जामिया मिलिया इस्लामिया कॉलेज ने फैसला लिया है कि वह अपने कॉलेज में आर्थिक आधार पर पिछड़े सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं देगी. इसके पीछ की वजह अल्पसंख्यक दर्जा बताया गया है. बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने हाल ही में आर्थिक रुप से पिछड़े सवर्णों को शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में दस प्रतिशत आरक्षण देने को मंजूरी दी है. यह आरक्षण 2019-20 के शैक्षणिक सत्र में शैक्षणिक संस्थानों में लागू किया जाएगा.
अंग्रेजी समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिकर, विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल की बैठक सोमवार (4 फरवरी) को हुई. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि उसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को अपने सीट मैट्रक्स जरूरत और इंफ्रास्ट्रक्चर जरूरतों को भेजने की आवश्यकता नहीं है. रजिस्ट्रार यूजीसी को सूचित करेंगे कि जामिया में मौजूदा संरचना के आधार पर अपना एडमिशन नोटिस जारी किया जाएगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक में शामिल एक सदस्य ने बताया, हमने पाया कि हमारा संस्थान अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त है. ऐसी स्थिति में ईडब्लूएस कोटा हमारे उपर लागू नहीं होता है. यूजीसी ने पहले ही यह साफ कर दिया है कि कुछ संस्थान और अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त संस्थान इस नए सिस्टम के तहत नहीं आते हैं. जामिया में पहले से ही ओबीसी कोटा का लाभ भी नहीं दिया जाता है.
दरअसल, 17 जनवरी को केंद्रीय मानव संसाधान मंत्रालय ने 2019-20 सत्र से ईडब्लूएस कोटा लागू करने के बारे में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों से पूछा था. संस्थान को 31 जनवरी तक प्रोग्राम के अनुसार सीट मैट्रिक्स और संभावित आर्थिक जरूरतों को बताने को कहा गया था. मंत्रालय के आदेश पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने 1 फरवरी को डेटा भेज दिया. वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय अभी अपने कॉलेजों से डेटा संग्रह ही कर रहा है.
बता दें कि संविधान के 103वें संशोधन में अनुच्छेद 15(6) आता है, जिसके तहत विशेष प्रावधान की अनुमति है. इसमें शैक्षणिक संस्थानों (निजी भी शामिल) में 10 फीसदी तक ईडब्ल्यूएस कोटा देने की बात है. अनुच्छेद 15 (6), 15(5) का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे 2006 में यूपीए-1 ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के लिए 93वें संविधान संशोधन के जरिए लाई थी.
अंग्रेजी समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिकर, विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल की बैठक सोमवार (4 फरवरी) को हुई. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि उसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को अपने सीट मैट्रक्स जरूरत और इंफ्रास्ट्रक्चर जरूरतों को भेजने की आवश्यकता नहीं है. रजिस्ट्रार यूजीसी को सूचित करेंगे कि जामिया में मौजूदा संरचना के आधार पर अपना एडमिशन नोटिस जारी किया जाएगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक में शामिल एक सदस्य ने बताया, हमने पाया कि हमारा संस्थान अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त है. ऐसी स्थिति में ईडब्लूएस कोटा हमारे उपर लागू नहीं होता है. यूजीसी ने पहले ही यह साफ कर दिया है कि कुछ संस्थान और अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त संस्थान इस नए सिस्टम के तहत नहीं आते हैं. जामिया में पहले से ही ओबीसी कोटा का लाभ भी नहीं दिया जाता है.
दरअसल, 17 जनवरी को केंद्रीय मानव संसाधान मंत्रालय ने 2019-20 सत्र से ईडब्लूएस कोटा लागू करने के बारे में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों से पूछा था. संस्थान को 31 जनवरी तक प्रोग्राम के अनुसार सीट मैट्रिक्स और संभावित आर्थिक जरूरतों को बताने को कहा गया था. मंत्रालय के आदेश पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने 1 फरवरी को डेटा भेज दिया. वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय अभी अपने कॉलेजों से डेटा संग्रह ही कर रहा है.
बता दें कि संविधान के 103वें संशोधन में अनुच्छेद 15(6) आता है, जिसके तहत विशेष प्रावधान की अनुमति है. इसमें शैक्षणिक संस्थानों (निजी भी शामिल) में 10 फीसदी तक ईडब्ल्यूएस कोटा देने की बात है. अनुच्छेद 15 (6), 15(5) का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे 2006 में यूपीए-1 ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के लिए 93वें संविधान संशोधन के जरिए लाई थी.