नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा है कि राफेल के दस्तावेज चोरी हो गए। इस मामले पर हंगामा बरपा हुआ है। बुधवार को प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में जब 'द हिंदू' में पब्लिश एन राम के एक आर्टिकल का हवाला दिया, तो अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इसका विरोध किया और कहा कि ये लेख चोरी किए गए दस्तावेजों पर आधारित है और इस मामले की जांच जारी है।
इस मामले पर द हिंदू के एडीटर एन राम का जवाब आया है। एन राम ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कई अहम बातें कही हैं। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है और कहा है कि डील को लेकर केंद्र सरकार पुराने कानूनों की आड़ में बचने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी अपील की है कि मीडिया के काम में किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि मीडिया में डील को लेकर जो कुछ भी खबरें आ रही हैं, उसकी वजह है डॉक्यूमेंट्स का चोरी होना।
एन राम ने कहा कि कोई भी उन्हें इस बात के लिए मजबूर नहीं कर सकता है कि वह उस विश्वसनीय सूत्र का नाम बताएं जिसने उन्हें राफेल डील से जुड़े कई अहम दस्तावजे मुहैया कराए हैं। उन्होंने कहा, 'हम बहुत ही सुरक्षित हैं और हमने कोई भी दस्तावेज चोरी नहीं किए हैं।' उन्होंने राफेल डील के बारे में कहा कि यह डील हो चुकी है।
एन राम ने कहा, 'पहला राफेल जेट सितंबर में भारत आएगा। कोई भी जेट की क्वालिटी को लेकर सवाल नहीं उठा रहा है और न ही यह पूछ रहा है कि इस जेट को खरीदने की क्या जरूरत है।' उन्होंने कहा कि जिस तरह से डील को लेकर फैसले लिए गए हैं, उससे कई तरह के सवाल उठते हैं। राफेल सौदे पर द हिंदु की एक नई रिपोर्ट बुधवार को सामने आई है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक फ्रेंच कंपनी डसॉल्ट एविएशन को सरकार की ओर से बैंक गारंटी देने से छूट दी गई थी। अखबार का दावा है कि बैंक गारंटी की जगह कंपनी को 'लेटर ऑफ कम्फर्ट' दिया गया। बैंक गारंटी न होने की वजह से ही राफेल डील और महंगी हो गई थी।
एन राम ने केंद्र सरकार से सवाल किया और पूछा, 'क्या नई डील पुरानी डील से बेहतर है या फिर डील के साथ भारत की स्थिति के साथ किसी तरह का कोई समझौता किया गया था।' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राफेल डील पर चर्चा इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म की वजह से ही हो रही है।
एन राम के मुताबिक सरकार ने जनता से जानकारियां छिपाई थीं। वह सिर्फ सार्वजनिक हितों को ध्यान में रखकर ही जानकारियों को सबके सामने ला रहे हैं। आठ फरवरी को एन राम की एक रिपोर्ट जो अखबार में आई थी उसके मुताबिक रक्षा मंत्रालय को इस बात पर खासी आपत्ति थी कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से डील की कुछ बातों को लेकर आपत्ति दर्ज कराई गई थी। भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल जेट के लिए 59,000 करोड़ की कीमत से डील फाइनल हुई है।
इस मामले पर द हिंदू के एडीटर एन राम का जवाब आया है। एन राम ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कई अहम बातें कही हैं। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है और कहा है कि डील को लेकर केंद्र सरकार पुराने कानूनों की आड़ में बचने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी अपील की है कि मीडिया के काम में किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि मीडिया में डील को लेकर जो कुछ भी खबरें आ रही हैं, उसकी वजह है डॉक्यूमेंट्स का चोरी होना।
एन राम ने कहा कि कोई भी उन्हें इस बात के लिए मजबूर नहीं कर सकता है कि वह उस विश्वसनीय सूत्र का नाम बताएं जिसने उन्हें राफेल डील से जुड़े कई अहम दस्तावजे मुहैया कराए हैं। उन्होंने कहा, 'हम बहुत ही सुरक्षित हैं और हमने कोई भी दस्तावेज चोरी नहीं किए हैं।' उन्होंने राफेल डील के बारे में कहा कि यह डील हो चुकी है।
एन राम ने कहा, 'पहला राफेल जेट सितंबर में भारत आएगा। कोई भी जेट की क्वालिटी को लेकर सवाल नहीं उठा रहा है और न ही यह पूछ रहा है कि इस जेट को खरीदने की क्या जरूरत है।' उन्होंने कहा कि जिस तरह से डील को लेकर फैसले लिए गए हैं, उससे कई तरह के सवाल उठते हैं। राफेल सौदे पर द हिंदु की एक नई रिपोर्ट बुधवार को सामने आई है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक फ्रेंच कंपनी डसॉल्ट एविएशन को सरकार की ओर से बैंक गारंटी देने से छूट दी गई थी। अखबार का दावा है कि बैंक गारंटी की जगह कंपनी को 'लेटर ऑफ कम्फर्ट' दिया गया। बैंक गारंटी न होने की वजह से ही राफेल डील और महंगी हो गई थी।
एन राम ने केंद्र सरकार से सवाल किया और पूछा, 'क्या नई डील पुरानी डील से बेहतर है या फिर डील के साथ भारत की स्थिति के साथ किसी तरह का कोई समझौता किया गया था।' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राफेल डील पर चर्चा इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म की वजह से ही हो रही है।
एन राम के मुताबिक सरकार ने जनता से जानकारियां छिपाई थीं। वह सिर्फ सार्वजनिक हितों को ध्यान में रखकर ही जानकारियों को सबके सामने ला रहे हैं। आठ फरवरी को एन राम की एक रिपोर्ट जो अखबार में आई थी उसके मुताबिक रक्षा मंत्रालय को इस बात पर खासी आपत्ति थी कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से डील की कुछ बातों को लेकर आपत्ति दर्ज कराई गई थी। भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल जेट के लिए 59,000 करोड़ की कीमत से डील फाइनल हुई है।