द् हिंदू का दावा: रफाल सौदा यूपीए की पेशकश से बेहतर शर्तों पर नहीं है

Written by संजय कुमार सिंह | Published on: February 13, 2019
द हिन्दू में आज फिर पहले पन्ने पर रफाल सौदे से जुड़ी एक खबर है। और उपरोक्त शीर्षक भारतीय निगोशिएटिंग टीम के तीन डोमेन एक्सपर्ट की प्रमुख राय में है। एन राम की बाईलाइन वाली यह खबर कहती है कि रक्षा मंत्रालय के तीन वरिष्ठ अधिकारी जो सात सदस्यों की भारतीय निगोशिएटिंग टीम में डोमेन एक्सपर्ट थे, इस पुष्ट और स्पष्ट निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि फ्लाइअवे कंडीशन में खरीदे गए 36 विमानों का रफाल सौदा यूपीए सरकार के समय डसॉल्ट एविएशन द्वारा 126 विमानों के लिए की गई पेशकश से बेहतर नहीं है। इन लोगों ने कहा है कि विमानों की डिलीवरी का समय भी पहले के 18 फ्लाईअवे विमानों की मूल प्रापण प्रक्रिया की तुलना में धीमा है।

दावों के उलट 
ये निष्कर्ष भारत सरकार द्वारा किए गए दो केंद्रीय दावों के सीधे उलट हैं। ये दावे सस्ते सौदे और तेज डिलीवरी शिड्यूल के हैं। ये वो दावे हैं जिनकी पुष्टि सुप्रीम कोर्ट में आधिकारिक सूचनाओं में की गई है। इसके अलावा, तीन अधिकारियों ने भारत सरकार द्वारा संप्रभु या सरकारी गारंटी या बैंक गारंटी की बजाय लेटर ऑफ कंफर्ट स्वीकार किए जाने पर भी गंभीर चिन्ता जताई है। यह आईजीए, ऑफसेट मामले और डसॉल्ट एविएशन के रेसट्रिक्टिव व्यापार व्यवहार के संबंध में है।

भारतीय निगोशिएटिंग टीम के तीन डोमेन एक्सपर्ट हैं - एमपी सिंह, एडवाइजर (कॉस्ट), इंडियन कॉस्ट अकाउंट सर्विस के ज्वायंट सेक्रेट्री स्तर के अधिकारी; एआर सुले, फाइनेंशियल मैनेजर (एयर) और राजीव वर्मा, ज्वायंट सेक्रेट्री एंड एक्विजिशंस मैनेजर (एयर)। इन लोगों ने अपना नजरिया असहमति के एक जोरदार नोट में लिखा है जो एक जून 2016 का है और सौदे के लिए बातचीत के अंत में डिप्टी चीफ ऑफ एयर स्टाफ को दिया गया है जो निगोशिएटिंग टीम के चेयरमैन यानी मुखिया थे।

आठ पन्ने का यह नोट नए सौदे की शर्तों पर गंभीर चिन्ता और बेचैनी जताता है तथा एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। अखबार ने इसे अंदर के पन्ने पर छापा है। इसे फ्रेंच पक्ष के साथ सौदा के बातचीत पूरी होने के महीने भर बाद पर दोनों सरकारों के बीच करार पर दस्तखत से तीन महीने पहले लिखा गया था खत्म हो। अखबार ने आईएनटी में इन तीन अधिकारियों की सक्षमता के बारे में ‘द वायर’ के एक आलेख का हवाला दिया है जिसे सुधांशु मोहंती ने लिखा है जो डिफेंस अकाउंट्स के पूर्व कंट्रोलर जनरल हैं और उस समय फाइनेंशियल एडवाइजर, डिफेंस सर्विसेज थे।

नए रफाल सौदे के 7.87 बिलियन यूरो की अंतिम लागत पर टिप्पणी करते हुए इन डोमेन विशेषज्ञों ने कहा है, फ्रेंच सरकार द्वारा पेश की गई कीमत की रीजनेबिलिटी (वाजिब होने की शर्त) स्थापित नहीं है। यहां तक कि फ्रेंच सरकार ने जो अंतिम कीमत पेश की है उसे मीडियम मल्टी रोल कौमबैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) की तुलना में बेहतर नहीं माना जा सकता है और इसलिए यह संयुक्त बयान की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं करता है।

शर्तें औऱ समय सीमा 
यह इंडो-फ्रेंच (भारत फ्रांस) संयुक्त बयान का संदर्भ है जो 10 अप्रैल 2015 को जारी हुआ था जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फ्रांस गए थे। इसमें वादा किया गया था कि फ्लाईअवे कंडीशन में 36 रफाल विमान हासिल करने के लिए नया सौदा एक अंतर सरकारी करार के जरिए होगा जिसकी शर्तें एक अलग चल रही प्रक्रिया के भाग के रूप में डसॉल्ट एविएशन द्वारा पेश की गई शर्तों से बेहतर होगी और डिलीवरी एक ऐसी समय सीमा में होगी जो आईएएफ (भारतीय वायु सेना) की आवश्यकताओं के अनुकूल होगी।

संयुक्त बयान में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि विमान और संबंधित सिस्टम की डिलीवरी उसी कंफीगुरेशन में की जाएगी जिसकी जांच की जा चुकी है और आईएएफ ने मंजूरी दी है और जिसके रख-रखाव की फ्रांस की जिम्मेदारी लंबी या ज्यादा है।

सात सदस्यों की निगोशिएटिंग टीम में शामिल रक्षा मंत्रालय के तीन वरिष्ठ अधिकारियों की चिन्ता और मतभेद राजग सरकार द्वारा किए गए नए रफाल सौदे के पक्ष में दिए जा रहे दो प्रमुख बचावों को शक के घेरे में ला देते हैं। पहला यह कि सौदा बेहतर शर्तों पर हुआ है और दूसरा यह की डिलीवरी शिड्यूल पहले के सौदे के मुकाबले तेज है जिसे यूपीए सरकार और एनडीए सरकार ने 10 अप्रैल 2016 तक किया था। ये सुप्रीम कोर्ट में सरकार द्वारा पेश किए गए मुख्य तर्कों में भी हैं। सुप्रीम कोर्ट को सील्ड लिफाफे में दिए गए दस्तावेजों में यह नोट शामिल था कि नहीं, यह पता नहीं है लेकिन कोर्ट में लंबित फैसले की समीक्षा के लिए याचिका देना प्रासंगिक रहेगा।
 
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