बही चुनाव की फिर बयार
भक्त बने हैं चौकीदार
खाने को नहीं आटा घर में
खोपड़ी रूखी तेल न सर में
एक पहर सब भूखे सोए
चूल्हे में नहीं आग किचन में
बनिया के यहां हजार उधार
भक्त बने हैं चौकीदार
नौकरी का जुगाड़ नहीं है
ठप्प पड़ा, व्यापार नहीं है
फूटी कौड़ी मुश्किल से जुटती
घर में मूठी दाल नहीं है।
पढ़े लिखे सब बैठे बेरोजगार
भक्त बने हैं चौकीदार
बैंक लूटकर नीरव भागे
सुसाइड करें किसान अभागे
साहब चैन की नींद है सोता
मन की बात के गोले दागे।
कारपोरेट की है ये सरकार
भक्त बने हैं चौकीदार
बेरोजगारों से पकौड़े तलवाता
कभी उनपर लाठियां चलवाता
सूट बूट टाई में बैठा
कभी वह मन की बात सुनाता
खाये मशरूम रेट तीस हजार
भक्त बने हैं चौकीदारी
भक्त बने हैं चौकीदार
खाने को नहीं आटा घर में
खोपड़ी रूखी तेल न सर में
एक पहर सब भूखे सोए
चूल्हे में नहीं आग किचन में
बनिया के यहां हजार उधार
भक्त बने हैं चौकीदार
नौकरी का जुगाड़ नहीं है
ठप्प पड़ा, व्यापार नहीं है
फूटी कौड़ी मुश्किल से जुटती
घर में मूठी दाल नहीं है।
पढ़े लिखे सब बैठे बेरोजगार
भक्त बने हैं चौकीदार
बैंक लूटकर नीरव भागे
सुसाइड करें किसान अभागे
साहब चैन की नींद है सोता
मन की बात के गोले दागे।
कारपोरेट की है ये सरकार
भक्त बने हैं चौकीदार
बेरोजगारों से पकौड़े तलवाता
कभी उनपर लाठियां चलवाता
सूट बूट टाई में बैठा
कभी वह मन की बात सुनाता
खाये मशरूम रेट तीस हजार
भक्त बने हैं चौकीदारी