केंद्र की मोदी सरकार एक बार फिर अडाणी ग्रुप पर मेहरबान हुई है। मोदी सरकार की ओर से निजीकरण के लिए रखे गए छह में से पांच हवाई अड्डों की देखरेख का ठेका अडाणी ग्रुप को दिया गया है। अडाणी को अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम, लखनऊ, मेंगलुरू और जयपुर के हवाईअड्डों की देखरेख का ठेका 50 सालों के लिए मिला है।
इसकी जानकारी एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के एक सीनियर अधिकारी ने सोमवार को दी कि इस ठेके के लिए अडाणी समूह ने सबसे ऊंची बोली लगाई थी।
एयरपोर्ट अथॉरिटी की तरफ से आयोजित इस बिड में अडाणी ग्रुप की बोली सबसे ज्यादा थी, जिस वजह से 6 में 5 का हवाईअड्डों का ठेका सीधे तौर पर अडाणी ग्रुप को मिला है। अधिकारी के मुताबिक अडाणी ग्रुप ने जो बोलियां लगाई वह अन्य बोली लगाने वाली कंपनियों की तुलना में उम्मीद काफी ज्यादा थीं।
बता दें कि अथॉरिटी ने विजेता का चुनाव ‘मासिक प्रति यात्री शुल्क’ के आधार पर किया है। अब कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद यह पांचों हवाईअड्डे अडाणी ग्रुप को सौंप दिए जाएंगे।
साल 2018 नवंबर में सरकार ने इन हवाईअड्डों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर चलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इस पार्टनरशिप के तहत ये तय किया जाता है कि किसी भी पब्लिक सेवा या संस्था में दो या दो से ज्यादा कंपनियां लंबे समय के लिए एक करार के तहत सरकार के साथ मिलकर काम करेंगे। इसी करार के बदौलत अडाणी ग्रुप को 50 सालों के लिए ये ठेका मिला है।
इसकी जानकारी एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के एक सीनियर अधिकारी ने सोमवार को दी कि इस ठेके के लिए अडाणी समूह ने सबसे ऊंची बोली लगाई थी।
एयरपोर्ट अथॉरिटी की तरफ से आयोजित इस बिड में अडाणी ग्रुप की बोली सबसे ज्यादा थी, जिस वजह से 6 में 5 का हवाईअड्डों का ठेका सीधे तौर पर अडाणी ग्रुप को मिला है। अधिकारी के मुताबिक अडाणी ग्रुप ने जो बोलियां लगाई वह अन्य बोली लगाने वाली कंपनियों की तुलना में उम्मीद काफी ज्यादा थीं।
बता दें कि अथॉरिटी ने विजेता का चुनाव ‘मासिक प्रति यात्री शुल्क’ के आधार पर किया है। अब कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद यह पांचों हवाईअड्डे अडाणी ग्रुप को सौंप दिए जाएंगे।
साल 2018 नवंबर में सरकार ने इन हवाईअड्डों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर चलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इस पार्टनरशिप के तहत ये तय किया जाता है कि किसी भी पब्लिक सेवा या संस्था में दो या दो से ज्यादा कंपनियां लंबे समय के लिए एक करार के तहत सरकार के साथ मिलकर काम करेंगे। इसी करार के बदौलत अडाणी ग्रुप को 50 सालों के लिए ये ठेका मिला है।