के बाद दिए गए संदेश में कहा गया, "जब शरीर का कोई भी हिस्सा पीड़ित होता है, तो पूरे शरीर में दर्द होता है।" इस दौरान उऩ लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई जो एक श्वेत द्वारा मार दिए गए थे। 
 
क्राइस्टचर्च में अल नूर मस्जिद के इमाम गमाल फोडा ने कहा कि वह उम्मीद कर रहे थे कि हैगले पार्क में शुक्रवार की प्रार्थना सेवा (खुत्बा) में 3000 से 4000 लोग पहुंचेंगे। जिनमें क्राइस्टचर्च के मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के साथ होने और अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए विदेश से आए लोग भी शामिल थे।
 
न्यूज़ीलैंड की मस्जिदों में सामूहिक गोलीबारी के शिकार लोग पाकिस्तान, भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया, तुर्की, सोमालिया, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों से आए प्रवासी या शरणार्थी थे। इसके बावजूद पूरा न्यूजीलैंड उनके समर्थन में उतर आया और पीड़ित परिवारों के साथ तमाम तरह से सहानुभूति दिखा रहा है।  
 
इमाम गमाल फोडा प्रार्थना के लिए एकत्रित हुई भीड़ से कहा, "हमारे दिल टूटे हैं, लेकिन हम टूटे नहीं हैं। हम जीवित हैं, हम साथ हैं, हम किसी को भी विभाजित नहीं होने देने के लिए दृढ़ हैं।"
 
पीड़ित परिवारों को सांत्वना देते हुए उन्होंने कहा कि आपके प्रियजनों को व्यर्थ में नहीं मरना पड़ा। उनके रक्त ने आशा के बीज में पानी डाला है। यह प्रार्थना राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित की गई।  
 
चर्च के कुछ मीटर की दूरी पर मुस्लिमों की प्रार्थना के दौरान गैर-मुस्लिमों ने प्रार्थना की। कई महिलाओं ने मुस्लिम समुदाय के साथ एकजुटता दिखाने के लिए सिर को ढंके हुए रखा। हैगले पार्क में एकत्र हुई गैर मुस्लिम महिलाओं में से 65 वर्षीय रोबिन मोलोनी ने कहा कि हम अपना समर्थन, प्यार और एकजुटता दिखाते हुए हेडस्कार्व्स पहने हुए हैं और उम्मीद करते हैं कि हर कोई ऐसा करके मुस्लिमों को समर्थन देगा। इसके साथ ही ट्विटर पर #headscarfforharmony कैंपेन चलाया गया। 

#headscarfforharmony कैंपेन के तहत न्यूजीलैंड की गैर मुस्लिम महिलाएं अपना सिर ढंककर फोटो ट्वीट कर रही हैं और मुस्लिम महिलाओं को सांत्वना देने व खौफ से उबारने का प्रयत्न कर रही हैं। इससे पहले बहुत सारे लोगों ने मिलकर मोरि हाका नृत्य कर मारे गए लोगों को सांत्वना दी थी।   

इस कैम्पेन की शुरुआत ऑकलैंड की डॉक्टर Thaya Ashman ने की है। उन्होंने कहा कि मैंने सुना है कि मस्जिदों में हमले के बाद मुस्लिम महिलाओं में खौफ का माहौल है और वे डर रही हैं कि अगर वे सिर पर कपड़ा रखकर बाहर निकलीं तो आतंकवादी उन्हें अपना निशाना बना लेंगे। ऐसे में उनका डर निकालने के लिए उन्होंने यह मुहिम शुरू की है।  

मस्जिद में हमले के एक हफ्ते के भीतर ही न्यूजीलैंड ने सख्त कार्रवाई करते हुए नए बंदूक कानूनों के तहत सैन्य शैली के अर्ध-स्वचालित और असॉल्ट राइफलों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी है। न्यूजीलैंड सरकार ने ऐसे कई सामग्रियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है जो निम्न क्षमता के सेमी-ऑटोमेटिक हथियारों के निर्माण में सक्षम है और जिससे नरसंहार किया जा सकता है।

सभी उच्च क्षमता वाले मैगजीनों के अलावा एमएसएसए बना सकने वाले बंदूकों के सभी कलपुर्जो पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्रधानमंत्री अर्डर्न ने भरोसा जताया कि न्यूजीलैंड की बड़ी आबादी इस बदलाव का समर्थन करेगी।

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